Saturday, April 20, 2024
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Remdesivir के नाम पर अकाउंट में पैसे मँगवा गायब हो रहे धोखेबाज, सिप्ला ने चेतायाः जानें ठगी से कैसे बचें

सौरभ तिवारी ने रेमडेसिविर के लिए मुम्बई फोन किया। दूसरी ओर से व्यक्ति ने दो घंटे में इंजेक्शन का इंतजाम करने का दावा किया। उसने तिवारी से अपने खाते में पैसे ट्रांसफर करने को कहा। जब तिवारी ने डिटेल चेक किया तो पाया कि नंबर मुम्बई का न होकर पश्चिम बंगाल का था और अकाउंट नम्बर किसी प्राइवेट बैंक का था।

फार्मास्यूटिकल कम्पनी सिप्ला ने रेमडेसिविर (Remdesivir) को लेकर कुछ बेईमान लोगों द्वारा की जा रही धोखाधड़ी के खिलाफ चेतावनी भरा नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में, सिप्ला ने लोगों से उन बेईमानों से सावधान रहने को कहा है, जिन्होंने फर्जी तरीके से सिप्ला लिमिटेड के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवा लिए हैं। नोटिस में कहा गया है कि ऐसे घोटालेबाज दवा की कथित सप्लाई के नाम पर खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए लोगों को गुमराह कर कर रहे हैं।

सिप्ला ने कहा है कि ऐसे व्यक्ति कंपनी से जुड़े या अधिकृत नहीं हैं। कम्पनी ने कहा, ”अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है और मामले की जाँच की जा रही है। हम उपभोक्ताओं को सिप्ला उत्पादों को केवल हमारे अधिकृत स्टॉकिस्ट और चैनल भागीदारों के माध्यम से लेने का आग्रह करते हैं।”

कंपनी ने बताया है कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट से खुलासा हुआ कि घबराए लोगों ने बेईमानों को रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए पैसे दिए। जब हमने सोशल मीडिया को खँगालना शुरू किया तो हमें ऐसे लोगों के बारे में पता चला जो रेमडेसिविर इंजेक्शन का इंतजाम करने के नाम पर ठगे गए थे। हमें कुछ ऐसे ट्वीट मिले जिसमें कहा गया है कि ऐसे घोटाले उम्मीद से भी ज्यादा तेजी से हो रहे हैं।

सौरभ तिवारी ने ट्विटर पर लिखा है कि उन्होंने रेमडेसिविर के लिए मुम्बई फोन किया। दूसरी ओर से व्यक्ति ने दो घंटे में इंजेक्शन का इंतजाम करने का दावा किया। उसने तिवारी से अपने खाते में पैसे ट्रांसफर करने को कहा। शक होने पर जब तिवारी ने डिटेल चेक किया तो पाया कि नंबर मुम्बई का न होकर पश्चिम बंगाल का था और अकाउंट नम्बर किसी प्राइवेट बैंक का था।

एक और यूजर पूजा मेहता ने अपने कटु अनुभव के बारे में बताया है कि कैसे अभिषेक कुमार नामक एक शख्स ने उनके साथ 28000 रुपए की धोखाधड़ी की। उसने जाइडस फार्मास्यूटिकल का कर्मचारी होने का दावा किया था और टोसिलिजुआम्ब (Tocilizumab) का इंतजाम करने के नाम पर उससे 28 हजार रुपए ले लिए।

एक और यूजर ने केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को जवाब देते हुए आरोप लगाया है कि उसने अजय अग्रवाल नामक किसी व्यक्ति को रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए पैसे दिए थे और अब वह उसका फोन नहीं उठा रहा है।

एक और यूजर ज्योति ने आरोप लगाया है कि उसने इंजेक्शन के लिए किसी को 15000 रुपए दिए थे, लेकिन अब उसका नम्बर स्विच ऑफ है।

इसी तरह नचिकेता ने भी एक कहानी साझा करते हुए बताया है कि उसे सोशल मीडिया से एक नम्बर मिला, लेकिन उसे ट्रूकॉलर पर रेमडेसिविर फ्रॉड (Remdesivir fraud) के नाम पर सेव किया गया था।

खुद को ऐसी धोखाधड़ी से बचाने के तरीके

सबसे पहले, इंजेक्शन के लिए ऑनलाइन भुगतान न करें, खासतौर पर दवा मिलने से पहले। जैसा कि सिप्ला ने अपनी एडवायजरी में उल्लेख किया है, इंजेक्शन के लिए हमेशा अधिकृत वितरक के पास जाएँ। सिप्ला ने Tocilizumab [PDF] और रेमडेसिविर [PDF] दोनों के लिए अधिकृत वितरकों की सूची प्रदान की है, जिन्हें उनकी वेबसाइट से एक्सेस किया जा सकता है।

सोशल मीडिया मंचों पर बहुत सारे लिस्ट की भरमार हैं जो सत्यापित होने का दावा करते हैं। उनमें से किसी पर भरोसा करने से पहले, कृपया नम्बर पर कॉल करें और यह पता लगाने की कोशिश करें कि क्या वितरक की ऑनलाइन मौजूदगी है। जानकारी की दोबारा जाँच करें और भुगतान तभी करें जब दवा आपके हाथ में आ जाए।

ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ लोगों ने कुछ लोगों के लिए कुछ दवाओं की व्यवस्था की, लेकिन बाद में पैसे इकट्ठा किए और फोन बंद कर दिया। यह विश्वास हासिल करने के लिए पहले घोटाले करने वालों की एक बुनियादी रणनीति है और फिर पैसे लेकर भाग जाते हैं। लिहाजा विवरण का सत्यापन किए बिना दवा के लिए किसी को अग्रिम भुगतान न करें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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