Sunday, April 28, 2024
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अमृत काल में विश्व स्तरीय लक्ष्य: PM मोदी का उद्योग, व्यापार, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में विकसित देशों की बराबरी का संकल्प

अपने संबोधन की समाप्ति पर उन्होंने यह संकल्प दोहराया कि वे और उनकी सरकार हर संभव प्रयास करेंगे कि आज वे जिन बातों का जिक्र कर रहे हैं, आज से 25 वर्षों बाद कोई भी प्रधानमंत्री जब स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले पर खड़ा देश को संबोधित कर रहा हो तो ये सारे काम तब तक हो चुके हों तब के प्रधानमंत्री गर्व से इनका वर्णन कर सकें।

पिछले कई वर्षों से स्वतंत्रता दिवस की वर्षगाँठ पर देश के आम नागरिकों में उत्सुकता रहती है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से संबोधित करेंगे तो क्या-क्या बोलेंगे? दूसरी तरफ उनके समर्थकों और प्रशंसकों में यह उत्सुकता रहती है कि वे इस बार कैसी पगड़ी पहनेंगे या ऐसा क्या कहेंगे जिससे भारतवर्ष आश्चर्यचकित रह जाए। मैं आश्वस्त हूँ कि इस वर्ष भी कुछ ऐसा ही माहौल था। प्रधानमंत्री आए और उन्होंने देश संबोधित करते हुए एक प्रेरणाप्रद भाषण दिया। हमेशा की तरह एक विस्तृत भाषण जिसमें देश के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर उनकी सरकार द्वारा किए जा रहे काम का लेखा-जोखा तो था ही, भविष्य के लिए भी एक स्पष्ट दिशा निर्देश का भी वर्णन था।

जब से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर प्रधानमंत्री के संबोधन का चरित्र बदल गया है। पहले हमारे प्रधानमंत्री अपनी सरकार की भविष्य की योजनाओं पर बोलते थे पर जब से नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश को संबोधित करना आरंभ किया है, तब से न केवल भविष्य की योजनाओं की चर्चा होती है बल्कि सरकार द्वारा पिछले वर्ष किए गए कामों का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया जाता है। यह एक ऐसा बदलाव है जो वर्तमान प्रधानमंत्री को पूर्व प्रधानमंत्रियों से अलग करता है।

इस वर्ष प्रधानमंत्री ने न केवल इस समय सरकार द्वारा चलाए जा रहे पचहत्तर सप्ताह लंबे आज़ादी के अमृत महोत्सव की बात की बल्कि अगले पच्चीस वर्षों के अमृतकाल की योजना प्रस्तुत की जिसमें वर्तमान भारत को नए भारत में बदलने की समग्र योजना समाहित है। उन्होंने इस पच्चीस वर्षीय अमृत काल में सरकार द्वारा विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का संकल्प प्रस्तुत किया। इस योजना के अनुसार देश हर क्षेत्र में न केवल समग्र विकास करेगा बल्कि उद्योग, व्यापार, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में विकसित देशों के बराबर खड़ा मिलेगा।

सबसे महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री का यह संकल्प रहा जिसमें उन्होंने एक ऐसे भारत की बात की जिसमें सरकारी परियोजनाएं और सेवाएं न केवल अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे बल्कि एक आम भारतीय के जीवन में सरकारी दखलंदाजी स्तर पर रहे। यह संकल्प दीर्घकालीन लोकतान्त्रिक व्यवस्था को नए तरह से देखने का संकल्प है जिसका स्वागत होना चाहिए। अमृत काल के संदर्भ में प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य भी महत्वपूर्ण है कि; भले ही हम इन उपलब्धियों को हासिल करने के लिए पचीस वर्षों का समय निर्धारित कर रहे हों पर हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि हम उससे पहले ही यह संकल्प पूरा कर लें।

कृषि को लेकर वर्तमान सरकार की योजनाओं और संकल्पों पर पहले से ही काम होता रहा है पर उन्होंने अपने संबोधन में जिस तरह से छोटे किसानों के हितों की बात की उससे स्पष्ट झलक रहा था कि जिन कृषि कानूनों का विरोध हो रहा है, देश में कृषि क्षेत्र की वर्तमान कमियों को पूरा करने में इन कानूनों की भूमिका को लेकर वे पूरी तरह से आश्वस्त हैं। नए सुधारों, विज्ञान और तकनीक की भूमिका के अलावा उन्होंने कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिकों की भूमिका को लेकर जो कहा वह महत्वपूर्ण है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्तमान सरकार कृषि के योगदान को लेकर न केवल सतर्क है बल्कि इस योगदान को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधारों के प्रति वचनबद्ध भी है।

आँकड़े बताते हैं कि तमाम मुश्किलों के बावजूद पिछले कई वर्षों में सरकारी योजनाओं के कार्यान्वन की गति में बड़ा सुधार आया है पर वर्तमान सरकार इस गति को अगले स्तर पर ले जाने पर काम कर रही है। सरकार का प्रयास एक ऐसी व्यवस्था बनाने का है जिसमें तमाम सरकारी क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़ें हों। जल जीवन मिशन, देश भर को रेलवे से जोड़ना, अंतिम व्यक्ति तक बैंकिंग की सुविधा, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, बेहतर डॉक्टरी शिक्षा को लेकर सरकार का दृष्टिकोण ऐसी बातें हैं जो आने वाले समय में भारत के हर कोने में एक नए भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे।

उत्तर-पूर्वी राज्यों को लेकर वर्तमान सरकार की नीति हमेशा से स्पष्ट रही है। खुद प्रधानमंत्री उत्तर-पूर्व में लगातार प्रयासों से बढ़ी रोड और रेल कनेक्टिविटी पर नज़र रखते रहे हैं। यह ऐसा पहलू है जो पिछले कई वर्षों से भारतीय सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में बहस का विषय है। ऐसे में यह आश्चर्य नहीं कि उन्होंने इन राज्यों की राजधानियों को रेल से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना पर भी बात की और साथ ही कृषि उत्पादन में इसे भविष्य का भौगोलिक क्षेत्र भी बताया। एक महत्वपूर्ण बात यह रही कि सहकारिता को लेकर वर्तमान सरकार की नीति और सोच की बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के लिए सहकारिता का क्षेत्र नियम और कानून के लिए नहीं बल्कि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे हमारी संस्कृति के साथ जोड़ना आसान है। सहकारिता को लेकर लेकर पूर्व की सरकारें सीमित सोच रखती थीं।

2014 में रेलवे को लेकर मोदी सरकार की सोच और भविष्य की योजनाएं महत्वपूर्ण मानी जाती थी। आज के भाषण में एक बार फिर से लगा कि वर्तमान सरकार आज भी उन योजनाओं को न केवल महत्वपूर्ण मानती है बल्कि उसे लेकर गंभीरता से काम भी कर रही है। उन्होंने देश के 75 गंतव्यों के लिए 75 नई वंदे भारत रेलगाड़ियों की घोषणा की जो भारतीय रेल को एक नए स्तर पर ले जाने का काम होगा। साथ ही उन्होंने गति शक्ति योजना की घोषणा की जिसका उद्देश्य यह है कि पूरे देश में ऐसे समग्र इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो जो ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाला समय घटाए। यह महत्वाकांक्षी परियोजना है जिससे देश में बनने वाली मूलभूत सुविधाओं को नई दिशा मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में उनकी सरकार द्वारा अनावश्यक पुराने कानूनों और नियमों को रद्द किये जाने की बात की। उनकी सरकार का शुरू से यह मानना रहा कि ढेरों पुराने कानून हैं जिनका रहना सरकारी कार्यों को बाधित करता है। सरकार का यह कदम न केवल आम भारतीय बल्कि उद्योग और व्यापार के लिए भी अच्छा है क्योंकि ये नियम और कानून आधुनिक वैश्विक व्यवस्था के अनुसार न चलने वाले देशों के पीछे रहने का कारण बन सकते हैं।

यह अच्छा है कि सरकार इस बात को लेकर सतर्क भी है और उसपर काम भी कर रही है। साथ ही उन्होंने टैक्स सुधार तथा अन्य प्रशासनिक सुधारों की चर्चा की। एक महत्वपूर्ण बात यह रही कि उन्होंने राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों से यह अनुरोध किया कि वे अपने वर्तमान कानूनों और नियमों की समीक्षा के लिए आयोग का गठन करें। उनका यह अनुरोध इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि ढेरों नियम कानून हैं जो किसी राज्य की प्रगति में बाधा डालते हैं।

नई शिक्षा नीति को लेकर भी संबोधन आवश्यक था। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा की भूमिका की चर्चा इसलिए आवश्यक थी क्योंकि तमाम प्रतिभाएं भाषा की वजह से पीछे रह जाती हैं और वर्तमान सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति प्रतिभा को आगे आने में सहायक साबित होगी। शिक्षा नीति में खेलों को मुख्यधारा में लाने की सरकार की योजना की भी चर्चा की। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर किए गए सरकार के प्रयासों के साथ-साथ उन्होंने भविष्य की जिन योजनाओं की घोषणा की, उससे भारत वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में खुद को आगे रख सकेगा। एक महत्वपूर्ण घोषणा भारत के अगले 25 वर्षों में एक एनर्जी इंडिपेंडेंट नेशन बनने की रही। भारत के लिए अपने आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति की पहली शर्त यही है कि हम जल्द से जल्द एक एनर्जी इंडिपेंडेंट नेशन बने और प्रधानमंत्री की यह घोषणा सामयिक भी है और आवश्यक भी।

प्रधानमंत्री ने कोरोना के बाद एक न्यू वर्ल्ड ऑर्डर की बात की जो आर्थिक और सामरिक दृष्टि से शायद बिल्कुल नया होगा। साथ ही उन्होंने आतंकवाद और विस्तारवाद के खतरे की भी बात की जिससे स्पष्ट था कि वे किस ओर इशारा कर रहे हैं। यह सुखद अनुभव रहा कि उन्होंने आज के दिन इन विषयों की चर्चा की। यह आवश्यक है कि सरकार देशवासियों को आने वाले हर संभावित खतरे और अवसरों के बारे में आगाह करे। उन्होंने नागरिकों के लिए उनके कर्तव्यों की बात की जो किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार होते हैं। सरकारी प्रयासों के साथ आवश्यक है कि नागरिक कर्त्तव्य भी जुड़े।

अपने संबोधन की समाप्ति पर उन्होंने यह संकल्प दोहराया कि वे और उनकी सरकार हर संभव प्रयास करेंगे कि आज वे जिन बातों का जिक्र कर रहे हैं, आज से 25 वर्षों बाद कोई भी प्रधानमंत्री जब स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले पर खड़ा देश को संबोधित कर रहा हो तो ये सारे काम तब तक हो चुके हों तब के प्रधानमंत्री गर्व से इनका वर्णन कर सकें। लोकतांत्रिक व्यवस्था में आलोचना के लिए हमेशा स्थान रहेगा और परंपरा के अनुसार विपक्ष प्रधानमंत्री के भाषण को एक निरुत्साह वाला भाषण भी बता सकता है पर एक आम भारतीय के लिए उनका संबोधन आशा देता है और उसे प्रेरित भी करता है।

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