Saturday, May 17, 2025
Homeदेश-समाजदीर्घकालिक समान जनसंख्या नीति बने, वो सभी पर समान रूप से लागू भी हो:...

दीर्घकालिक समान जनसंख्या नीति बने, वो सभी पर समान रूप से लागू भी हो: RSS ने बताया अपने अगले 50 वर्षों का लक्ष्य

जनसंख्या नीति के लिए संघ ने प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में संघ ने अगले 50 वर्षों का लक्ष्य बनाया है। इस पर एक दीर्घकालिक समान जनसंख्या नीति बननी चाहिए और वो सभी पर समान रूप से लागू भी होनी चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की 3 दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक 2022 का समापन 12 सितम्बर 2022 (सोमवार) को रायपुर में हुआ। इस अवसर पर मीडिया को संबोधित करते हुए सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने जनसंख्या नियंत्रण नीति बनाने पर जोर दिया। इसी के साथ उन्होंने न्यायपालिका में हिंदी भाषा के प्रयोग पर भी अपनी बात रखी। इस सम्मेलन में संघ से जुड़े 36 संगठनों के 240 से अधिक प्रमुख प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर डॉ मनमोहन वैद्य ने बताया कि जनसंख्या नीति के लिए संघ ने प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव में संघ ने अगले 50 वर्षों का लक्ष्य बना कर अपने संसाधनों की उपलब्धता और कामकाजी युवाओं की संख्या का अनुपात निकाला है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य के मुताबिक एक दीर्घकालिक समान जनसंख्या नीति बननी चाहिए और वो सभी पर समान रूप से लागू भी होनी चाहिए। इस संबंध में सवाल और जवाब नीचे के वीडियो में 28:45 के आगे सुना जा सकता है।

कुछ राजनैतिक दलों द्वारा संघ के विरोध और इसे नफरत फैलाने वाला बताने के सवाल पर भी डॉ वैद्य ने कहा, “नफरत वो पाल कर रखते हैं। उनके बाप-दादाओं ने भी संघ को रोकने का प्रयास किया और 2 बार बिना वजह प्रतिबंध लादे गए, फिर भी संघ आगे बढ़ता रहा। हम अपने सत्य के सिद्धांत और त्याग के दम पर आगे बढ़ते रहे। उन्हें तो ये भी नहीं पता कि संघ का गणवेश बदल गया है।”

जब डॉ वैद्य से हिन्दू राष्ट्र के मुद्दे पर सवाल हुआ, तब उन्होंने कहा कि राष्ट्र मतलब समाज होता है और वो पहले से ही हिन्दू है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि इस बात की घोषणा भी नहीं करनी है लेकिन हिंदुत्व को यहाँ के लोगों को अपने आचार-विचार में धारण करना होगा। उन्होंने ये भी कहा कि संघ सबको प्रेम और अपनेपन का आमंत्रण देगा। डॉ वैद्य ने जाति, लिंग और आर्थिक आधार पर भेदभाव को खत्म करने के बाद ही हिन्दू राष्ट्र हो पाना सम्भव बताया।

अन्य मुद्दों पर बात करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने हिंदी भाषा के अधिक से अधिक प्रयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया है कि न्यायपालिका और अन्य प्रशासनिक काम हिंदी में होने चाहिए। भारतीय चिकित्सा पद्धति को उन्नत बताते हुए उन्होंने कहा कि आरोग्य भारती ने सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति को अपनाने का विचार रखा है।

संघ की समन्वय मीटिंग में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी जागरण मंच द्वारा जनजागरूकता बढ़ाने की बात कही गई। डॉ वैद्य ने अर्थव्यवस्था को मापने का पैमाना सिर्फ GDP तक सीमित न रखने का विचार रखा।

डॉ. मनमोहन वैद्य ने कोरोना काल में देश की एकजुटता को याद दिलाते हुए न सिर्फ डॉक्टर और सुरक्षाकर्मियों की तारीफ की बल्कि आम नागरिकों द्वारा किए गए सहयोग को भी सराहा। उन्होंने कहा कि संघ कार्य कोरोना में थोड़ा बाधित हुआ था पर अब फिर जोर पकड़ चुका है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

240 पुस्तकें, 50 रिसर्च पेपर… स्वामी रामभद्राचार्य को ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ क्यों? जो 500 सालों में नहीं हुआ वो भी कर दिखाया: संत नहीं, पुरस्कृत...

स्वामी रामभद्राचार्य को 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' क्यों? ये लेख उनके लिए नहीं है जो सवाल पूछ रहे, उन आम लोगों के लिए है जो उस गिरोह के भ्रमजाल का निशाना हैं। जिनका पढ़ने-लिखने से कोई वास्ता ही नहीं, वो क्या समझेगा कि 2 महीने की उम्र में अपने नेत्र खोने वाला शिशु कालांतर में 240 पुस्तकें और 50 शोधपत्र प्रकाशित कर देगा।

अब इकोनमी ही नहीं, डिफेंस सेक्टर में भी ग्लोबल पॉवर बनकर उभरा है भारत: ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखा दम, नई डिफेंस पॉलिसी...

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सैन्य शक्ति, रणनीतिक क्षमता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन था। जो खुद पहल कर के निर्णायक कार्रवाई करता है।
- विज्ञापन -