दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार (11 मार्च) को आम आदमी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। यह FIR दिल्ली संपत्ति विरूपण रोकथाम अधिनियम के तहत एक शिकायत पर की गई है। इसमें केजरीवाल एवं उनके नेताओं पर सरकारी धन का दुरुपयोग करके अपनी होर्डिंग लगाने का आरोप लगाया था।
कोर्ट की ACJM नेहा मित्तल ने सुनवाई करते हुए कहा, “शिकायतकर्ता ने प्रथम दृष्टया दर्शाया है कि संज्ञेय अपराध किया गया है।” कोर्ट ने कहा, “अपराध की गंभीरता का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि यह न केवल आंखों में खटकने वाला और सार्वजनिक उपद्रव है, जिससे शहर की सौंदर्य भावना नष्ट हो रही है, बल्कि यातायात के सुचारू प्रवाह के लिए भी खतरनाक है।”
कोर्ट ने आगे कहा, “यह (अवैध होर्डिंग्स) पैदल यात्रियों और वाहनों के लिए सुरक्षा चुनौती पेश करता है। अवैध होर्डिंग्स के गिरने से होने वाली मौतें भारत में नई नहीं हैं।” अब मामले की अगली सुनवाई कोर्ट 18 मार्च 2025 को करेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने उस दिन FIR को लेकर दिल्ली पुलिस से अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
दरअसल, शिव कुमार सक्सेना ने CrPC की धारा 156 (3) के तहत एफआईआर दर्ज करने की माँग की थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि साल 2019 में तत्कालीन सीएम केजरीवाल और तत्कालीन AAP विधायक गुलाब सिंह एवं तत्कालीन AAP निगम पार्षद निकिता शर्मा ने द्वारका में चौराहों, सड़कों, बिजली के खंभों, डीडीए पार्क एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों पर आम जनता के लिए शुभकामनाओं वाले बड़े आकार के होर्डिंग्स लगाकर जनता के पैसे का दुरुपयोग किया।
सक्सेना ने इस संबंध में साल 2019 में दिल्ली पुलिस में इसकी शिकायत की थी। हालाँकि, उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने कोर्ट का रूख किया। वहीं, दिल्ली पुलिस ने सक्सेना की इस याचिका का कोर्ट में विरोध किया। दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि शिकायत 2019 में दर्ज की गई थी और वर्तमान में उस स्थान पर कोई होर्डिंग प्रदर्शित नहीं है। इसलिए इसमें कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है।
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को यह भी बताया कि होर्डिंग पर प्रिंटिंग प्रेस का विवरण नहीं दिया गया था। इसलिए यह तय करना असंभव होगा कि उन्हें कहाँ से और किसके कहने पर छापा गया था। पुलिस ने यह भी तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने पुलिस थाने में दी गई शिकायत में पीएम नरेन्द्र मोदी सहित लगभग 8-10 लोगों को आरोपित बनाया था, लेकिन अदालत में दायर आवेदन में अधिकांश नाम हटा दिए गए गए।
पुलिस को दी गई शिकायत के अनुसार, एक होर्डिंग में कहा गया है कि दिल्ली सरकार करतारपुर साहिब में दर्शन के लिए पंजीकरण शुरू करेगी, जिस पर केजरीवाल और गुलाब सिंह की तस्वीरें और नाम हैं। एक अन्य होर्डिंग में गुरुनानक देव जयंती और कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनाएँ थीं, जिस पर निकिता शर्मा की तस्वीर और नाम था। शिकायतकर्ता ने एक अन्य होर्डिंग का भी हवाला दिया जिसमें नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, प्रवेश वर्मा और रमेश बिधूड़ी की तस्वीरें थीं।
सारी बातों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने कहा कि बैनर बोर्ड टाँगना या होर्डिंग लगाना संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के समान है। जज ने कहा कि पुलिस का यह बयान कि जाँच की तारीख पर कोई होर्डिंग नहीं मिली, यह अदालत को गुमराह करने का प्रयास लगता है। उन्होंने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि शिकायतकर्ता ने कई लोगों के नाम छोड़ दिए हैं।