Saturday, July 27, 2024
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मिया खलीफा, ग्रेटा, रिहाना से टिकैत को दिक्कत नहीं लेकिन इनके बारे में पूछे जाने पर कहा- वैसे ये हैं कौन?

“हर गाँव से एक ट्रैक्टर, 15 लोग लगभग 10 दिन तक यहाँ रहेंगे। विरोध प्रदर्शन इस रणनीति के आधार पर आगे बढ़ेगा। सरकार कृषि क़ानून के प्रदर्शन को लंबा खींचना चाहती है, वह बातचीत से इस मुद्दे का हल नहीं निकालना चाहती है। सरकार यही चाहती है तो प्रदर्शनकारी भी इसे लंबा खींचने के लिए तैयार हैं।”

बीते कुछ दिनों में किसान आंदोलन की आड़ में जारी उपद्रव अंतरराष्ट्रीय हो चुका है। अमेरिकी- कैरेबियाई गायिका रिहाना और स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी इस मुद्दे पर प्रोपेगेंडा फ़ैलाने के साजिशों का हिस्सा रहीं। मिया खलीफा सहित जब इन अंतरराष्ट्रीय चेहरों का समर्थन मिलने पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था कि इसमें परेशानी ही क्या है। लेकिन जब उनसे इन हस्तियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। इस पर राकेश टिकैत ने कहा, “मैं उन्हें क्यों जानू, किया होगा समर्थन, मुझे क्या पता? वैसे ये हैं कौन?”

राकेश टिकैत से बातचीत में उन्हें बताया गया कि अमेरिकी गायिका रिहाना, जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और वयस्क फिल्मों में काम करने वाली मिया खलीफा ने ‘किसान आंदोलन’ का समर्थन किया है। इस पर राकेश टिकैत ने कहा, “कौन हैं ये विदेशी कलाकार, मैं इन्हें नहीं जानता हूँ। लेकिन कोई विदेशी अगर हमारा समर्थन कर रहा है तो इससे क्या परेशानी हो सकती है, न तो हमसे कुछ ले रहा है और न ही हमें कुछ दे रहा है।” 

इसके अलावा राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को जारी रखने की योजनाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस रणनीति के तहत यह कथित किसान आंदोलन आगे बढ़ेगा। टिकैत के मुताबिक़, “हर गाँव से एक ट्रैक्टर, 15 लोग लगभग 10 दिन तक यहाँ रहेंगे। विरोध प्रदर्शन इस रणनीति के आधार पर आगे बढ़ेगा। सरकार कृषि क़ानून के प्रदर्शन को लंबा खींचना चाहती है, वह बातचीत से इस मुद्दे का हल नहीं निकालना चाहती है। सरकार यही चाहती है तो प्रदर्शनकारी भी इसे लंबा खींचने के लिए तैयार हैं।” 

इसके अलावा गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद प्रदर्शनकारियों से मिलने के लिए 15 सांसद आए थे। जिनका प्रयास असफल रहा था, इसकी वजह ये थी कि दिल्ली पुलिस ने सांसदों को रोक दिया था। नतीजतन 15 सांसद अवरोधक के दूसरी तरफ ज़मीन पर बैठे थे। उनकी प्रदर्शनकारियों से कोई बात नहीं हो पाई थी, कई प्रयासों के बावजूद वह सफल नहीं हो पाए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ गुरुवार को पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, मथुरा और अलीगढ़ के कई किसान समर्थक भी गाजीपुर बॉर्डर पर पहुँचे थे।        

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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