भारत के विपक्षी दलों की खासियत ये है कि जब पालघर में दो साधुओं की भीड़ पीट-पीट कर हत्या कर देती है तो वे चुप रहते हैं। लेकिन जब किसी आसिफ को दो थप्पड़ पड़ जाते हैं तो ये उसे कई गुना बड़ा मुद्दा बना देते हैं। पादरी पर लगे बलात्कार के आरोप पर वे शांत रहते हैं, लेकिन ननों से मामूली पूछताछ होते ही देश खतरे में आने की बातें करने लगते हैं।
2 ननों से पूछताछ पर इतना क्यों भड़क गए राहुल गाँधी?
झाँसी रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार (मार्च 19, 2021) को 4 ईसाई महिलाओं को ट्रेन से उतारा गया, जिनमें 2 नन थीं। कुछ लोगों को शक था कि ये महिलाएँ मानव तस्करी कर रही हैं, इसीलिए उन्होंने शिकायत की थी। रेलवे ने बस पूछताछ भर की और जब पुष्टि हुई कि ऐसा कुछ नहीं था तो जाने दिया। कंजीराप्पल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह भी चुके हैं कि अगर कोई प्रशासनिक गड़बड़ी हुई होगी तो कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन, उससे पहले ही इस पर राजनीति शुरू हो चुकी थी। जब कहीं कोई अपराध होता है तो एक मामले में दर्जनों लोगों से पूछताछ होती है, जिनमें आरोपित और गवाह से लेकर कई ऐसे भी होते हैं जिनसे सिर्फ जानकारी ली जाती है। किसी से पूछताछ का ये अर्थ कतई नहीं है कि वो अपराधी ही है। लेकिन, असली मुद्दा तो ईसाई वोटों का है, जिसके लिए केरल में राहुल गाँधी कड़ी मशक्कत कर रहे हैं।
राहुल गाँधी ने इस पर एक के बाद एक दो ट्वीट्स किए। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि यूपी में केरल की ननों पर ‘हमला’ संघ परिवार के ‘घृणित प्रोपेगेंडा’ का हिस्सा है, जिसके तहत एक समुदाय को दूसरे के सामने खड़ा कर अल्पसंख्यकों को कुचला जाता है। उन्होंने कहा कि ये देश के लिए कड़े कदम उठा कर ऐसी विभाजनकारी ताकतों को परास्त करने का समय है।
कुछ देर बाद उनका एक और ट्वीट आया। इसमें राहुल गाँधी ने लिखा, “मेरा मानना है कि RSS व सम्बंधित संगठन को संघ परिवार कहना सही नहीं। परिवार में महिलाएँ होती हैं, बुजुर्गों के लिए सम्मान होता, करुणा और स्नेह की भावना होती है- जो RSS में नहीं है। अब RSS को संघ परिवार नहीं कहूँगा!”
ये वही राहुल गाँधी हैं जिन्होंने हाल ही में केरल में कहा था कि वे महिलाओं को एक ‘रहस्य’ बताना चाहते हैं कि उन्हें कोई पुरुष नहीं बताएगा – वो पुरुषों से बेहतर हैं।
ये अलग बात है कि केरल कॉन्ग्रेस की एक बड़ी नेता KC रोसक्कुट्टी ने पार्टी में महिलाओं के साथ ठीक व्यवहार न होने के कारण इस्तीफा देकर LDF का दामन थाम लिया। वो केरल प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी की उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ पूर्व विधायक भी हैं। लेकिन, महिलाओं के लिए बात-बात पर अच्छी-अच्छी बातें करने वाले राहुल गाँधी उस ‘लव जिहाद’ पर क्यों कुछ नहीं बोलते, जिससे केरल के ईसाई परेशान हैं?
केरल में ईसाई वोटों पर है सभी दलों की नजर
सबसे पहले आँकड़ों की बात कर लेते हैं। 2011 की जनगणना की बात करें तो केरल में हिन्दुओं की जनसंख्या 54.72% है, जबकि उसके बाद मुस्लिमों (26.56%) और फिर ईसाइयों (18.38%) का नंबर आता है। यानी, वहाँ चुनावों में ईसाई वही हैसियत रखते हैं जितनी भारत के कई राज्यों में मुस्लिम। भारत के कई राज्यों की तरह मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति यहाँ भी अपनाई जाती है, लेकिन ईसाइयों को भी खुश रखने की कोशिश होती है।
तभी केरल में जैसे ही ननों से पूछताछ की खबर आई, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर विरोध दर्ज कराया। केंद्रीय केरल में ईसाई जनसंख्या ज्यादा है। एर्नाकुलम, कोट्टायम, इड्डुक्की और पथानामथिट्टा की 33 सीटों पर उम्मीदवारों की हार-जीत के लिए ईसाई वोट अहम भूमिका निभाते हैं। कॉन्ग्रेस शुरू से इनका वोट पाती रही है, लेकिन इस बार उसे डर है कि कहीं LDF या भाजपा उसे अपनी तरफ न खींच ले।
भाजपा इसलिए, क्योंकि दिसंबर 2020 के अंतिम हफ्ते में केरल के कई चर्चों के पादरियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर शिकायत की थी कि अल्पसंख्यकों के लिए जो फंड्स भेजे जाते हैं, उनका उन्हें उचित हिस्सा नहीं मिल पाता। केरल में ऑर्थोडॉक्स-जैकोबाइट ईसाई समूहों के बीच लड़ाई भी कई वर्षों से चलती रही है। उनका आरोप है कि उन फंड्स में से मात्र 20% उन पर खर्च होते हैं।
ईसाइयों की माँग है जनसंख्या के हिसाब से उन्हें उन फंड्स का 41% हिस्सा मिलना चाहिए। ऑर्थोडॉक्स-जैकोबाइट वाला मामला तो कोर्ट में भी चल रहा है। हाल के स्थानीय चुनावों में जिस तरह से LDF का प्रदर्शन रहा है, ऐसा लगा कि ईसाई वोट्स कॉन्ग्रेस से छिटक गए हैं। मार्च 2021 में ही जैकोबाइट चर्चों के कई प्रतिनिधि अमित शाह से मिलने दिल्ली पहुँचे थे, लेकिन ये मुलाकात नहीं हो पाई। 2017 में भाजपा अध्यक्ष रहते शाह ने केरल दौरे में कई पादरियों से मुलाकात की थी।
मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन, ईसाइयों के लिए ट्ववीट: 2 नाव वाले राहुल
केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने भी दोनों ईसाई पंथों के बीच समझौता कराया, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकल पाया। केरल कॉन्ग्रेस (M) राज्य में ईसाइयों की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी, जो अब टूट चुकी है। उनमें से एक गुट UDF में चला में चला गया है तो एक LDF में। भाजपा ने ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून का वादा किया है। केरल में ‘लव जिहाद’ की घटनाओं पर अल्पसंख्यक आयोग ने भी चिंता जताई थी।
कॉन्ग्रेस पार्टी मुस्लिमों और ईसाइयों को एक साथ रिझाना चाहती है। कट्टरवादी इस्लामी दल ‘इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML)’ कॉन्ग्रेस के साथ है और वायनाड में राहुल गाँधी की जीत में पार्टी की बड़ी भूमिका है। ऐसे में ईसाई ननों के लिए ट्वीट करने वाले राहुल गाँधी ईसाई लड़कियों को फाँसने वाले ‘लव जिहाद’ के विरुद्ध कुछ बोलेंगे, सपने में भी ऐसी आशा नहीं की जा सकती। राहुल IUML का साथ चाहते हैं और ईसाईयों का समर्थन भी।
अगर बात ईसाई महिलाओं का हितैषी बनने की ही है, तो ‘लव जिहाद’ तो दूर की बात, राहुल गाँधी ने ननों का यौन शोषण के आरोपित फ्रैंको मुलक्कल सहित अन्य पादरियों के खिलाफ आज तक ट्वीट नहीं किया। केरल में ननों के यौन शोषण की बातें कई बार सामने आई हैं, एक नन ने किताब लिख कर भी इसे उठाया था। लेकिन, वोट बैंक तो पादरियों से आता है। इसलिए, कॉन्ग्रेस उनके खिलाफ नहीं जा सकती।