Wednesday, January 15, 2025
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भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में 3 दिनों से भगवान हैं भूखे, न लग रहा भोग-न हो रही पूजा: मकर संक्रांति के अनुष्ठान भी नहीं हुए पूरे, जानिए क्यों?

मंदिर प्रशासन विवाद को शांत करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है। विवाद को निपटाने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक भी की गई है। इस बैठक में कानून मंत्री भी शामिल थे।

ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित लिंगराज मंदिर में सेवादारों के दो समूहों के बीच हुए विवाद के बाद सोमवार (13 जनवरी, 2025) से भगवान को भोग नहीं लगाया जा रहा है। सेवादारों के दो समूहों में आपसी मतभेद के चलते मकर संक्रांति के अनुष्ठान भी नहीं हो पाए हैं।

यह विवाद बादु निजोग और महासूरा निजोग सेवादारों के बीच में चल रहा है। यह विवाद मकर संक्रांति को ही लेकर चालू हुआ है। मकर संक्रांति के दौरान लिंगराज मंदिर में तीन दिनों तक विशेष अनुष्ठान होते हैं। लिंगराज मंदिर में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर ‘पुष्यभिषेक संध्या धूप’ के साथ सारे अनुष्ठान शुरू होते हैं।

इस दौरान मंदिर में स्थापित देव को गर्भगृह से बाहर लाकर लिंगराज मंदिर के परिसर में स्थित ‘मकर मंडप’ के ऊपर बैठाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन, ‘मकर घी’ या ‘घृत कमला’ को ‘घृत कमला लगी’ अनुष्ठान में देवता को चढ़ाया जाता है। यह मकर घी, बडू साही के कुछ विशिष्ट परिवारों से एकत्र किए गए दूध से तैयार किया जाता है।

विश्वास है कि ‘घृत कमला’ देवता को सर्दियों के सूखेपन से राहत दिलाने के लिए लगाया जाता है। बादु निजोग सेवादार इस दूध को उबालते हैं और घी तैयार करते हैं। इसके बाद जब घी निकलता है तो उसे घृत कमला रूप में बादु निजोग और महासूरा निजोग सेवकों द्वारा चढ़ाया जाता है।

सोमवार को बादु निजोग सेवादारों ने इस बात कि जिद की कि वह महासूरा सेवादारों को बिना साथ लिए घी चढ़ाएँगे। महासूरा सेवादारों ने इसका विरोध किया। इसके चलते ‘पुष्यभिषेक संध्या धूप’ के बाद घृत कमला नहीं चढ़ाया गया। देवता को केवल दो दिनों के लिए मकर मंडप में बैठाया गया है। मंदिर भक्तों के लिए खुला है लेकिन अनुष्ठान निलंबित हैं।

बादु निजोग समूह के एक सेवादार ने कहा, “हम हर साल यह अनुष्ठान करते आ रहे हैं और मंदिर प्रशासन को भी इसकी जानकारी है। दरअसल, भगवान को चढ़ाए जाने वाले घी को बादु निजोग परिवारों में बाँटा जाता है। महासुआरा निजोग के सदस्य अगर सिर्फ घी पकाने के आधार पर अनुष्ठान का दावा करते हैं तो इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी।”

मंदिर प्रशासन विवाद को शांत करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है। ब्राह्मण निजोग के सचिव बिरंची नारायण ने घृत कमला अनुष्ठान के बारे में बात करते हुए कहा कि घृत कमला लागी का पहला दौर महसूरा सेवादारों द्वारा किया जाता है और फिर बादु सेवादार इसे संभालते हैं।

विवाद को निपटाने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक भी की गई है। इस बैठक में कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन, आयुक्त, खुर्दा कलेक्टर, कानून विभाग के सचिव, स्थानीय विधायक और बादु निजोगों के सेवक मौजूद थे। बैठक में भी कोई हल नहीं निकला।

दोबारा बैठक ‘ब्राह्मण निजोगों’ की मौजूदगी में होगी क्योंकि पहले की बैठक में नहीं थे और फैसला रुक गया था। कानून मंत्री ने मामले की जाँच की भी घोषणा की और कहा कि राज्य सरकार हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज के माध्यम से जाँच करवाएगी। कानून मंत्री ने ट्रस्ट बोर्ड की बैठक बुलाकर भोग प्रसाद वापस चालू करने का प्रयास किया जाएगा।

कानून मंत्री ने दोनों पक्षों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर विवाद नहीं निपटाया गया तो सख्त कदम उठाए जाएँगे। कानून मंत्री हरिचंदन ने कहा, “यह मामला बेहद निंदनीय है। अगर वाकई कोई समस्या थी तो वे मिल-बैठकर इसका समाधान निकाल सकते थे। भगवान लिंगराज के अनुष्ठान को रोकना बेहद निंदनीय है।”

इस गतिरोध गतिरोध से भक्तों में गुस्सा है और उन्होंने दोनों समूहों की निंदा भी की है तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की माँग की है। एक नाराज भक्त ने कहा, “भगवान लिंगराज पिछले तीन दिनों से भूखे हैं। सेवायतों की वजह से ही भगवान लिंगराज को भूखे रहना पड़ रहा है। यह बेहद निंदनीय है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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