Saturday, September 21, 2024
Homeदेश-समाजमस्जिद में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मौलिक अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला,...

मस्जिद में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मौलिक अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, माइक पर अजान की इजाजत देने से इनकार

इससे पहले 2020 में एक फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना था कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है, क्योंकि यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लाडस्पीकर से अजान की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि लाडस्पीकर से अजान देना मौलिक अधिकार नहीं है। इसको लेकर पहले ही कानून पास हो चुका है। जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने इरफान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के बदायूँ के रहने वाले इरफान ने एसडीएम तहसील बिसौली, जिला बदायूं द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। इसमें अजान के समय गाँव की मस्जिद में लाउडस्पीकर/माइक के इस्तेमाल की अनुमति माँगी गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अजान के लिए लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति की माँग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि कोई भी धर्म पूजा या इबादत के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देता। इरफान का कहना था कि एसडीएम द्वारा पारित आदेश पूरी तरह से अवैध था और मस्जिद से लाउडस्पीकर बजाने पर रोक उसके मौलिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसकी दलीलें खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि अब यह कानून पास हो गया है कि मस्जिद से लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मौलिक अधिकार नहीं है। इस तरह से याचिका स्पष्ट रूप से गलत है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

गौरतलब है कि 2020 में एक फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना था कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है, क्योंकि यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा था कि अजान इस्लाम का हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का हिस्सा नहीं हो सकता। इसके लिए कोर्ट ने तर्क दिया था कि लाउडस्पीकर के आने से पहले मस्जिदों से मानव आवाज में अजान दी जाती थी। मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है। गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने इस संबंध में याचिका डाली थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अब फैक्टचेक नहीं कर सकती केंद्र सरकार: जानिए क्या है IT संशोधन नियम 2023 जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने बताया ‘असंवैधानिक’, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...

सोशल मीडिया और ऑनलाइन तथ्यों की जाँच के लिए केंद्र द्वारा फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाने को बॉम्बे हाई कोर्ट ने संविधान का उल्लंघन बताया।

बेटे की सरकार में तिरुपति की रसोई में ‘बीफ की घुसपैठ’, कॉन्ग्रेस पिता के शासन में इसी मंदिर में क्रॉस वाले स्तंभ पर हुआ...

तिरुपति लड्डू से पहले 2007 में आरोप लगाया गया था कि TTD ने मंदिर के एक उत्सव के लिए जिन स्तम्भ का ऑर्डर दिया है, वह क्रॉस जैसे दिखते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -