सहारा ग्रुप के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। ये कार्रवाई ED की कोलकाता शाखा की तरफ की गई है। ED ने महाराष्ट्र के लोनावला में मौजूद एंबी वैली की 707 एकड़ जमीन को जब्त कर लिया है, जिसकी अनुमानित कीमत ₹1460 करोड़ बताई जा रही है। यह कार्रवाई सहारा समूह के निवेशकों को उनकी धनराशि वापस करने में विफल रहने के चलते की गई है।
सहारा ने लगाया लोगों को चूना
मामले की छानबीन में पता चला है कि सहारा ग्रुप ने लोगों को पैसे इन्वेस्ट करने के लिए मजबूर किया था, इस काम में लोगों की सहमति नहीं ली गई थी। जब लोगों ने अपनी जमा पूँजी माँगी, तो पैसे वापस नहीं किए गए।
बताया गया है कि सहारा समूह पोंजी स्कीम चला रहा था, इसमें सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारा समूह , सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी आदि कम्पनियाँ शामिल थीं।
ED का कहना है कि सहारा ग्रुप ने पैसा वापस तो नहीं किया बल्कि जमाकर्ताओं की अपना पैसा फिर से जमा करने के लिए मजबूर किया और एक योजना से दूसरी योजना में लगाया। खातों की कॉपी को छुपाने में हेराफेरी भी की। कई ऐसे ऑफर देकर निवेश का नाम देकर लोगों के पैसों की ठगी की।
ED, Kolkata has attached lands in the name of various individuals measuring 707 Acres having approximate market value of Rs. 1460 Crore in the Amby Valley City, Lonavala of Sahara Group under the provisions of PMLA, 2002 in a money laundering case against Sahara India and its…
— ED (@dir_ed) April 15, 2025
क्या है पूरा मामला?
सहारा समूह ने 2007-2008 में ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (OFCD) के माध्यम से लगभग 3 करोड़ निवेशकों से ₹17400 करोड़ की राशि जुटाई थी। हालाँकि, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इन योजनाओं को अवैध घोषित किया और निवेशकों को पैसा वापस करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सहारा को ₹24000 करोड़ निवेशकों को लौटाने का निर्देश दिया था, जिसमें से अब तक केवल ₹11000 करोड़ ही वापस किए गए हैं।
नेटवर्क 18 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में मामला दर्ज हुआ था। ED की जाँच 4 FIR के आधार पर हुई थी, जिसमें ओडिशा, बिहार और राजस्थान की पुलिस ने हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाईटी लिमिटेड और अन्य के खिलाफ दर्ज की थी। 500 से ज्यादा मामले इस केस में दर्ज किए जा चुके है, जिसमें 300 से ज्यादा मामले मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर है।
क्यों की गई कानूनी कार्रवाई?
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निवेशकों की बकाया राशि चुकाने के लिए एंबी वैली की संपत्तियों को अटैच करने का आदेश दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट के ऑफिशियल लिक्विडेटर ने एंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया शुरू की, जिसका रिजर्व प्राइस 37392 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया। ईडी को पता चला है कि ये भूखंड बेनामी नामों से खरीदने के लिए सहारा समूह की कंपनियों से पैसे निकाले गए थे। यह फैसला निवेशकों को उनकी धनराशि वापस दिलाने के प्रयासों का हिस्सा है।