Tuesday, March 19, 2024
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12:34 मिनट का दुर्लभ वीडियो: कारसेवकों पर बरस रही थीं गोलियाँ और जय श्रीराम के नारों से गूँज रहा था आसमान

पुलिस ने कारसेवकों को घरों में घुस-घुस कर पकड़ा, उनके साथ क्रूरता की। एक रोते श्रद्धालु को बोलते देखा जा सकता है कि चाहे उसके साथ कितना भी अत्याचार हो, वो अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना कर ही रहेगा। (चेतावनी: ये वीडियो डिस्टर्ब करने वाला है)

बाबरी मस्जिद को दिसंबर 1992 में ध्वस्त कर दिया गया था। उससे 2 साल पहले नवंबर 1990 में मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उस महीने जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की माँग लिए रामभक्त जुटे थे, तब मुलायम सिंह यादव ने उन पर गोलियाँ चलवाई थीं। यही वो घटना थी, जब कारसेवकों पर गोली चलवा कर सपा के संस्थापक ने “मुल्ला मुलायम’ की ‘उपाधि’ पाई थी। आधिकारिक आँकड़े कहते हैं कि इसमें 16 कारसेवकों की मौत हुई थी।

लेकिन, कहा जाता है कि असली आँकड़े इससे कहीं ज्यादा है। ‘रिपब्लिक टीवी’ के एक स्टिंग में पता चला था कि मृत श्रद्धालुओं को न सिर्फ मार डाला गया था बल्कि हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार तक नहीं होने दिया गया था। उन्हें दफना दिया गया था। नीचे हम वो वीडियो संलग्न कर रहे हैं, जिसमें आप कारसेवकों के साथ हुई क्रूरता को देख सकते हैं। इस वीडियो में यूपी पुलिस द्वारा कारसेवकों पर किए गए अत्याचार का एक नमूना दिख रहा है:

(चेतावनी: ये वीडियो डिस्टर्ब करने वाला है)

मुलायम ने कारसेवकों पर चलाई थी गोलियाँ

इस वीडियो में पुलिस को कारसेवकों पर हमला करते हुए और गोली चलाते हुए देखा जा सकता है। जिस तरह से पुलिस गोली चला रही है, उससे स्पष्ट है कि वो रामभक्तों की हत्या के इरादे से और उन्हें गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाने के लिए निशाना लगा रही है। इस वीडियो में मुलायम सिंह यादव की पुलिस ‘जय श्री राम’ बोलती भीड़ को खदेड़ कर गोली चलाते हुए दिख रही है। ये दुर्लभ वीडियो है।

इस वीडियो में कारसेवकों के मृत शरीर को सड़कों पर पड़े हुए देखा जा सकता है। सड़कों पर खून के धब्बे पड़े हुए हैं और माहौल काफ़ी भयावह दिख रहा है। हालाँकि, वीडियो की क्वालिटी ठीक नहीं है लेकिन तब भी इसमें नवंबर 1990 की उस क्रूरता को स्पष्ट देखा जा सकता है। एक साधु इस वीडियो में ये कहता दिख रहा है कि यूपी पुलिस की फायरिंग में अब तक 100 से भी अधिक लोग मर चुके हैं।

इस वीडियो में लोग कहते दिख रहे हैं कि पुलिस ने कारसेवकों के घरों में घुस-घुस कर उन्हें पकड़ा और उनके साथ क्रूरता की। श्रद्धालु बिलख-बिलख कर रो रहे थे और असहाय नजर आ रहे थे। एक रोते हुए श्रद्धालु को तो ये भी कहते देखा जा सकता है कि चाहे उनके साथ कितना भी अत्याचार हो, वो अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना कर ही रहेगा। यही कारण था कि कल्याण सिंह ने दिसम्बर 1992 में कारसेवकों पर गोलियाँ नहीं चलने दी।

बाद में कल्याण सिंह ने कहा था कि अयोध्या करोड़ों भारतीयों की आस्था का केंद्रबिंदु है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होता है तो इससे करोड़ों भारतीयों की इच्छा पूरी होगी। उन्होंने कहा कि वो राम मंदिर निर्माण का समर्थन करते हैं। तब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था। उन्होंने कहा था, “हम लोग कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। फैसला आने के बाद केंद्र सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।’

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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