नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर दाखिल 144 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (22 जनवरी 2020) को कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही ये भी कहा है कि इस कानून को लेकर असम और त्रिपुरा का मामला अलग से सुना जाएगा।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सीएए से संबंधित 144 याचिकाओं पर सुनवाई की।
Supreme Court asks Centre to file reply in four weeks. https://t.co/Twc0f7kMA2
— ANI (@ANI) January 22, 2020
सीएए की संवैधानिक वैधता को इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, असम गण परिषद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द, जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा, देव मुखर्जी, असदुद्दीन ओवैसी, तहसीन पूनावाला व केरल सरकार सहित अन्य ने चुनौती दी थी।
सीएए की सुनवाई के दौरान एक्ट को चुनौती देने वाले पक्ष की दलील रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बुधवार को कोर्ट में कहा कि जबतक इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती तब तक इस को निलंबित कर दिया जाना चाहिए। बता दें, कपिल सिब्बल ने इस दौरान संविधान पीठ के गठन की माँग भी की थी। इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि वह केंद्र की पूरी बात सुने बिना एकतरफा आदेश नहीं दे सकते हैं।
चीफ जस्टिस ने कहा कि सभी याचिकाओं को केंद्र के पास पहुँचना जरूरी है। इसके अतिरिक्त सिब्बल की निलंबन वाली दलील पर चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि यह एक तरीके से रोक की ही बात होगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि असम और त्रिपुरा से दाखिल CAA विरोधी याचिकाओं की अलग से सुनवाई होगी। अब कोर्ट में इस मामले पर इससे ज्यादा याचिका दाखिल नहीं होगी।
असम, त्रिपुरा पर अलग से सुनवाई
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने इस सुनवाई के दौरान कहा कि हम सरकार से कुछ अस्थायी परमिट जारी करने के लिए कह सकते हैं। वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने असम में अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में एक पूर्व आदेश की माँग की। उन्होंने कहा कि असम की स्थिति अलग है, पिछली सुनवाई के बाद से 40,000 लोग असम में प्रवेश कर चुके हैं।
CJI asks Centre – When will you file a petition pertaining to Assam? Attorney General KK Venugopal tells the court – We will file the petition in two weeks. CJI says – Alright, we can hear it after two weeks. https://t.co/YIjADe4Vau
— ANI (@ANI) January 22, 2020
सुप्रीम कोर्ट में सीएए के ख़िलाफ़ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में भीड़ का सवाल उठाते हुए कहा कि कोर्ट का मौहाल शांतिपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने अमेरिका और पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम के अंदर आगुंतकों के नियम का हवाला भी दिया।
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में से करीब 60 की प्रतियाँ सरकार को दी गई हैं। इन्हीं प्रतियों पर अभी तक उन्होंने जवाब तय किया गया है, जबकि कोर्ट में 144 याचिका दायर की गई है। वेणुगोपाल ने इस दौरान कोर्ट से अब और याचिका न दाखिल करने की माँग उठाई। लेकिन शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में वह जल्दबाजी में कोई आदेश नहीं दे सकती।
Supreme Court hearing on petitions related to #CitizenshipAmendmentAct: Kapil Sibal says, Court to decide whether this case should be referred to the Constitution Bench pic.twitter.com/wQUn6Wc1Z7
— ANI (@ANI) January 22, 2020
गौरतलब है कि इससे पहले गत 9 जनवरी को चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर देशभर में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर चिंता जताते हुए कहा था कि वह इस मामले में तभी सुनवाई करेंगे जब हिंसा रुकेगी। साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि देश कठिन दौर से गुजर रहा है।