5 साल में 54 सर्जरी। चेहरे पर एसिड अटैक के बाद रह गया दाग। जलने की पीड़ा। एक आँख खराब। एक स्तन को नुकसान। और भी बहुत कुछ… जाहिर है, रंगोली चंदेल जैसी एसिड अटैक सर्वाइवर बन कर जीना आसान नहीं है। लेकिन, यकीन मानिए उससे भी ज्यादा कठिन है अतुल खत्री हो जाना। अतुल खत्री- एक बुजुर्ग कॉमेडियन। एक संवेदनहीन इंसान। मौक़ापरस्त शख्सियत। मोदी सरकार की नीतियों का कड़ा विरोधी। और अंत में कुत्सित बुद्धि।
आज सोशल मीडिया पर एक तबके के बीच ‘छपाक’ इन दिनों सुर्खियों में है। वो भी दीपिका के जेएनयू जाने को लेकर नहीं, बल्कि लक्ष्मी अग्रवाल की पूरी कहानी को पर्दे पर उतरता देखने के लिए। ताकि एसिड अटैक का शिकार हुए लोगों के दर्द को समाज के बीच गंभीर विषय बनाकर उतारा जा सके। लेकिन जब देश में एसिड अटैक पर बातचीत का माहौल बन रहा है तो उसी समय खुद को लेखक और कॉमेडियन कहने वाले अतुल खत्री ने रंगोली चंदेल यानी एक एसिड पीड़िता को ‘चांडाल’ कहकर मजाक उड़ाया है।
अब रंगोली की गलती क्या थी? सिर्फ़ इतनी कि मौक़े दर मौक़े वो अक्सर देश से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखती हैं। हिंदुओं के ख़िलाफ़ निराधार नहीं बोलतीं। मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना नहीं करतीं। और, वैचारिक रूप से, राजनैतिक तौर पर उन्हें जो गलत लगता है, उस पर बेबाकी से अपनी राय रखती हैं। हालाँकि आपको लगेगा कि ये सब तो लोकतांत्रिक देश के हरेक नागरिक के अधिकार हैं। लेकिन, नहीं! अतुल खत्री के लिए इन सभी गुणों से परिपक्व व्यक्ति उनके घटिया व्यंग्यों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली संदर्भ सामग्री है।
जेएनयू में हिंसा हुई। लेफ्ट ने एबीवीपी पर इल्जाम लगाया। एबीवीपी ने लेफ्ट पर। किसने क्या किया? कौन-कहाँ शामिल था? इसकी पुष्टि कहीं नहीं हुई। लेकिन अतुल खत्री जैसे लोगों ने अपनी विचारधारा के अनुरुप घोषित कर दिया कि हमला एबीवीपी ने किया। इसी गैंग ने एबीवीपी का नया नामकरण भी कर दिया- अखिल भारतीय विलेन परिषद! मतलब हद है टुच्चई की।
Akhil Bhartiya Villains Parishad
— Atul Khatri (@one_by_two) January 5, 2020
अब जब धीरे-धीरे बात खुली, पूरे मामले में लेफ्ट के हाथ का खुलासा हो रहा है और दुनिया को मालूम चल रहा है कि वामपंथी बर्बरता का शिकार हुए पीड़ितों में एबीवीपी के कार्यकर्ता शामिल हैं। तो अतुल खत्री ने अपने एक ट्वीट में पहले दीपिका के जेएनयू जाने पर उनका बचाव करते हैं। फिर दूसरे ट्वीट में कहते हैं कि अब एबीवीपी को दीपिका के बजाय रंगोली की सहानुभूनिति मिलेगी। अब चूँकि यहाँ रंगोली हमेशा ऐसे मुद्दों पर खुलकर बोलती हैं, तो इसमें कोई आपत्ति नहीं है कि वे अपनी सहानुभूति किसके साथ शेयर करेंगी। और यह भी स्पष्ट है कि अतुल इस पर क्या राय रखेंगे। इस गिरोह के लोगों का पैटर्न फिक्स है- स्वरा भास्कर लेफ्ट को सपोर्ट करे तो सही है, समर्थन देना है। लेकिन कंगना या उनकी बहन किसी घटना के दूसरे पहलू को सपोर्ट करें तो उनका मखौल उड़ाना है, मान-मर्दन करना है।
अतुल खत्री नैरेटिव और प्रोपेगेंडा सेट करने के अव्वल खिलाड़ी हैं। उनसे कुछ पूछा जाए तो सटिक जवाब के बजाय वो मुद्दे को घुमाना बखूबी जानते हैं। दीपिका पादुकोण-JNU मामले में भी यही हुआ। दीपिका के JNU प्रकरण पर ट्वीट करते हुए किसी ने उनसे एबीवीपी के छात्रों से न मिलने की बात उठाई। लेकिन इसका जवाब दिया अतुल ने। गिरोह ऐसे ही काम करता है। ट्वीट का जवाब देते हुए अतुल ने रंगोली को चांडाल (सरनेम चंदेल है, लेकिन अतुल ने जानबूझकर चांडाल लिखा) कहा और लिखा कि एबीवीपी को रंगोली चांडाल अपनी सहानुभूति देंगी।
एक एसिड अटैक सर्वाइवर का रील कैरेक्टर निभाने वाली दीपिका के समर्थन में एक रियल लाइफ एसिड सर्वाइवर रंगोली चंदेल के बारे में ऐसी टिप्पणी करना कहाँ तक उचित था और कौन सी घृणित मानसिकता को दर्शाता है खुद सोचिए… अगर वाकई लक्ष्मी का किरदार निभाने वाली दीपिका के लिए आपके मन में सम्मान का भाव है, तो असलियत में उस दर्द से उभरी रंगोली चंदेल के विचारों के प्रति क्यों नहीं? क्योंकि वास्तविकता में आपको एसिड/अटैक/दर्द/महिला आदि से कुछ भी लेना-देना नहीं। आपको तो बस अपनी दुकान चलानी है – हिंदुओं से घृणी की, मोदी-BJP से नफरत की, वामपंथी प्रोपेगेंडे की।
Rangoli Chandel – Real life acid attack survivor
— An Open Letter (@AnOpenLetter001) January 8, 2020
Deepika Padukone – Playing a role on screen and using PR stunt to catch the eyeballs at the expense of students
He is mocking the first by changing her name in order to defend the second.
Well done ? https://t.co/OpUhsvv4k5
खैर, अतुल खत्री को उनके इस ट्वीट के लिए सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर लताड़ा। उन्हें सलाह दी गई कि उनकी दो बेटियाँ हैं। ऐसे शब्द किसी लड़की के लिए इस्तेमाल मत करिए क्योंकि कर्म पीड़िताओं की तरह दयावान नहीं होता, वो बदला जरूर लेता है।
एक यूजर ने रंगोली के विचारों के लिए उन्हें दीपिका से सौ गुणा बेहतर बताया। लोगों ने उन्हें कॉमेडियन के नाम पर कलंक, गंदा दिमाग, भाजपा से नफरत करने वाला तक बताया और साथ ही पूछा कि आखिर उनकी खुद की क्या औकात है, जो एबीवीपी और रंगोली का नाम लेकर औकात की बात कर रहे हैं।
इसी दौरान AN OPEN LETTER नाम के ट्विटर से भी इस घटिया ट्वीट का जवाब आया। जिसमें उन्होंने लिखा- रंगोली चंदेल एक वास्तविक एसिड अटैक सर्वाइवर है। जबकि दीपिका सिर्फ़ एक सर्वाइवर का किरदार निभा रही है और छात्रों के सामने पीआर स्टंट कर रही है। ऐसे में अतुल खतरी जैसे लोग सिर्फ़ एक को बचाने के लिए दूसरे का नाम ही बदलकर उसका अपमान कर रहे हैं।
If we don’t hate Hindus or demonise our government & security forces den our struggles,our opinions or voice is dismissed, u will only be hailed & celebrated if you are pessimistic about the future of the nation, love Pakistan and it’s terrorists, sorry I don’t need such love ? https://t.co/18i1i6K5jp
— Rangoli Chandel (@Rangoli_A) January 9, 2020
हालाँकि, सोशल मीडिया पर अतुल खत्री के ट्वीट को देखकर उन्हें खूब ट्रोल किया गया। लेकिन बेवजह ऐसे अपना नाम किसी संदर्भ के साथ बिगड़ता देख रंगोली भी भावुक हो गईं। उन्होंने AN OPEN LETTER के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा – “यदि हम हिंदुओं से घृणा नहीं करते हैं, अपनी सरकार को या सुरक्षा बलों को खलनायक नहीं बताते, तो हमारे संघर्ष, हमारी राय, और आवाज को खारिज कर दिया जाता है। यहाँ आपको सराहा तभी जाएगा, जब आप देश के भविष्य के बारे में निराशावादी हों, पाकिस्तान से और उसके आतंकियों से प्यार करें… इसलिए क्षमा करें मुझे ऐसे प्यार की जरूरत नहीं।”
अब जाहिर है कि अपने लिए बेवजह टिप्पणी सुनना किसी को नहीं पंसद आएगा। और वो भी तब जब कोई वर्चुअल स्पेस का प्राणी आपके संघर्षों को जानते-समझते हुए उसे खारिज कर दे और किसी की छवि निर्मित करने के लिए किसी को चांडाल तक बुला डाले। वो भी सिर्फ़ लोगों के बीच सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए। सिर्फ़ इसलिए क्योंकि आपका संघर्ष, आपका दर्द, आपका सफर भले ही किसी अन्य की तरह मिलता-जुलता है, लेकिन विचार उनसे अलग हैं, बेबाक हैं और सरकार के पक्ष में हैं।
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