राजस्थान में भाजपा पर अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियाँ ने पहले अपना घर सँभालने की सलाह दी थी। अब उनकी बातें चरितार्थ हो रही हैं क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बगावती तेवर अपना लिए हैं।
राजस्थान में अशोक गहलोत की कॉन्ग्रेस सरकार उसी रास्ते पर बढ़ रही है, जिस पर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार चली थी। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया थे, अब राजस्थान कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट हैं, जो राजस्थान के टोंक में खासा प्रभाव रखते हैं।
खबरों के अनुसार, राजस्थान के कॉन्ग्रेस के 24 विधायक हरियाणा और दिल्ली स्थित होटलों में पहुँच गए हैं। भयभीत राज्य सरकार ने सभी सीमाओं को सील कर दिया है। ऊपरी तौर पर तो कहा जा रहा है कि ये कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए ये फैसला लिया गया है लेकिन इसे कॉन्ग्रेस के भीतर भारी अंदरूनी फूट को दबाने और विधायकों को बाहर जाने से रोकने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है।
अब राजस्थान से बाहर जाने के लिए सरकारी अनुमति जरूरी होगी। अन्य राज्यों से आने वालों की भी सीमा पर जाँच की जाएगी। हालाँकि, कलेक्टरेट, थाने और रेलवे स्टेशन पर पास बनवाया जा सकेगा लेकिन इस बार ऑनलाइन सुविधा नहीं दी गई है।
हरियाणा के मानसेर स्थित एक होटल में शनिवार (जुलाई 11, 2020) को ही कॉन्ग्रेस नेताओं का जमावड़ा शुरू हो गया था। सचिन पायलट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह राहुल गाँधी की ‘यंग ब्रिगेड’ का हिस्सा रहे हैं लेकिन सिंधिया के साथ उनके मजबूत संबंधों को देखते हुए यह भी माना जा रहा है कि वो भारतीय जनता पार्टी से संपर्क में हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अधिकतर कॉन्ग्रेस विधायकों का फोन स्विच ऑफ है। आनन-फानन में राज्य में कॉन्ग्रेस के प्रभारी व पार्टी महासचिव अविनाश पांडेय भी जयपुर पहुँच गए हैं। देर रात अशोक गहलोत ने सरकार बचाने की कवायद शुरू तो की लेकिन उनके द्वारा बुलाई गई बैठक में पायलट-गुट के मंत्रीगण नदारद रहे। कहा जा रहा है कि सचिन पायलट दिल्ली मे हैं, इसीलिए वो इस बैठक में शामिल नहीं हो पाए।
कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने आ गए हैं. वहीं डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित 10-12 कांग्रेस और निर्दलीय विधायक दिल्ली पहुंचे थे. #AshokGehlot #Sachinpilot https://t.co/gJWrzpgyKn
— ABP News (@ABPNews) July 12, 2020
हालाँकि, राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के साथ ही पायलट की नाराज़गी किसी से छिपी नहीं है। कहा जा रहा है कि राजस्थान से बाहर निकलने वाले विधायक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मिल कर अपनी बात रखेंगे।
गहलोत ने सभी मंत्रियों को अपने-अपने जिलों के विधायकों के संपर्क में रहने और किसी भी घटनाक्रम के लिए उन्हें सूचित करने की हिदायत दी है। ‘दैनिक भास्कर’ की खबर के अनुसार, डूंगरपुर व बाँसवाड़ा के विधायकाें काे प्रलाेभन देने के मामले में एसीबी ने शनिवार काे तीन निर्दलीय विधायकाें के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
इनमें महुवा से ओमप्रकाश हुड़ला, अजमेर किशनगढ़ से सुरेश टांक तथा पाली मारवाड़ जंक्शन से निर्दलीय विधायक खुशवीर सिंह का नाम शामिल है। कहा जा रहा है कि ये तीनों विधायकों को प्रलोभन देने में लगे हुए थे। इनकी कॉन्ग्रेस से संबद्धता भी तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गई है। गहलोत का दावा है कि विधायकों को 25-25 करोड़ रुपये का लालच दिया जा रहा है। अब देखना है कि राजस्थान की राजनीति में क्या बदलाव आता है।
पूनियाँ ने गहलोत को सलाह दी थी कि झगड़ा खुद का है अपने घर को सँभाल लें, हमें तोहमत न दें। वहीं सीएम गहलोत ने कहा था कि ऐसा वाजपेयी जी के समय पर नहीं था, लेकिन 2014 के बाद धर्म के आधार पर विभाजन करने में गर्व किया जा रहा है। विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में ब्यावर के दो भाजपा नेताओं भरत मालानी और अशोक सिंह पर आरोप लगा है। इन्हें उदयपुर से स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने गिरफ्तार कर लिया है।