Friday, March 29, 2024
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पंजाब कॉन्ग्रेस की लड़ाई में पाकिस्तान की बल्ले-बल्ले: सिद्धू के सलाहकारों का ‘राष्ट्रविरोधी’ भांगड़ा, क्या टूटेगी आलाकमान की चुप्पी

यह आवश्यक है कि कॉन्ग्रेस पार्टी देशहित के विषयों पर अपने नेताओं के बयान को लेकर न केवल जिम्मेदार रहे, बल्कि देश के प्रति अपनी जबाबदेही के प्रति भी गंभीर दिखे।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के सलाहकारों द्वारा कश्मीर और पाकिस्तान पर दिए गए बयानों को गंभीरता से लिया है। उन्होंने इन सलाहकारों को सलाह दी कि वे अपनी भूमिका प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सिद्धू को सलाह देने तक सीमित रखें और राष्ट्रीय महत्व के संवेदनशील विषयों पर बयान देने से बचें।

मुख्यमंत्री सिंह के अनुसार इन सलाहकारों के बयान न केवल कश्मीर और पाकिस्तान पर भारत की विदेश नीति और आधिकारिक दृष्टिकोण के विरुद्ध हैं, बल्कि राष्ट्र विरोधी भी हैं। अमरिंदर सिंह के अनुसार सिद्धू के सलाहकारों के ये बयान राज्य और देश में शांति और स्थिरता के लिए खतरनाक हैं। अमरिंदर सिंह ने कहा है कि सिद्धू के इन सलाहकारों को ऐसे विषयों पर नहीं बोलना चाहिए जिनकी उन्हें समझ नहीं है।

उनके अनुसार ये बयान कश्मीर और पाकिस्तान पर भारत और कॉन्ग्रेस पार्टी के आधिकारिक दृष्टिकोण के विरुद्ध हैं और देशहित के साथ-साथ दल के हित को क्षति पहुँचाने वाले हैं। उन्होंने सिद्धू ने अनुरोध भी किया कि इससे पहले कि उनके ये सलाहकार भारत के हितों को और नुकसान पहुँचाए, वे उन्हें ऐसा करने से रोकें क्योंकि उनके बयान पूरी तरह से राष्ट्रविरोधी हैं।

सिद्धू के सलाहकार प्यारे लाल गर्ग ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के उस बयान पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की यह कहते हुए आलोचना की थी कि वह राज्य में ड्रग और हथियार भेजकर अशांति फैलाना चाहता है। मुख्यमंत्री के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए गर्ग ने कहा था कि पाकिस्तान की आलोचना पंजाब के हित में नहीं है।

इसके पहले सिद्धू के एक और सलाहकार मलविंदर सिंह माली ने कश्मीर पर टिप्पणी करते हुए अपने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने कश्मीर पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है। इसी पोस्ट में माली ने यह भी लिखा था कि अफगानिस्तान को तालिबान एक बेहतर शासन व्यवस्था देगा। माली के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और माली के ऐसे बयान से राष्ट्रहित को क्षति पहुँचती है।

सिद्धू के इन सलाहकारों के राष्ट्र विरोधी बयानों पर अमरिंदर सिंह से जैसी प्रतिक्रिया अपेक्षित थी, उन्होंने वैसी ही दी। इस बात से कौन भारतीय असहमत होगा कि उनके, कॉन्ग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व और सिद्धू के बीच आतंरिक राजनीतिक मुद्दे चाहे जैसे हों पर ऐसे बयानों का सार्वजनिक तौर पर विरोध होना चाहिए। हमें यह याद रखना आवश्यक है कि पंजाब भारत के सीमावर्ती राज्यों में सबसे महत्वपूर्ण है और पाकिस्तान वहाँ से निकलने वाले ऐसे बयानों को अपने प्रोपेगेंडा के लिए इस्तेमाल करता रहा है।

पर इन घटनाओं से जो प्रश्न उठते हैं वे कई दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। पहला प्रश्न यह उठता है कि पंजाब कॉन्ग्रेस में क्या सब कुछ ठीक है? यदि ऐसा नहीं है तो फिर दल के अंदर का राजनीतिक माहौल कितना खराब है? प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के सलाहकार यदि मुख्यमंत्री के बयान पर ऐसी प्रतिक्रिया दें तो उसे कैसे देखा जाना चाहिए? यह प्रश्न भी उठता है कि सिद्धू या उनके सलाहकार के बयानों को कॉन्ग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व कैसे देखता है और उसकी क्या प्रतिक्रिया हो सकती है?

सिद्धू के सलाहकार गर्ग का यह कहना कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा पाकिस्तान की आलोचना पंजाब के हित में नहीं है, कितना सामान्य है? प्रश्न यह भी उठता है कि इसे किस सीमा तक उनका अपना बयान माना जाना चाहिए, खासकर तब जब अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच के मतभेद सबको पता हैं। क्या यह संभव है कि पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा पाकिस्तान की आलोचना भारत के हित में तो है, पर पंजाब के हित में नहीं है? पंजाब क्या भारत से अलग है?

किसी भी आम भारतीय के मन में यह प्रश्न उठेगा ही कि प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के सलाहकार का यह आचरण क्या खालिस्तान की वकालत करने वालों के आचरण के सामान नहीं है जो भारत और पंजाब के हितों में अंतर रखकर चलते हैं?

नवजोत सिंह सिद्धू और पाकिस्तान के वर्तमान राजनीतिक और सैनिक नेतृत्व के बीच नज़दीकियाँ जगजाहिर हैं। सिद्धू इसे लेकर काफी हद तक ढीठ रहे हैं और इसे अपना व्यक्तिगत मामला बताते हैं। कॉन्ग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इसे लेकर अपनी तरफ से कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। पर ऐसा कैसे हो सकता है कि भारत के किसी भी नेता और पाकिस्तान के सैनिक और राजनीतिक नेतृत्व के बीच नज़दीकियाँ व्यक्तिगत हों? ऐसा भी नहीं है कि कॉन्ग्रेस पार्टी में सिद्धू अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जो पाकिस्तान को लेकर ऐसे विचार रखते हैं।

भारतीय सेना या वायुसेना द्वारा पाकिस्तान में किए गए ऑपरेशन को लेकर इन नेताओं ने कैसे बयान दिए या कैसा आचरण किया, इसे पूरा देश जानता है। ऐसे में राज्य और देश की जनता के लिए यह जानना आवश्यक है कि जो दल उससे वोट माँगकर केंद्र या राज्य में सरकार बनाना चाहता है, उसका अपने नेताओं के ऐसे राजनीतिक आचरण या बयानों पर अपना दृष्टिकोण क्या है? अपनी सुविधानुसार अपने नेताओं के बयानों से दूरी बना लेना कॉन्ग्रेस आलाकमान की पुरानी राजनीतिक चाल रही है। पर पाकिस्तान के मामले में सिद्धू या अन्य नेताओं के आचरण को देश के भीतर किए जाने वाले आम राजनीतिक आचरण से अलग रखकर देखा जाएगा।

ऐसे में दल के लिए अपने नेताओं द्वारा पाकिस्तान या अन्य अंतरराष्ट्रीय विषयों पर दिए गए बयानों से अलग रखना अब कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए आसान न होगा। मणिशंकर अय्यर हों, राहुल गाँधी हों या फिर नवजोत सिंह सिद्धू, कॉन्ग्रेस के नेताओं के ऐसे बयानों को पाकिस्तान अपने अंतरराष्ट्रीय प्रोपेगेंडा के लिए इस्तेमाल करता रहा है। दल का आलाकामन भी ढीठता दिखाते हुए खुद को इन बयानों से आसानी से अलग रखता रहा है। पर सुरक्षा की दृष्टि से भारतीय उप महाद्वीप की वर्तमान हालत और सम्बंधित खतरों को देखते हुए यह आवश्यक है कि कॉन्ग्रेस पार्टी देशहित के विषयों पर अपने या नेताओं के बयान को लेकर न केवल जिम्मेदार रहे, बल्कि देश के प्रति अपनी जबाबदेही के प्रति भी गंभीर दिखे।

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