पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पिछले कुछ दिनों में लगा था कि देश शायद तमाम राजनीतिक पूर्वग्रहों, विचारधारा के मनमुटावों से ऊपर उठकर एकजुट होने का निर्णय ले चुका है। लेकिन हम सबने एक-दूसरे को निराश कर दिया। हम उन ‘चराक्षर’ और ‘गराक्षर’ के दानव को आतंकवाद से ऊपर लाकर भारत माता को समर्पित करने लगे जो जनता ने हमें हमारे कारनामों के लिए हमें पुरस्कार स्वरुप सौंपे। हमारे विरोध के तरीके बदल चुके हैं। TRP की कुंठा में हम सब आत्मग्रस्त हो चुके हैं। हमने साबित कर दिया है कि हमारी विषैली विचारधारा का योगदान बलिदान हुए 40 सैनिकों के योगदान से कहीं बढ़कर है।
व्हाट्सएप्प पर भेजी जाने वाली जननांग की तस्वीर से लोगों की राष्ट्रभक्ति पहचान ली गई हैं, सैनिकों के आरक्षण पर डिबेट को हवा दे दी जा चुकी है, ताकि हम चुपके से उस मानसिकता को कोसने से बच जाएँ, जो आतंकवाद को जन्म देती है। यह शायद इस मीडिया गिरोह के अनुसार इस चर्चा का सबसे उपयुक्त समय है। ‘कश्मीरियत’ की दंगाई, उपद्रवी हरकतों और उनके पत्थरबाजों के प्रति अश्रुपूरित सत्संग लिखे जा चुके हैं।
सांप्रदायिक भेदभाव और उन्माद बढ़ाने के लिए मौके की तलाश में बैठे वामपंथी गिरोहों ने जता दिया कि सैनिकों का बलिदान सिर्फ और सिर्फ अपनी विषैली मानसिकता के बीजारोपण का एक सुन्दर अवसर है। पुलिस के स्पष्टीकरण के बावजूद मीडिया में इन गिरोहों ने ये कहकर खूब तांडव मचाया कि कश्मीरी युवाओं को परेशान किया जा रहा है। फिर भी इन गिरोहों का एक अच्छा खासा वर्ग समाज में पनप रहा है और तंदुरुस्त हो रहा है।
कारवाँ के एजाज़ अशरफ़ ने ऐसे समय में सैनिकों की जाति ढूँढ निकाली, जिस समय सारा देश बलिदानी सैनिकों के शोक में डूबा था। ये वही कारवाँ है, जिसका ज़िक्र अपने प्राइम टाइम से लेकर फेसबुक पोस्ट तक में रवीश कुमार ‘सनसनीखेज खुलासों’ के लिए किया करते हैं। मीडिया गिरोह की इन षड्यंत्रकारी घातक टुकड़ियों के झूठ के बाजार और इनकी विश्वसनीयता के बारे में हम पहले भी बता चुके हैं।
अब नया मुद्दा इन मीडिया गिरोहों का कंगना रानौत की देशभक्ति है। अपनी बात खुलकर कहने और अपने साहसी बयानों के कारण चर्चा में रहने वाली कंगना रानौत को एक ऐसे गुट से निशाना बनाया जा रहा है, जो सीमा पर मरने वाले जवानों पर बनाए जाने वाले चुटकुलों पर हँसता आया है। कॉमेडी के नाम पर ऐसे चुटकुलों को दिशा देने वाले AIB समूह की दुकान आज व्हाट्सएप्प पर ‘न्यूड’ माँगने और महिला उत्पीड़न के मामलों के कारण बंद हो चुकी है। ख़ास बात ये है कि इनसे सहानुभूति रखने वाला अभी भी एक बड़ा वर्ग समाज में इन्हें सम्मान की नज़र से देखता है।
ये करिश्माई प्रतिभा हो सकती है कि जो आतंकवाद को आतंकवाद कहने से हिचकिचाते हैं, जो धर्म के नाम पर पनप रहे जिहाद को आज तक जिहाद नहीं बता पाए, उन्होंने व्हाट्सएप्प पर मिलने वाले जननांग की तस्वीर और शूटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले घोड़े से राष्ट्रवाद को तुरंत पहचान लिया।
कंगना रानौत की हाल ही में आई फ़िल्म मणिकर्णिका को दर्शकों को खूब सराहा है। लेकिन 1857 की क्रांति को स्वतंत्रता की पहली क्रांति न मानने वालों की आपत्ति का कारण सिर्फ यही नहीं है। पुलवामा आतंकी घटना के बाद कंगना रानौत ने कहा था, “विपक्ष वाले फ़र्ज़ी शोक न मनाएँ, उन्हें तो गधे पर बिठाकर थप्पड़ मारा जाना चाहिए।” अक्सर सामाजिक और राजनीतिक घटनाक्रमों पर बेबाकी से अपने विचार रखने वाली कंगना रानौत के साहसिक यानी ‘बोल्ड’ अंदाज के कारण उनको निशाना बनाया जा रहा है। आप सोचिए कि ये वही लोग हैं जो अक्सर स्वरा भास्कर पर फिल्माए गए हस्तमैथुन के दृश्यों को महिला सशक्तिकरण का पहला चरण बताते हैं। इसके लिए सहारा लिया जा रहा है उनकी फिल्म मणिकर्णिका की शूटिंग के दौरान फ़िल्माए जा रहे एक ऐसे दृश्य से जिसमें वो नकली घोड़े पर सवार हैं।
किसी की अभिव्यक्ति के अधिकार को छीनने के लिए और उसके मनोबल को गिराने के लिए इस तरह के सस्ते हथकंडों का इस्तेमाल करना इन मीडिया गिरोहों को और भी ज्यादा हास्यास्पद बनाता है और उससे भी ज्यादा हास्यास्पद इस वीडियो को कंगना रानौत की देशभक्ति (नेश्नलिज़्म) से जोड़ना है। आप कह सकते हैं कि और कितना गिरोगे भाई Scroll ?
Define Kangana Ranaut’s brand of Nationalism in 10 seconds? pic.twitter.com/ZjFmDN1iyG
— Akash Banerjee (@akashbanerjee) February 21, 2019
जाहिर सी बात है कि फिल्मों के किसी भी दृश्य में जानवरों का इस्तेमाल प्रतिबंधित है और असली घोड़े का इस्तेमाल ना ही कँगना कर सकती हैं, ना शाहरुख खान और ना ही प्रियंका चोपड़ा! लेकिन शूटिंग के दौरान बनाए गए इस वीडियो को लेकर न्यूज़ बना देना यही दर्शाता है कि इन मीडिया गिरोहों के पास प्रोपेगैंडा फैलाने का ‘कच्चा सामान’ दिनों-दिन कम पड़ता जा रहा है।
कुंठित ट्विटर ट्रॉल्स को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए ‘@squintneon’ नाम के यूज़र ने आमिर खान की धूम फिल्म की शूटिंग के दौरान की वीडियो क्लिप पोस्ट कर सवाल पूछा है कि अगर कंगना के वीडियो से उसके नेश्नलिज़्म का पता चल जाता है तो फिर इस वीडियो के माध्यम से आमिर खान को असहिष्णुता का सिपाही बताकर दिखाइए।
Define Amir Khan’s brand of Intolerance in 10 seconds? pic.twitter.com/BFr8iC0LdJ
— Comrade Squinty (@squintneon) February 22, 2019
Are you the same moron who thinks spider man and superman exist and can fly?
— Raj Anand ?? (@rajanandbjp) February 22, 2019
I think we saw real dinsour in jurasic park on that time.
— Diha (@harmalkard) February 22, 2019
??
ज़ाहिर सी बात है कि राष्ट्रवाद से घृणा में यह ट्रॉल-दल इतना कुंठित हो चुका है कि इसके हाथ जो कुछ लग रहा है ये उसी को जरिया बनाकर अपनी भड़ास निकाल रहा है। शायद कंगना रानौत के खिलाफ यह मुहिम सिर्फ इस वजह से भी है कि वो AIB जैसे समूहों के घटिया चुटकुलों का हिस्सा न बनकर देश और समाज के विषयों में रूचि रखती हैं। उम्मीद है कि ‘राष्ट्रवाद से नफरत’ की मानसिकता के कारण इस तरह की मुहिम चलाने वालों के भी कभी अच्छे दिन जरूर आएँगे, जब ये यकीन करना शुरू कर देंगे कि जुरासिक पार्क की फिल्मों के लिए असली डायनासौर और सुपरमैन फिल्म बनाने के लिए असली सुपरमैन की सहायता नहीं ली गई थी। तब तक हम इनके लिए प्रार्थना कर सकते हैं कि इन्हे एक विपरीत विचारधारा और राष्ट्रवाद से नफरत में इन्हे अपनी बात रखने के लिए इतने ‘सस्ते तरीकों’ का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।