Thursday, April 25, 2024
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मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में वैक्सीन को लेकर खौफ, मस्जिदों-मौलवियों की ली जा रही मदद: इमामों ने कहा – ‘हमारा विश्वास जीतो’

अहमदाबाद में मुस्लिम बहुल इलाकों में लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। बेंगलुरु में कई मुस्लिम बहुल वार्डस में लोग वैक्सीन लगवाने के लिए पहुँचे ही नहीं। गोधरा में तो जुमे की नमाज पर 50 मस्जिदों से...

देश के कई इलाकों में अल्पसंख्यक समुदाय के बीच कोरोना के टीके को लेकर कोई रुचि नहीं दिख रही है, जबकि ये महामारी फिर से दूसरी लहर लेकर भारत में आ गई है। बात देश की हाईटेक सिटी बेंगलुरु की करें तो यहाँ के स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि मुस्लिम समाज में वैक्सीन को लेकर जागरूकता नहीं है और सरकार को इस मुद्दे को देखना पड़ेगा। मुस्लिम बहुल इलाकों में लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं।

ये सब तब हो रहा है, जब सरकार टीकाकरण को ज्यादा से ज्यादा व्यापक बनाने में लगी हुई है और अब तक 6.31 करोड़ लोग इसका लाभ ले चुके हैं। BBMP (बृहत् बेंगलुरु महानगरपालिका) के कर्मचारियों का कहना है कि कई वार्डस में लोग वैक्सीन लगवाने के लिए पहुँचे ही नहीं। उन्होंने बताया कि कई बार मनाने के बावजूद लोगों ने वैक्सीन नहीं ली। ऐसे वार्डस में जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता जताई गई है।

अधिकारियों का कहना है कि ये ट्रेंड न सिर्फ राजधानी बेंगलुरु, बल्कि पूरे कर्नाटक राज्य में देखने को मिल रहा है। वरिष्ठ महामारी विषेशज्ञ डॉक्टर गिरिधर आर बाबू ने कहा कि टीकाकरण के लिए मजहबी नेताओं और धर्मगुरुओं के साथ समन्वय बनाना पड़ेगा, क्योंकि भारत एक विभिन्न समुदायों वाला देश है। मौलानाओं का कहना है कि फेक न्यूज़ और साइड इफेक्ट्स के डर से मुस्लिम वैक्सीन नहीं लगवा रहे और सरकार ने इसे लेकर कुछ नहीं किया है।

शिक्षाविद अमीन ए मुदस्सर ने माना कि अल्पसंख्यक समुदाय से कोरोना का टीका लगवाने वालों की संख्या काफी कम है और फेक न्यूज़ के कारण लोग डरे हुए हैं, लेकिन मुल्ला-मौलवी लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि वो वैक्सीन लगवाएँ। अप्रैल 11 से 45 वर्ष से ऊपर के सभी लोग कोरोना वैक्सीन लगवा सकते हैं। जामा मस्जिद के इमाम मक़सूद इमरान रश्दी ने कहा कि सरकार को मौलवियों को साथ लेकर टीकाकरण अभियान चलाना चाहिए।

उन्होंने पूछा कि सरकार फेक न्यूज़ से निपटने और टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देने के लिए क्या कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि महामारी की शुरुआत से ही स्वास्थ्य सिस्टम, नेताओं और मीडिया ने मिल कर मुस्लिमों को जम कर बदनाम किया है, इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ा है और उनका विश्वास खोया है। उन्होंने कहा कि मीडिया और नेताओं को अब उनका विश्वास फिर से जीतना चाहिए।

गुजरात जैसे संपन्न राज्य में भी इस मामले में स्थिति ठीक नहीं है। अहमदाबाद में मुस्लिम बहुल इलाकों में लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। AMC (अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन) ने अब तक 3.2 लाख लोगों को टीके लगवाए हैं। इनमें से तीन इलाकों में स्थिति ठीक नहीं है। साउथ-वेस्ट जोन में 28,383 (8.84%), ईस्ट जोन में 29,201 (9.1%) और सेंट्रल जोन में 38,944 (12%) लोगों को वैक्सीन लगवाई गई है।

ध्यान देने वाली बात ये है कि ये तीनों ही क्षेत्र 60-70% मुस्लिम आबादी वाले हैं। मुस्लिम बहुल मकदमपुरा वार्ड के कॉन्ग्रेस पार्षद हाजी असरतबेग ने माना कि जिस तरह कोविड टेस्ट कराने के लिए मुस्लिम राजी नहीं थे, ठीक उसी तरह टीकाकरण को लेकर भी माहौल ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम लोग कही-सुनी बातों पर वैक्सीन को लेकर डर रहे हैं। AMC नमाज के द्वारा जागरूकता फैलाने में लगा हुआ है।

साथ ही मुस्लिम प्रतिनिधियों को आगे आकर वैक्सीन लगवाने के लिए बोला जा रहा है। सूरत और गोधरा में भी ऐसी ही स्थिति होने के कारण मुस्लिमों के बीच अभियान चलाया गया। AMC का कहना है कि कई प्रयासों के बावजूद मुस्लिम बहुल इलाकों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। गोधरा में तो जुमे की नमाज पर 50 मस्जिदों से वैक्सीन को लेकर पॉजिटिव घोषणा करवाई गई। मस्जिदों से लोगों को बताया जा रहा है कि वैक्सीन लगवाना शरिया कानून के खिलाफ नहीं है।

साथ ही मुस्लिमों को सोशल मीडिया पर टीके के खिलाफ वायरल संदेशों पर विश्वास न करने को कहा जा रहा है। मुस्लिम समाज अच्छे से समझे, इसीलिए उर्दू में घोषणा हो रही है। गोधरा के एक कोविड सेंटर के संचालक जुबैर मामजी ने कहा कि घोषणा से पहले मुस्लिम डॉक्टरों के साथ बैठक की है, जिसमें वैक्सीन के सुरक्षित होने चर्चा हुई। मौलानाओं और मुस्लिम नेताओं की मदद वहाँ भी ली जा रही है।

भारत में पहला कोरोना विस्फोट भी दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज से हुआ था। हजारों जमाती देश के अलग-अलग मुस्लिम बहुल इलाकों में छिपे हुए थे और वहाँ मेडिकल टीम और पुलिस पर हमले किए जाते थे। कई मौलवियों ने मस्जिदों में भीड़ इकट्ठी करने से मना करने पर उलटा सरकारी दिशा-निर्देशों का ही विरोध जताया था। आजम खान जैसे नेताओं ने वैक्सीन पर विवादित बयान दिया। कई विपक्षी दल भी नकारात्मकता फैलाने में आगे थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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