दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर चल रहे ‘किसान आंदोलन’ में दलित युवक लखबीर सिंह की हत्या के मामले में दूसरे आरोपित नारायण सिंह को पंजाब के अमृतसर से गिरफ्तार किया गया। लखबीर सिंह का गला रेत कर टाँग दिया गया था और उनका दाहिना हाथ काट कर भी लटका दिया गया था। बाबा नारायण सिंह जंडियाला गुरु से दबोचा गया। उसने लखबीर सिंह की हत्या में भागीदारी कबूल की है।
लेकिन, गिरफ़्तारी से पहले अमृतसर में उसे सिख समुदाय के बीच सम्मानित भी किया गया। श्री अकाल तख्त साहिब पर आत्मसमर्पण करने जा रहे बाबा नारायण सिंह तरना दल निहंग जत्थेबंदी का सदस्य है। सोनीपत जिले को कुंडली थाने की पुलिस को इस बारे में सूचित कर दिया गया है, जो उसे लेने पहुँच रही है। अमृतसर में एक प्रमुख सिख धार्मिक स्थल पर उसे सम्मानित करते हुए नोटों की माला भी पहनाई गई थी।
BIG : Jatthedar Narayan Singh was given a grand Hero style felicitations at Farmer’s Protest Site before he surrendered for the brutal murder of Lakhbir Singh
— The Bite (@_TheBite) October 16, 2021
आत्मसमर्पण से पहले लखबीर सिंह के हत्यारे जत्थेदार नारायण सिंह का हीरो की तरह स्वागत, नोटो की माला पहनाई गई pic.twitter.com/WTEytuIQsj
उधर लखबीर सिंह का पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी सामने आया है, जिसमें उनके शरीर पर विभिन्न हथियारों से जख्म के 37 निशान मिले हैं। लाठी-डंडों के अलावा कई धारदार हथियारों से उन पर बहुतों बार प्रहार किया गया था। ज़्यादा खून बहने की वजह से उन्होंने दम तोड़ा था। लखबीर सिंह का अंतिम संस्कार उनके गाँव में शांतिपूर्ण ढंग से कराने के लिए पुलिस को लगाया गया है। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ इस घटना से पल्ला झाड़ रही है।
आरोपित नारायण सिंह को निहंगों के डेरे पर सम्मानित किया गया था। पीड़ित परिवार ने इस मामले में उच्च-स्तरीय जाँच की माँग की है। खेतिहर मजदूर परिवार का कहना है कि ईश्वर से डरने वाले लखबीर सिंह धार्मिक ग्रन्थ की बेअदबी के बारे में सोच भी नहीं सकते। चीमा कलाँ गाँव में उनकी पत्नी 12, 11 और 8 वर्षीय बेटियों के साथ रहती हैं। खेतों और मंडी में काम कर के वो दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ करते थे।
उधर इंडिया टुडे ने इसे ‘सूत्रों’ का नाम देते हुए अपने ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने कथित तौर पर कई मौकों पर हरियाणा और दिल्ली पुलिस को विरोध स्थल पर इस ‘सशस्त्र समूह’ की मौजूदगी के बारे में शिकायत की थी। संतुलन बनाने की कोशिश करते हुए एसकेएम ने एक बयान में यह भी कहा कि मोर्चा किसी भी धार्मिक पाठ या प्रतीक की बेअदबी के खिलाफ है।