Saturday, May 17, 2025
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इस्लामी टोपी में कहो ईद मुबारक, वरना नंबर कटेंगे: प्रिंसिपल बुशरा मुस्तफा का ऑर्डर, विरोध पर बोली- अपने बच्चों को स्कूल से हटा लें

न्याय नगर पब्लिक स्कूल में बच्चों से करवाई जा रही एक्टिविटी के बारे में जब हिंदू संगठनों को पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया और स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत दी। आरोप लगाया जा रहा है कि इस तरह इस्लामी पोशाक में छोटे बच्चों से ये सब करवाना धार्मिक भावनाएँ ठेस पहुँचाने के लिए किया गया।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक CBSE स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों को ईद के मौके पर इस्लामी पोशाक पहन कर वीडियो बनाने को कहा गया। झूँसी के न्याय नगर पब्लिक स्कूल में ये आदेश स्कूल प्रिंसिपल बुशरा मुस्तफा द्वारा जारी करवाया गया। उन्होंने  नर्सरी और यूकेजी के छात्रों को एक्टिविटी के नाम पर 20 सेकेंड वीडियो बना कर सबको ईद मुबारक कहने को कहा। आदेश में ये भी साफ कहा गया कि ईद मुबारक कहते हुए लड़कों को सलवार कुर्ते  के साथ ईद वाली टोपी पहननी और लड़कियों को सलवार कुर्ते के साथ दुपट्टा लेना अनिवार्य है। एक्टिविटी के नंबर वार्षिक परीक्षा में भी जोड़े जाएँगे।

स्कूल द्वारा छात्रों को दी गई एक्टिविटी

अब आदेशानुसार ये एक्टिविटी 2 मई के लिए निर्धारित की गई थी। लेकिन अभिभावकों को जब इसकी खबर हुई तो उन्होंने इस पर आपत्ति जताई। दूसरी ओर हिंदू संगठनों को इसका पता चला तो स्कूल और स्कूल की प्रिंसिपल का विरोध शुरू हो गया। विश्व हिंदू परिषद, हिंदू जनजागृति समिति जैसे संगठनों ने मामले के संबंध में शिकायत दी। इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हनन बताया। संगठनों ने कहा कि इस तरह के निर्देश देना कि अगर को विद्यार्थी इस एक्टिविटी का हिस्सा नहीं बनता तो उसके फाइनल एग्जाम में नंबर नहीं मिलेंगे, एक तरह का मानसिक धर्मांतरण है।

विश्व हिंदू परिषद द्वारा इस मामले में स्कूल प्रिंसिपल बुशरा मुस्तफा के खिलाफ प्रयागराज के कीडगंड थाने में आईपीसी की धारा 295-ए, 153-ए और 67 के तहत एफआईआर हुई है। आरोप है कि स्कूल प्रिंसिपल ने सांप्रदायिक सोच का होने के चलते अपने पद का दुरुपयोग किया और सोची समझी साजिश के तहत हिंदुओं की धार्मिक भावनाएँ आहत करने का काम, शिक्षा संस्थानों का माहौल खराब करने का काम, बच्चों के बीच धार्मिक भेदभाव पैदा करने का काम और छोटे बच्चों के मन में साम्प्रदायिकता का जहर घोलने का काम किया। शिकायत में ये भी कहा गया कि 3 मई को ईद के अलावा परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया थी लेकिन इससे जुड़ी कोई एक्टिविटी बच्चों को नहीं दी गई।

बता दें कि इस एक्टिविटी के कारण शुरू हुए विवाद पर बुशरा मुस्तफा का बयान आया है। उन्होंने हिंदू त्योहारों पर कराई जाने वाली एक्टिविटीज का हवाला देकर कहा कि जैसे दशहरा, दीवाली, 15 अगस्त, 26 अगस्त पर गतिविधियाँ होती हैं। वैसे ही ईद पर भी बच्चों को करने को कहा गया। ये अनिवार्य नहीं है। जो अभिभावक इससे सहमत नहीं हैं वो अपने बच्चे को विद्यालय से हटा सकते हैं। ये गतिविधियाँ छात्रों में आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए कराई जाती हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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