Thursday, June 19, 2025
Homeदेश-समाजमथुरा पर हिंदुओं को ही 'नमकहराम' बता रहे जफरुल इस्लाम, कहा- ईदगाह में हिंदुओं...

मथुरा पर हिंदुओं को ही ‘नमकहराम’ बता रहे जफरुल इस्लाम, कहा- ईदगाह में हिंदुओं को मिल चुका है उनका ‘हिस्सा’

जफरुल इस्लाम चाहते हैं कि हिंदू सन् 1670 की बात मत नहीं करें, जब औरंगजेब ने मथुरा पर हमला कर केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और उसके ऊपर शाही ईदगाह मस्जिद बनवा दी थी। वे चाहते हैं कि बात 1968 के कथित समझौते से शुरू हो।

जफरुल इस्लाम ने एक बार फिर अपनी हिंदू घृणा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने मथुरा को लेकर हिंदुओं को नमकहराम बताने की कोशिश की है। साथ ही कहा है कि मथुरा में हिंदुओं को उनका हिस्सा मिल चुका है। ध्यान रहे कि ये वही इस्लाम हैं जिन्हें दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बनाया था। इसी पद पर रहते हुए उन्होंने हिंदुओं को अरब की धौंस दिखाई थी। वे ‘मिली गैजेट (Milli Gazette)’ नाम से एक मीडिया संस्थान भी चलाते हैं। इसके वे संस्थापक संपादक हैं। यह संस्थान गोधरा में रामभक्तों को ट्रेन में ज़िंदा जलाए जाने वाली घटना को भी जायज बताने की कोशिश कर चुका है।

जफरुल इस्लाम ने उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का हवाला देते हुए एक ट्वीट किया है। इसमें मौर्या के उस ट्वीट का जिक्र हैं जिसमें उन्होंने कहा था, “अयोध्या, काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है। मथुरा की तैयारी है।” साथ ही इस्लाम ने लिखा है, “यह धोखा है। हिंदुओं ने पहले ही ईदगाह की जमीन में अपना हिस्सा ले लिया है और एक समझौते के तहत मथुरा में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया है।”

अपने ट्वीट के साथ उन्होंने मिली गैजेट पर 8 अगस्त 2020 को प्रकाशित एक लेख का लिंक भी साझा किया है। यह लेख मथुरा पर हिंदुओं के दावे को खारिज करता है। इस लेख में शाही ईदगाह ट्रस्ट और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेव संघ के बीच समझौते का जिक्र किया गया है।

इस समझौते का हवाला देकर एक तरह से हिंदुओं से कहने की कोशिश की गई है कि तुम सन् 1670 की बात मत करो। इसी साल औरंगजेब ने मथुरा पर हमला कर केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और उसके ऊपर शाही ईदगाह मस्जिद बनवा दी थी। इस जगह के कृष्ण जन्मभूमि होने के तमाम साक्ष्य हैं। लेकिन इन साक्ष्यों को उसी तरह नजरंदाज किया जा रहा जैसा अयोध्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक होता रहता था।

गौरतलब है कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन पर बने शाही ईदगाह मस्जिद पर हिन्दुओं का दावा नया नहीं है और न यह अभी केशव मौर्य के कहने से शुरू हुआ है। राम मंदिर मुक्ति आंदोलन के साथ ही काशी और मथुरा को भी मुक्त कराने की बात चली थी। यहाँ तक कि आजादी के पहले 1935 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी राज को मथुरा में जन्मभूमि के अधिकार सौंपे थे। जहाँ बाद में 1951 में ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट’ बना और यहाँ भव्य मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया गया।

आगे चलकर 1958 में ‘श्रीकृष्ण जन्म सेवा संघ’ का गठन हुआ। कानूनी तौर पर इस संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था लेकिन इसने ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएँ निभानी शुरू कर दीं। इसके ठीक 10 साल बाद 8 अगस्त 1968 का वह कथित समझौता हुआ जिसका हवाला मिली गैजेट के लेख में दिया गया है।

दरअसल, श्रीकृष्ण जन्म सेवा संघ ने 1964 में पूरी जमीन पर नियंत्रण के लिए एक सिविल केस दाखिल किया था। लेकिन 1968 की तत्कालीन परिस्थितियों में शाही ईदगाह कमिटी और श्री कृष्णभूमि ट्रस्ट के बीच एक समझौता हो गया। इसके अनुसार, जमीन ट्रस्ट के पास रहेगी और मस्जिद के प्रबंधन का अधिकार मुस्लिम कमिटी को दे दिए गए। उसमें मुस्लिमों को शाही ईदगाह मस्जिद के प्रबंधन के अधिकार दे दिए गए। अब इसी समझौते को आधार बनाकर दावा किया जा रहा है कि ईदगाह मस्जिद पर पुनः दावा करने का कृष्ण भक्त हिन्दुओं को कोई अधिकार नहीं, बल्कि यह समझौते का उल्लंघन करते हुए धोखा है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

रवि अग्रहरि
रवि अग्रहरि
अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है! बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कुँवारी लड़कियाँ देती थीं जिन नवजातों को जन्म, उन्हें सेप्टिक टैंक में फेंकती थीं नन: 100 साल बाद 796 बच्चों की हड्डियों की हो...

आयरलैंड के एक होम में सेप्टिक टैंक में खुदाई शुरू हो रही है। इसमें करीब 800 मृत शिशुओं और बच्चों के अवशेष हैं। कैथोलिक नन इस होम को चलाती थीं।

‘पैसों के पहाड़’ पर जस्टिस वर्मा के पास कोई जवाब नहीं, पर्सनल सेक्रेटरी ने आग बुझाने वालों से कहा था- किसी को बताना मत:...

सुप्रीम कोर्ट की एक खास कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश सौंपी है। कपिल सिब्बल ने कहा- अब तक के सबसे बेहतरीन जजों में से एक वर्मा
- विज्ञापन -