Monday, June 3, 2024
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4 साल की बच्ची का 3 दिन से पड़ा है शव: ईसाई परिवार पढ़ रहा बाइ​बल, कहा- नहीं करेंगे दफ़न, प्रार्थना से होगी जिंदा

गुरुवार की शाम अरविंद की बेटी महिमा को उल्टी और पेट में दर्द शुरू हुआ। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद से परिजन उसके जिंदा होने की आस लिए उसके शव के पास पढ़ रहे हैं बाइ​बल।

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। एक ईसाई परिवार पिछले तीन दिन से चार साल की मृत बच्ची को जिंदा करने की कोशिश में लगा हुआ है। जिले के भुडकुडा थाने के सिसवार गाँव में रहने वाले अरविंद और उनका परिवार चार साल की मृत बेटी को वापस जिंदा करने के लिए प्रभु यीशु की प्रार्थना कर रहे हैं। हद तो तब हो गई जब वह पुलिस के समझाने पर भी वे नहीं माने और बच्ची के शव के पास बाइ​बल पढ़ते रहे।

गुरुवार (नवंबर 14, 2019) शाम बच्ची की मौत हो गई थी। लेकिन दफनाने की बजाए परिजन शव को उत्तर प्रदेश के मऊ के करुबीर गाँव में अपने रिश्तेदार के घर ले गए और वहाँ उसके जीवित होने के लिए ‘प्रार्थना’ करने लगे। बता दें कि कुछ साल पहले ईसाई धर्म को अपनाने वाले इस परिवार को उसके समुदाय के लोगों ने आश्वस्त किया था कि बच्चे को यीशु से प्रार्थना करके पुनर्जीवित किया जा सकता है।

गुरुवार की शाम अरविंद की बेटी महिमा को उल्टी और पेट में दर्द शुरू हुआ, जिसके बाद उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने महिमा को उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के एक दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया। हालाँकि, महिमा की हालत बिगड़ गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

इसके बाद बच्ची के पिता अरविंद उसके शव को लेकर अपने ससुराल पहुँच गए। वहाँ पर तीन दिनों तक मृत बच्ची के शव के रखकर परिवार वाले उसे जीवित करने की प्रार्थना करने लगे। जौनपुर निवासी राजेंद्र चौहान के कहने पर अरविंद ने बच्ची के शव को नहीं दफनाया। राजेंद्र के कहने पर गाँव के कुछ लोगों ने बच्ची के जिंदा होने की उम्मीद से उसे एक झोपड़ी में रख दिया और प्रर्थना करने लगे। लगातार तीन दिन से चल रही प्रार्थना की सूचना मिलने पर एसपी अनुराग आर्य ने एसओ विनोद कुमार तिवारी को पुलिस की एक टीम के साथ जाँच के लिए भेजा।

एसओ ने परिवार वालों को बहुत समझाया लेकिन परिजन शव का दफनाने के लिए तैयार नहीं हुए। पूछताछ में पता चला कि इस अंधविश्वास में पूरा गाँव शामिल था। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि गाँव की सरिता नाम की एक लड़की को भी डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, लेकिन यीशु से प्रार्थना के बाद वह ‘पुनर्जीवित’ हो गई और अब अपने परिवार के साथ रह रही है। ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि ईसाई ग्रामीण जो अज्ञानी लोगों को अंधविश्वास की ऐसी प्रथाओं में विश्वास करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, वो पिछले 12 सालों से जबरन धर्मांतरण भी करवा रहे थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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