Thursday, February 6, 2025
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400+ पाकिस्तानी हिंदुओं की अस्थियाँ 8 साल से विसर्जित होने का कर रही थी इंतजार, प्रयागराज महाकुंभ ने खोला मुक्ति का रास्ता: गंगा में होंगी प्रवाहित, कराची से पुजारी भी आए साथ

4 से 21 फरवरी तक अस्थियों को दिल्ली के सबसे पुराने और बड़े श्मशान घाट, निगम बोध घाट पर रखा जाएगा। लोग यहाँ आकर श्रद्धांजलि दे सकेंगे। 21 फरवरी को वैदिक रीति-रिवाजों के साथ अस्थियों को हरिद्वार ले जाया जाएगा। 22 फरवरी को कनखल के सीता घाट पर विसर्जन होगा। इसके साथ 100 किलो दूध की आहुति दी जाएगी।

पाकिस्तानी हिंदुओं का एक समूह वाघा-अटारी बॉर्डर होते हुए सोमवार (3 फरवरी 2025) को 480 अस्थियाँ लेकर भारत आया है। ये अस्थियाँ पाकिस्तानी हिंदुओं के परिजनों की हैं जिनकी इच्छा थी कि ये गंगा नदी में ही प्रवाहित की जाएँ। भारत आने वाले समूह में कराची के श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत रामनाथ मिश्रा भी हैं जो इस काज के लिए चुने जाने पर खुद को धन्य और सौभाग्यशाली मानते हैं।

मीडिया से बातचीत में रामनाथ मिश्रा ने कहा,

“पाकिस्तान में कई हिंदुओं की इच्छा होती है कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी अस्थियाँ गंगा में विसर्जित की जाएॉँ। उनके परिजन उनकी यह अंतिम इच्छा पूरी करना चाहते हैं। ऐसे में अस्थियों को मंदिरों में कलश में सुरक्षित रखा जाता है। जब पर्याप्त संख्या में कलश इकट्ठे हो जाते हैं, तो भारत का वीजा लेने का प्रयास किया जाता है। इस तरह मृतक या उनके परिवारों की अंतिम इच्छा पूरी होती है। हम लगभग 400+ कलश लेकर आए हैं। ये अस्थियाँ पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित की गई हैं। इन्हें मोक्ष के लिए गंगा में विसर्जित किया जाएगा।”

जानकारी के मुताबिक, इस समूह को महाकुंभ के वक्त अस्थियाँ लेकर भारत आने का वीजा मिला। इनके पास अभी लखनऊ और हरिद्वार जाने का वीजा है, लेकिन इन्हें प्रयागराज जाने की अनुमति मिलने का भी इंतजार है। इसे पाकर वह न केवल लखनऊ और हरिद्वार घूमेंगे बल्कि प्रयागराज जाकर संगम में डुबकी भी लगाएँगे।

वहीं अस्थियाँ विसर्जन की बात करें तो जानकारी यही है कि ये अस्थियाँ 4 से 21 फरवरी तक दिल्ली के सबसे पुराने और बड़े श्मशान घाट, निगम बोध घाट पर रखी जाएँगी। फिर यहाँ कई लोग आकर इन्हें श्रद्धांजलि देंगे और 21 फरवरी को वैदिक रीति-रिवाजों के साथ अस्थियों को हरिद्वार ले जाया जाएगा। 22 फरवरी को सीता घाट पर इनका विसर्जन होगा। इस दौरान 100 किलो दूध की आहुति दी जाएगी।

बता दें कि पाकिस्तान में लोग आर्थिक मजबूरी और अन्य वजहों के कारण अपने परिजनों की अस्थियाँ खुद भारत लाने में सक्षम नहीं होते। ऐसे में उन्हें इंतजार रहता है कि कोई ऐसा मिले तो इस काम में उनकी मदद कर दे। वैसे उनके पास सिंधु नदी का विकल्प होता है मगर फिर भी कोशिश होती है कि अस्थियाँ गंगा में प्रवाहित की जाएँ।

ये तीसरी बार है जब पाकिस्तानी हिंदुओं की अस्थियाँ भारत लाई गई हैं। इससे पहले ऐसा साल 2011 और फिर साल 2016 में हुआ था। कराची मंदिर के संरक्षक रामनाथ ही 2011 में करीबन 135 अस्थियाँ और 2016 में 160 अस्थियाँ लेकर भारत आए थे। इनमें कुछ को तो 64 साल से संभालकर रखा गया था। इस बार 480 अस्थियाँ लाते हुए राम नाथ मिश्रा ने बताया कि उन्होंने अस्थियों को 8 साल से श्मशान में रखा हुआ था। जब सरकार से इन्हें भारत लाने की अनुमति दी तो उन्होंने सुरक्षा सुनश्चित करते हुए उन्हें सफेद प्लास्टिस जार में रख दिया था, फिर इनपर लाल रंग के ढक्कन लगाए गए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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