Monday, October 14, 2024
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4 साल की बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे फिरोज को फाँसी नहीं… जो वकील अब मना रहा खुशी, उसकी माँग थी – पंडित को हो फाँसी

वकील नितिन मेश्राम के दोमुँहे रवैये के सामने आने पर यूजर्स उनसे सवाल कर रहे हैं कि अगर पंडित और फिरोज दोनों दोषी (हालाँकि पंडित तो वकील के ट्वीट करने समय आरोपित ही था, अपराध साबित नहीं हुआ था) हैं तो दोनों के लिए फाँसी की माँग क्यों नहीं?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (19 अप्रैल 2022) को 4 साल की बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे मोहम्मद फिरोज की फाँसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “हर पापी का भी भविष्य है और इस मामले में न्याय यही है कि दोषी की फाँसी की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी जाए।”

न्यायाधीश यूयू ललित, एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी की तीन सदस्यीय पीठ ने अपना फैसला सुनाते यह भी कहा, “अपराधी को सुनाई गई अधिकतम सजा उसके विकृत मानसिकता को दुरुस्त करने के लिए हमेशा निर्णायक कारक नहीं हो सकती।” 19 अप्रैल को दिए गए इस फैसले में पीठ ने यह भी कहा कि जेल से रिहा होने पर उसे सामाजिक रूप से उपयोगी व्यक्ति बनने के लिए अवसर दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से वकील नितिन मेश्राम (Nitin Meshram) बेहद खुश हैं। उन्होंने ट्वीट करके अपनी खुशी का इजहार किया है। वह लिखते हैं, “मुझे 2014 में इस मामले में फाँसी की सजा पर स्टे मिला था। खुशी है कि उसकी फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया है। अपना जीवन जियो फिरोज।”

बलात्कारी और हत्यारे फिरोज को फाँसी की सजा नहीं दिए जाने से खुश वकील नितिन मेश्राम (Nitin Meshram) अपने पुराने ट्विट्स को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल, यह वही वकील हैं, जिन्होंने कभी बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपित (दोषी साबित भी नहीं हुआ था) जाने पर एक पंडित को फाँसी की सजा देने की माँग की ​थी।

ट्विटर पर नितिन मेश्राम के पुराने ट्वीट शेयर किए जा रहे हैं। उन्होंने पिछले साल 3 अगस्त को ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपित पंडित अगर दोषी पाया जाए तो उस पंडित को फाँसी पर लटकाया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के वकील नितिन मेश्राम (Nitin Meshram) शायद अपना पिछला ट्वीट भूल गए होंगे। तभी 21 अप्रैल 2022 को वह ट्वीट करके सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, जिसमें 4 साल की बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे की फाँसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया जाता है। इतना ही नहीं, वो यह भी लिखते हैं कि फिरोज अपनी जिंदगी जियो।

सोशल मीडिया पर वकील नितिन मेश्राम के दोमुँहे रवैये के सामने आने पर यूजर्स उनसे सवाल कर रहे हैं कि अगर पंडित और फिरोज दोनों दोषी (हालाँकि पंडित तो वकील के ट्वीट करने समय आरोपित ही था, अपराध साबित नहीं हुआ था) हैं तो दोनों के लिए फाँसी की माँग क्यों नहीं?

मध्य प्रदेश HC से फिरोज को फाँसी

17 अप्रैल 2013 को मध्य प्रदेश के सेओनी जिले के एक गाँव में 35 साल के मोहम्मद फिरोज ने 4 साल की एक बच्ची से दुष्कर्म किया था। बच्ची के साथ इस घिनौनी हरकत को फिरोज ने घनसौर में अंजाम दिया था और बाद में उसे एक खेत में फेंक दिया था। बच्ची के माता-पिता ने उसे बेहोशी की हालत में पाया था और अगली सुबह उसे जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज ले गए। यहाँ से बच्ची को एयर एंबुलेंस के माध्यम से नागपुर ले जाया गया और रामदासपेठ इलाके के केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहाँ इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मध्य प्रदेश के एक निजी पावर प्लांट में काम करने वाले फिरोज को पुलिस ने बिहार में भागलपुर जिले के हुसैनाबाद इलाके से गिरफ्तार किया गया था। 2014 में, मध्य प्रदेश के सिवनी कोर्ट में सत्र न्यायालय ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया था। निचली अदालत ने इस मामले में सुनवाई के दौरान उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत बच्ची की हत्या करने के लिए मृत्यु दंड और दुष्कर्म के लिए उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

फिरोज ने इसके बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यहाँ उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद भी उसने हार नहीं मानी। अपराधी फिरोज ने सुप्रीम कोर्ट में मृत्यु दंड की सजा के खिलाफ अपील की थी। अदालत ने मामले में हाई कोर्ट और निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए उसके मृत्यु दंड को उम्र कैद में बदल दिया।

4 साल की बच्ची का रेप कर फेंका था फिरोज

बता दें कि घर लेने की तलाश में निकले मोहम्मद फिरोज खान और राकेश चौधरी एक दिन बच्ची की माँ के घर पहुँचे। उसके (माँ) इनकार करने पर राकेश चौधरी वहाँ से चला गया था, जबकि फिरोज खान ने मौके का फायदा उठा कर घर के आंगन में खेल रही 4 साल की बच्ची को अगवा कर लिया था।

इसके बाद पीड़ित परिवार ने स्थानीय थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। अगले दिन, लड़की खेत में बेहोश पड़ी मिली। दोनों आरोपितों को बिहार के भागलपुर के हुसैनाबाद से गिरफ्तार किया गया था।

इन दोनों पर ट्रायल कोर्ट में मुकदमा चलाया गया था। राकेश चौधरी को पहले आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से उसे बरी कर दिया गया था। वहीं, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने फिरोज को फाँसी की सजा सुनाई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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