उत्तर-पूर्वी दिल्ली का चाँदबाग-करावल नगर वह इलाका है जो फरवरी 2020 के हिंदू विरोधी दंगों में सबसे अधिक प्रभावित रहा था। इसी इलाके में ताहिर हुसैन की वह बिल्डिंग है जो दंगों का प्रमुख केंद्र बनकर उभरी थी। इसी इलाके में IB ऑफिसर अंकित शर्मा को बेरहमी से मारा गया था। हिंदुओं के घरों, दुकानों, संपत्तियों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया था। ताहिर हुसैन के घर के सामने स्थित गली नंबर-6 की शिव मंदिर को भी नुकसान पहुँचाया गया था।
दंगों के दो साल बाद अब इलाके में तनाव नजर नहीं आता। लेकिन स्थानीय हिंदुओं के बीच एक डर साफ नजर आता है। यह डर हमें श्याम साहनी के भीतर भी दिखा। इसके कारण शुरुआत में वे हमसे बातचीत करने को तैयार नहीं थे। काफी मशक्कत के बाद जब तैयार हुए तो डर की वजह भी एक-एक कर साफ हो गई।
याद है ‘श्याम चाय वाले’ की दुकान?
24 फरवरी 2020 को श्याम साहनी अपनी चाय की दुकान बंद ही कर रहे थे कि मुस्लिम दंगाइयों की भीड़ अचानक से पत्थरबाजी करती हुए आ गई। उस समय को याद करते हुए उन्होंने बताया, “मैं उस दिन अपनी दुकान पर बैठा चाय बना रहा था। सुबह से ही क्षेत्र के मुस्लिमों का सीएए के ख़िलाफ विरोध जारी था। इसी बीच पता चला हजारों की भीड़ दुकानों में तोड़-फोड़ करती हुई चाँद बाग की ओर से करावल नगर की ओर बढ़ती आ रही है। हमने तुरंत ही शटर को गिराया और पीछे के दरवाजे से निकल गए। लेकिन दंगाई भीड़ ने मेरी दुकान के शटर को तोड़कर पहले लूटपाट और तोड़फोड़ की। इसके बाद ताहिर की छत से फेंके जा रहे पेट्रोल बम से दुकान के बाहरी हिस्से में आग लग गई।”
श्याम चाय वाले का दावा है कि दंगे में उन्हें करीब 5 लाख का नुकसान हुआ था। बाद में किराएदार होने की वजह से उन्हें कोई खास मदद भी नहीं मिली। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया कि किसी NGO की मदद से 25 हजार का एक चेक मिला था। करीब 32 हजार की मदद उन्हें कपिल मिश्रा और दूसरे स्रोतों से भी मिली थी।
साहनी ने ऑपइंडिया को बताया, “उनका एक ढाबा भी था जिसके बर्तन भी दंगाई लूट ले गए थे। साथ ही दुकान का पूरा सामान या तो लूट लिया गया था या उसमें आग लगा दी गई। काउंटर से लेकर फ्रिज तक कुछ भी सही-सलामत नहीं बचा था।” दो साल बाद जब वे हमें अपना घर दिखा रहे थे तो घर में सामान के नाम पर बिस्तर, पूजा घर और दुकान में बहुत थोड़ा सा सामान ही था।
दुकान में लगी PM मोदी की तस्वीर
श्याम साहनी का ढाबा दो साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। चाय की दुकान पहले जैसी अब चलती नहीं। बकौल श्याम इसकी वजह है, दिल्ली दंगों के बाद इलाके के बदले हालात और दुकान में लगी PM मोदी की तस्वीर! दरअसल, दिल्ली दंगों के बाद श्याम चाय वाले ने अपनी दुकान में PM मोदी की तस्वीर लगा ली है। तस्वीर को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “इनकी वजह से जान बची है, अब नहीं हटाएँगे चाहे जो हो…”
लिहाजा अब 6 लोगों का परिवार पालने के लिए श्याम आइसक्रीम भी बेचने लगे हैं। वो भी चाँदबाग, मुस्तफाबाद, सीलमपुर के उन इलाकों में देर रात तक आइसक्रीम बेचते हैं, जहाँ से उस समय दंगाइयों के आने के दावे किए गए थे।
दंगों के ठीक बाद जब ऑपइंडिया की टीम श्याम की चाय दुकान पर पहुँची थी तो आस-पास के लोगों ने बताया था, “चार दिन तक श्याम ने कपड़े बदलना तो दूर कुछ खाया तक नहीं था। उसकी आँखों के सामने उसका सब कुछ बर्बाद हो गया था।” दो साल बाद भी वह डर बचा हुआ है। इसके कारण साहनी अब मीडिया से भी बातचीत करने से हिचकते हैं। जैसा कि उन्होंने कहा, मुझे इसी इलाके में रहना है। इन्हीं लोगों के बीच रहना है। परिवार को कुछ हो जाएगा तो कहाँ जाएँगे।”
गिरी ऑटोमोबाइल, अमन ई-रिक्शा, अरोड़ा फर्नीचर
दंगों के दौरान गिरी ऑटोमोबाइल वर्कशॉप को भी दंगाइयों ने तबाह कर दिया था। दो साल बाद जब हम फिर वहॉं पहुॅंचे तो दंगों के वक्त इस वर्कशॉप के मालिक रहे दिलीप से मुलाकात नहीं हो पाई। हालाँकि दंगों के दौरान हुई आगजनी के निशान आज भी यहाँ मौजूद हैं। इलाके के लोगों ने बताया कि इस वर्कशॉप को किसी मुस्लिम ने अब खरीद लिया है।
गिरी ऑटोमोबाइल का ताहिर हुसैन के घर से निकले दंगाइयों ने क्या हाल किया था इसकी छोटी सी झलक आप इस वीडियो में देख सकते हैं।
उस समय ऑपइंडिया से बातचीत करते हुए गिरी ऑटोमोबाइल वर्कशॉप के मालिक दिलीप ने बताया था कि दंगाइयों ने उनसे करीब 30-40 हजार रुपए की लूटपाट की थी। उनके अलावा एक प्रधानजी के भी ढाई लाख रुपए छीन ले गए थे।
यही हाल अमन ई-रिक्शा का भी था। ताहिर हुसैन के घर के पास ही स्थित इस दुकान को इस तरह से दंगाइयों ने नुकसान पहुँचाया था कि उनको हमेशा के लिए इलाका छोड़कर जाना पड़ा। दिल्ली दंगों में इनके दुकान की न जाने कितनी बैटरियाँ और ई-रिक्शा के दूसरे सामान लूट लिए गए थे और जो बाकी बचा था उसे आग के हवाले कर दिया था।
अभी वहाँ पर थोक कपड़े की दुकान खुल गई है। इस दुकान के लोगों ने बताया कि अमन ई-रिक्शा वाले दंगे के कुछ महीनों बाद ही इलाका छोड़कर हमेशा के लिए चले गए थे।
अरोड़ा फर्नीचर अब सचदेवा फर्नीचर के नाम से चल रहा। उनका दंगों में जितना नुकसान हुआ उसकी भरपाई नहीं हो पाई। मकान के पिछले हिस्से में जले के निशान आज भी हैं।