Friday, April 19, 2024
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होली के दिन DU के महिला हॉस्टल में लड़कियों को नहीं निकलने दिया बाहर: छात्राओं का प्रदर्शन, कहा – हमें अंदर कैद कर दिया, गार्जियन को बुलाने के लिए कहा

“हॉस्टल प्रबंधन द्वारा परिवार के सदस्यों का कॉन्टैक्ट नंबर माँगा जा रहा है। यहाँ तक ​​कि अगर छात्रों को खाना लेने के लिए बाहर जाना है तो उन्हें एक अंडरटेकिंग पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है।"

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक महिला छात्रावास में होली के दिन छात्राओं के बाहर जाने पर पाबंदी लगाई गई थी। इसको लेकर छात्राओं ने हॉस्टल के भीतर जमकर नारेबाजी की। हालाँकि, इसको लेकर हॉस्टल प्रशासन ने बाकायदा नोटिस जारी किया था। लेकिन इसके बाद भी छात्राएँ बाहर निकलने की माँग को लेकर हँगामा करती रहीं। मामला बुधवार (8 मार्च, 2023) का है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय के राजीव गाँधी हॉस्टल फॉर गर्ल्स के लिए 2 मार्च, 2023 को एक नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में कहा गया था कि होली के चलते हॉस्टल में रहने वाले सभी लोगों को 7 और 8 मार्च को देर रात लौटने या छुट्टी की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा 8 मार्च को हॉस्टल शाम 6 बजे तक बंद रहेगा।

हालाँकि छात्राएँ हॉस्टल के बाहर जाना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने हॉस्टल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने के साथ ही जमकर हंगामा किया। छात्राओं का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ही उन्हें हॉस्टल में कैद किया है रहा है। वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इस तरह के नोटिस हर साल जारी किए जाते थे।

छात्रावास में रहने वाली एमए इतिहास की फाइनल ईयर की छात्रा दीपांशी ने कहा है, “हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की योजना बना रहे थे लेकिन हमें छात्रावास के अंदर बंद कर दिया गया। हम अन्य छात्रावासों में रहने वाले अपने दोस्तों से बातचीत करने के लिए भी नहीं जा सके। वहाँ भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। लड़कों के छात्रावास पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।”

दीपांशी ने आगे कहा, “हॉस्टल प्रबंधन द्वारा परिवार के सदस्यों का कॉन्टैक्ट नंबर माँगा जा रहा है। यहाँ तक ​​कि अगर छात्रों को खाना लेने के लिए बाहर जाना है तो उन्हें एक अंडरटेकिंग पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है।”

इस पूरे मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर रजनी अब्बी का कहना है, “होली का दिन कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समस्या से बचने के लिए छात्रावास प्रशासन हर साल कोई न कोई कदम उठाता है। चूँकि, छात्राएँ विरोध कर रही थीं, इसलिए हमने उनसे कहा कि वे अपने स्थानीय अभिभावकों को बुला सकती हैं और उनके साथ बाहर जा सकती हैं। यदि ऐसा नहीं कर सकतीं तो फिर एक शपथ पत्र दे दें कि वह हॉस्टल के बाहर स्वयं की जिम्मेदारी पर जा रहीं हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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