Tuesday, November 5, 2024
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1992 दंगों में जिस गुरुकुल को किया तबाह, वहाँ फिर घुस रही थी मुस्लिम भीड़: खौफनाक मंजर देख एक व्यक्ति ‘विक्षिप्त’ – चश्मदीद ने सब बताया

भीड़ गाँव से निकल कर गुरुकुल की ओर गई। वहाँ कई छोटे-छोटे बच्चे वेदपाठ करते हैं। भीड़ इस गुरुकुल में घुसना चाह रही थी। गुरुकुल के बच्चों की चीखने और चिल्लाने की आवाजें काफी दूर तक सुनाई दे रहीं थीं।

हरियाणा के नूहं क्षेत्र में 31 जुलाई को मेवात शोभा यात्रा पर हुए हमले के बाद अब तक 44 FIR दर्ज हुईं हैं। इस हिंसा में अब तक 116 उपद्रवियों को गिरफ्तारियाँ हुईं हैं, जिन्हे रिमांड पर लेकर पूछताछ होने जा रही है। इलाके में रैपिड एक्शन फ़ोर्स उतार दी गई है। इस बीच घटना के चश्मदीदों ने ऑपइंडिया को हिंसा के दौरान मुस्लिम भीड़ द्वारा की गई क्रूरता के बारे में बताया। साथ ही सामने आए कई वीडियो में अल्लाह हु अकबर, नारा ए तकबीर बोलती भीड़ सड़कों पर घूमती दिखी।

जिस गाँव के शक्ति सैनी को मार कर बड़कली चौक के पास फेंक दिया गया था, वहाँ से एक पीड़ित हिन्दू ने ऑपइंडिया को सम्पर्क किया। सुरक्षा की चिंता में हमसे बात करने वाले व्यक्ति ने अपना नाम गुप्त रखने की माँग की। पीड़ित हिन्दू ने हमसे बताया कि भाड़स गाँव मुस्लिम बाहुल्य है। गाँव में लगभग 4500 वोट है, जिसमें लगभग 3800 वोट मुस्लिमों के हैं। गाँव में हिन्दुओं की आबादी में सैनी, प्रजापति और SC समुदाय के लोग हैं। गाँव के प्रधान का नाम शौकत है।

घटना के दिन का जिक्र करते हुए हमें बताया गया कि उस दिन आस-पास के गाँव में रहने वाले चरमपंथी मुस्लिमों की भीड़ टोली बना कर पूरे नूहं में घूम रही थी। यही भीड़ भाड़स गाँव में भी घुसी। गाँव के प्रधान से उन्होंने बीच से हट जाने के लिए कहा। दावा है कि भीड़ गाँव में बचे हिन्दुओं को मारना चाहती थी। हमें यह भी बताया गया कि ग्राम प्रधान शौकत ने जवाब दिया, “कर के तुम सब चले जाओगे और भुगतना हमें पड़ेगा।” बताया गया कि गाँव में थोड़ी देर पहले पुलिस का DSP आया था और गाँव के प्रधान से सबकी सुरक्षा करने में सहयोग करने के लिए कहा था।

पीड़ित हिन्दू ने हमें बताया कि भीड़ तीन बार गाँव में घुसने का प्रयास की। हर बार भीड़ में पहले से अधिक लोग हुआ करते थे। इस बीच पुलिस की मूवमेंट के बारे में पूछने पर हमें बताया गया:

“खाकी वाले तो अपनी खुद की जान बचाते छिप रहे थे।”

हमसे बात करने वाले शख्स ने यह भी बताया कि जब भीड़ गाँव में नहीं घुस पाई तो वह बड़कली चौक की तरफ बढ़ गई। यहाँ एक युवा आचार्य तरुण गुरुकुल चलाते हैं। गुरुकुल में कई छोटे-छोटे बच्चे वेदपाठ करते हैं। भीड़ इस गुरुकुल में घुसना चाह रही थी। सही समय पर बच्चों ने गुरुकुल के गेट बंद कर लिए, वरना बड़ी घटना हो सकती थी।

पीड़ित हिंदू हमसे बातचीत में काफी डरा हुआ था। हालाँकि वह अपने घर में था फिर भी काफी धीमी आवाज में बात कर रहा था। काँपती आवाज में उसने हमें आगे बताया कि गुरुकुल के बच्चों की चीखने और चिल्लाने की आवाजें काफी दूर तक सुनाई दे रहीं थीं।

बातचीत के दौरान यह भी दावा किया कि इस खौफनाक मंजर को देख कर गुरुकुल में खाना बनाने वाला रसोइया मानसिक विक्षिप्त सा हो गया है और अभी तक पागलों जैसी हरकतें कर रहा है। उसने बताया कि दूर कहीं पुलिस के सायरन को सुनने के बाद भीड़ तितर-बितर हुई और बच्चों की जान बच पाई।

ग्रामीण ने हमें आगे बताया कि गुरुकुल को साल 1992 में बाबरी ढाँचा ध्वस्त होने के बाद तबाह कर दिया गया था। आचार्यों ने फिर से उसे बसाया लेकिन इस बार उससे भी भयानक हालात दिखे। हालाँकि अब गाँव में रैपिड एक्शन फ़ोर्स तैनात है लेकिन हिंसा के बाद के 24 घंटे उन्होंने बिना किसी पुलिस सुरक्षा के काटने का दावा किया। इस पूरी बातचीत की रिकॉर्डिंग ऑपइंडिया के पास मौजूद है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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