संसद द्वारा 11 दिसंबर को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पारित होने के बाद, वर्ष 2000 से कोटा में रह रहे पाकिस्तान के आठ हिन्दू शरणार्थियों को सोमवार (30 दिसंबर) को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई। इन सभी शरणार्थियों को कोटा के ज़िला कलेक्टर द्वारा नागरिकता का प्रमाण पत्र दिया गया था।
Om Prakash Kasera, Kota District Collector: Eight people had come from Pakistan, and have been living here since 2000. The Home Department of the state govt has issued orders to provide citizenship to them. (30.12) #Rajasthan pic.twitter.com/tg9T3EtsxR
— ANI (@ANI) December 31, 2019
ख़बर के अनुसार, वे धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के बाद पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भागकर हिन्दुस्तान आ गए थे। नए नागरिकों ने “इस बात पर ख़ुशी ज़ाहिर की कि अब वे भारतीय संविधान के अनुसार एक भारतीय नागरिक के रूप में अपना जीवन जी सकेंगे।”
भारतीय नागरिकता प्राप्त करने वालों में से एक ने कहा,
“हम यहाँ आए क्योंकि हमारे परिवार पहले से ही यहाँ हैं। हमें नागरिकता देने के लिए हम भारत के बहुत आभारी हैं। मैं बहुत ख़ुश हूँ और अपनी ख़ुशी व्यक्त करने लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं।”
इसके अलावा, एक अन्य शख़्स ने कहा, “हम 20-25 साल से यहाँ रह रहे हैं। हमने यहाँ कभी किसी समस्या का सामना नहीं किया। और वहाँ रहने वाले सभी सिंधी भारत आना चाहते हैं। हम यहाँ बहुत ख़ुश हैं। हमने अब तक किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं किया है।”
जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्य में नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर फ़ॉर सिटीजन (NRC) लागू नहीं किया जाएगा, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे नागरिकता देने की एक नियमित प्रक्रिया बताया।
ग़ौरतलब है कि नागरिकता संशोधन क़ानून 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आए ग़ैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का काम करता है। यह उन लोगों पर लागू होता है, जिन्हें धर्म के आधार पर उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया था। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को अवैध प्रवास की कार्यवाही से बचाना है। नागरिकता के लिए कट-ऑफ की तारीख 31 दिसंबर, 2014 है, जिसका अर्थ है कि आवेदक उस तारीख को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुका हो।
नागरिकता (संशोधन) कानून की आवश्यकता क्यों?
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