Saturday, April 27, 2024
Homeविचारसामाजिक मुद्देShero कौन: पीरियड का खून पोस्टर पर दिखाने वाली या देश के लिए अपना...

Shero कौन: पीरियड का खून पोस्टर पर दिखाने वाली या देश के लिए अपना खून बहाने वाली बलिदानी?

आपकी शीरो (Shero) को देश में दंगे भड़काने के लिए विदेशी मैगजीन के कवर पर जगह मिलती है, हमारी हीरो को देश बचाने के लिए हमारे दिल में जगह मिलती है। हमारे और आपके फ़ेमिनिज़म में अंतर है।

13 दिसंबर 2001, देश की संसद में दिन आम दिनों जैसा ही जा रहा था। हंगामे के बाद शीतकालीन सत्र के दोनों सदन स्थगित हो चुके थे और सोनिया और अटल संसद से निकल गए थे।

सदन स्थगित हुए 40 मिनट बीत चुके थे, मगर अभी भी आडवाणी और जसवंत सिंह जैसे अहम मंत्रियों समेत कई और वीआईपी और वीवीआईपी संसद के अंदर मौजूद थे कि तभी एक सफ़ेद एंबेसडर तेज़ी से गेट नंबर 11 की तरफ जाती हुई दिखी। उसके पास आयरन गेट नंबर 1 पर एक कॉन्स्टेबल की तैनाती थी।

कॉन्स्टेबल को शक हुआ तो उन्होंने एंबेसडर का पीछा किया। तब तक वो कार उपराष्ट्रपति की खाली खड़ी गाड़ी से टकरा चुकी थी। इसके बाद उन्हें उस कार से 5 हथियारबंद आदमी उतरते हुए दिखे।

कॉन्स्टेबल के पास कोई हथियार नहीं था, सिर्फ़ एक वॉकी-टॉकी था। उन्होंने उसी से फ़ोर्स के बाकी लोगों को अलर्ट किया और वहीं से चिल्ला कर गेट नंबर 11 पर तैनात सूबेदार सुखविंदर सिंह को भी आतंकियों की सूचना दी।

सूबेदार सिंह तो अलर्ट हुए ही मगर इससे आतंकी भी अलर्ट हो गए और उन्होंने एक के बाद एक 11 गोलियाँ उस कॉन्स्टेबल के शरीर में उतार दीं, मगर तब तक कॉन्स्टेबल ने अपनी ड्यूटी निभा दी थी। पूरी फोर्स अलर्ट हो गई थी और कुछ देर बाद पाँचों आतंकी ढेर हो चुके थे।

कॉन्स्टेबल के इस अदम्य साहस के चलते उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। अशोक चक्र देश में शांति के दौरान दिया जाने वाला सबसे बड़ा वीरता सम्मान है।

CRPF की 88 बटालियन में तैनात उस कॉन्स्टेबल का नाम था कमलेश कुमारी। वो शादीशुदा थीं और उनकी दो बेटियाँ भी थीं।

क्या आप जानते हैं कि उनके पास हथियार क्यों नहीं था? क्योंकि महिला कॉन्स्टेबलों को संसद में हथियार रखने की परमिशन नहीं थी। फिर भी उन्होंने उस वक्त वो किया, जिसकी उस वक्त देश को सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।

अशोक चक्र से सम्मानित होने वाली वो पहली महिला कॉन्सटेबल बनीं।

तो, बेसिकली हमारे और आपके फ़ेमिनिज़म में बस यही अंतर है कि आपको आतंकियों से सहानुभूति रखने वाली आज़ादी छाप हस्तियों में अपनी शीरो (Shero) दिखती है और हमको कमलेश कुमारी में अपनी हीरो दिखती है।

  • आपकी शीरो (Shero) को देश में दंगे भड़काने के लिए विदेशी मैगजीन के कवर पर जगह मिलती है, हमारी हीरो को देश बचाने के लिए हमारे दिल में जगह मिलती है।
  • आपकी शीरो (Shero) को कमोड पर बैठ कर गर्व महसूस होता है और हमारी हीरो को फ़ाइटर जेट में बैठ कर।
  • आपकी शीरो (Shero) को पीरियड्स का खून फ्लॉन्ट करने में आज़ादी दिखती है और हमारी हीरो देश के लिए अपना खून बहा कर आज़ादी की गाथा लिखती हैं।
  • आपकी शीरो (Shero) पद्मावती को सेक्स स्लेव बनने की सलाह देती है और हमारी हीरो पूरी दुश्मन सेना को धूल चटाना जानती है।

आपको हीरो के समकक्ष शीरो खड़ी करनी है और हमारे हिस्से में हैं वो लड़कियाँ, जो इन शब्दों से परे अलग इतिहास रच देती हैं। क्योंकि हीरो हो या शीरो, इन शब्दों को अर्थ हम देते हैं, ये शब्द हमको अर्थ नहीं देते। हमारी लड़ाई शब्दों से परे अगर अधिकारों की लड़ाई है, तो ज़िम्मेदारियों की लड़ाई भी है।

लेखिका: तृप्ति शुक्ला, पत्रकार हैं। फिलहाल गूगल के लिए काम कर रही हैं। साल 2014 में लाडली मीडिया अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024: बंगाल में हिंसा के बीच देश भर में दूसरे चरण का मतदान संपन्न, 61%+ वोटिंग, नॉर्थ ईस्ट में सर्वाधिक डाले गए...

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के 102 गाँवों में पहली बार लोकसभा के लिए मतदान हुआ।

‘इस्लाम में दूसरे का अंग लेना जायज, लेकिन अंगदान हराम’: पाकिस्तानी लड़की के भारत में दिल प्रत्यारोपण पर उठ रहे सवाल, ‘काफिर किडनी’ पर...

पाकिस्तानी लड़की को इतनी जल्दी प्रत्यारोपित करने के लिए दिल मिल जाने पर सोशल मीडिया यूजर ने हैरानी जताते हुए सवाल उठाया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe