Tuesday, March 19, 2024
Homeविचारराजनैतिक मुद्देटिकरी बॉर्डर पर गैंगरेप: 'क्रांति' की जगह किसान आंदोलन से 'अपराध' की डिलिवरी, आगे...

टिकरी बॉर्डर पर गैंगरेप: ‘क्रांति’ की जगह किसान आंदोलन से ‘अपराध’ की डिलिवरी, आगे क्या…

26 जनवरी की हिंसा, पुलिस की पिटाई से होते हुए अब किसानों का कथित आंदोलन सामूहिक बलात्कार पर पहुँच गया है।

आंदोलन और अपराध का साथ बहुत पुराना रहा है। इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जिनमें लोगों ने आंदोलन के जरिए वादा तो क्रांति की डिलिवरी का किया पर अपराध और अपराधी डिलिवर कर दिए गए। ठीक वैसे ही जैसे किसी सस्ती ई-कॉमर्स वेबसाइट से कोई नब्बे प्रतिशत डिस्काउंट में स्मॉर्टफ़ोन ख़रीदे और डिलिवर हुए पैकेट खोलने पर उसमें से गत्ते का ढेर निकल आए।

आंदोलन विरोधी पर घुटे हुए एक समाजशास्त्री का मानना है कि अच्छे उद्देश्य वाले आंदोलन अपराधी को जन्म देते हैं और बुरे उद्देश्य वाले अपराध को। इस समाजशास्त्री का तो यहाँ तक कहना था कि साधारण परिस्थितियों में आंदोलन अपराध को जन्म देता है, असाधारण परिस्थितियों में अपराध आंदोलन को जन्म देता है और विकट परिस्थितियों में आंदोलन और अपराध साथ-साथ चलते हैं। देखा जाएय तो ऐसे आंदोलनों की कमी नहीं रही है जिनमें क्रांति का इंतज़ार कर रही जनता को अपराध थमा दिया गया।

नक्सल आंदोलन को ही ले लें। एक वर्ग को ताकतवर बनाने के वादे से शुरू हुआ था। वह वर्ग क्या बन कर निकला, किसी से छिपा नहीं है। आज उस नक्सल आंदोलन का स्वरूप ऐसा है कि कानू सान्याल और चारु मजुमदार की आत्माएँ कहीं हँसुआ और हथौड़ा लिए गर्व काट रहे होंगे। पिछले दशक का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन देखें तो पता चलेगा कि जिसके गर्भ से सदाचार को पैदा होना था, वहाँ से क्या-क्या पैदा हुआ। अखिल भारतीय स्तर के इस आंदोलन ने दिल्ली सरकार को जन्म दिया और दिल्ली को मार दिया। राजनीति बदलने के वादे वाले आंदोलन ने राजनीति से बदला ले लिया।

आंदोलनजीवियों की समस्या यह है कि वे कुछ दिनों तक आंदोलन न करें तो उन्हें अपने स्किल में ह्रास होने की चिंता सताने लगती है। लिहाज़ा पिछले दशक के अंत में उन्होंने शाहीनबाग आंदोलन किया। उससे किसका जन्म हुआ और किसकी मृत्यु, वह भी सबने देखा। अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं ने अपनी तरफ़ से काग़ज़ दिया। दादियों की तस्वीर से उन पत्रिकाओं के कवर पेज सजाए गए। दादियाँ काग़ज़ पाकर खुश। मतलब काग़ज़ नहीं दिखाएँगे, पर काग़ज़ मिला तो उस,पर चिपक जाएँगे। भीषण सर्दी में साल भर से भी छोटे बच्चों को आंदोलनकारी बनाकर डिलिवर किया गया। बिरयानी बनाई गई और जिंदगियाँ बिगाड़ी गई।

आंदोलनजीवियों ने इस बार अपने स्किल में किसी संभावित ह्रास को रोकने के लिए किसान आंदोलन किया। आंदोलन क्यों कर रहे हैं जैसे फ़ालतू प्रश्न के उत्तर में बताया गया कि हमें लगता है कि आंदोलन करना चाहिए। कृषक समाज को आंदोलन की खेती की आवश्यकता है। यह आंदोलन पंजाबी कृषि में उत्पाद मिक्स की समस्या खत्म कर देगा। यही सही समय है जब गेहूँ और धान की जगह गेहूँ, धान और आंदोलन की खेती हो। इसी आंदोलन से दक्षिण-पूर्व एशिया की जियो पॉलिटिक्स बदलेगी।

दिल्ली बंद रही और आंदोलन खुला रहा। इसने भी अपराध को जन्म दिया। गणतंत्र दिवस के दिन क्या-क्या हुआ, वह पूरे भारत ने देखा। संविधान में स्वतंत्रता सम्बंधित किसी छिपे अनुच्छेद के तहत ट्रैक्टर रैली करके आंदोलन को नया मोड़ मिला। आंदोलन उगने लगा और बड़ा होता गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सेलेब किसान जुड़े। कृषि उत्पादों में टूलकिट जुड़ गया। किसी ने कहा यह तो अपराध है तो जवाब मिला; यह आंदोलन है। तुम्हारी आँख फूट गई है जो इसे अपराध बता रहे हो। 

गणतंत्र दिवस के दिन उगने वाले आंदोलन की फसल अब पकने लगी है। आंदोलन ने अपराध को जन्म दे दिया है। दिल्ली में पुलिस वालों की पिटाई से शुरू होकर आंदोलन अब बलात्कार पर पहुँच गया है। बताया जा रहा है कि आम आदमी नुमा नेता शामिल हैं। युवती की मृत्यु हो गई है और कोरोना को दोषी बता दिया गया है। इन सबके ऊपर सबसे विचलित कर देने वाली बात यह है कि इस घिनौने कृत्य का पता मुख्य आंदोलनजीवी योगेन्द्र यादव को था फिर भी उन्होंने पुलिस के पास जाना उचित न समझा। आम आदमी नुमा नेता भाग गए हैं। अगुवाई करने वाला बुद्धिजीवी गले में गमछा लपेट नैतिकता के एवरेस्ट पर बैठा शायद आंदोलन को नया मोड़ देने का प्लान बना रहा है। 

आंदोलन अब किस अपराध की खोज में निकलेगा इसका उत्तर शायद टिकरी बॉर्डर पर रुके समय के पास है। 

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘प्रियंका गाँधी ने मेरे पति से कहा – अदिति सिंह के चरित्र को बदनाम करो, तब दूँगी टिकट’: रायबरेली की विधायक का खुलासा, सुनाई...

कौल अदिति सिंह, राहुल गाँधी उस दौरान उनसे पूछा कि उत्तर प्रदेश में हमारे पास कितने विधायक हैं? अदिति सिंह ने जवाब दिया - सात। बकौल महिला विधायक, इसके बाद राहुल गाँधी ने अपना सिर ऊपर की तरफ उठाया और जोर से हँसने लगे।

दलित की हत्या, कहीं धारदार हथियार से हमला, किसी की दुकान फूँकी… लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल में फिर TMC गुंडों के टारगेट पर...

पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ दिनों में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमलों की संख्या बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा होते ही राजनीतिक हिंसा की नई लहर चल पड़ी है, जिसमें टीएमसी के कार्यकर्ता बीजेपी कार्यकर्ताओं, नेताओं पर जानलेवा हमले कर रहे हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe