Wednesday, April 24, 2024
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कैंपस यूनिवर्सिटी की, बन गई मस्जिद: सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान के जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन वापस लेने पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12.5 एकड़ छोड़ कर बाकी जमीन पर नियंत्रण लेने के यूपी सरकार के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार किया था।

उत्तर प्रदेश के रामपुर स्थित मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को आवंटित जमीन वापस लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 अप्रैल 2022) को रोक लगा दी। मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की याचिका पर शीर्ष अदालत ने यह अंतरिम आदेश पारित किया। सपा नेता आजम खान (Azam Khan) इस ट्रस्ट के अध्यक्ष है। याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें यूनिवर्सिटी को आवंटित जमीन वापस लेने की प्रशासनिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया गया था।

ट्रस्ट पर यूनिवर्सिटी के लिए आवंटित जमीन पर मस्जिद बनाने व अन्य अनधिकृत निर्माण का आरोप है। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने अं​तरिम आदेश पारित किया है। मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12.5 एकड़ छोड़ कर बाकी जमीन पर नियंत्रण लेने के यूपी सरकार के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार किया था।

हाई कोर्ट ने क्या कहा था

दरअसल, विश्वविद्यालय निर्माण के लिए करीब 471 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी। जिला प्रशासन ने कहा कि केवल 12.50 एकड़ जमीन ही ट्रस्ट के अधिकार में रहेगी। सपा नेता जौहर ट्रस्ट ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में गुहार लगाई। पर हाई कोर्ट ने निर्णय दिया कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर द्वारा अधिग्रहित 12.50 एकड़ जमीन के अतिरिक्त जमीन को राज्य में निहित करने के एडीएम वित्त का आदेश सही था। कोर्ट ने एसडीएम की रिपोर्ट और एडीएम के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी थी। 

हाई कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना जिलाधिकारी की अनुमति के अवैध रूप से ली गई। अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया। ग्राम सभा की सार्वजनिक उपयोग की चक रोड जमीन व नदी किनारे की सरकारी जमीन ले ली गई। किसानों से जबरन बैनामा करा लिया गया, जिसमें 26 किसानों ने पूर्व मंत्री एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खान के खिलाफ FIR दर्ज कराई। विश्वविद्यालय का निर्माण पाँच साल में होना था, जिसकी वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी गई। कानूनी उपबंधों व शर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर हस्तक्षेप नहीं कर सकते।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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