Thursday, April 18, 2024
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बीएस येदियुरप्पा समेत 6 नए सदस्यों के साथ भाजपा संसदीय बोर्ड का गठन, गडकरी- शिवराज बाहर: 2024 की स्पष्ट रणनीति

इस बार संगठन में 6 नए चेहरों को जगह दी गई है। इसमें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, के लक्ष्मण और सत्यनारायण जाटिया शामिल हैं।

बीजेपी के नए संसदीय बोर्ड का ऐलान हो चुका है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार, 17 अगस्त 2022 की शाम को नए संसदीय बोर्ड का ऐलान किया। इसके साथ ही केंद्रीय चुनाव समिति का ऐलान भी कर दिया गया है। दोनो ही बीजेपी के सबसे महत्वपूर्ण संगठन हैं। लोकसभा चुनाव के लिए अब ज्यादा समय नहीं रह गया है। दो साल बाद ही आम चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी ने संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में बहुत सूझ-बूझ के साथ नेताओं को शामिल किया है। वहीं बड़ा बदलाव करते हुए इस बोर्ड से दिग्गज नेता नितिन गडकरी और शिवराज सिंह को हटा दिया गया है। इससे पहले 2014 में संसदीय बोर्ड में बदलाव किया गया था।

बीजेपी संसदीय बोर्ड में ये हैं सदस्य

बीजेपी संसदीय बोर्ड में कुल 11 नेताओं को जगह मिली है। जेपी नड्डा के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, के. लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जाटिया और बीएल संतोष का नाम शामिल है। आपको बता दें कि बीएल संतोष बीजेपी संसदीय बोर्ड के सचिव बनाए गए हैं।

संसदीय बोर्ड में इन 6 नए चेहरों को मिली जगह

इस बार संगठन में 6 नए चेहरों को जगह दी गई है। इसमें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, के लक्ष्मण और सत्यनारायण जाटिया शामिल हैं।

संसदीय बोर्ड में बदलाव 2024 की रणनीति

बीएस येदियुरप्पा को संसदीय बोर्ड में शामिल करना भाजपा का एक मास्टस्ट्रोक साबित हो सकता है। इसके पीछे बीजेपी की योजना कर्नाटक विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव तक की है। दरअसल, बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के सबसे बड़ा चेहरा हैं और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय चुनाव जीतने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कर्नाटक में कॉन्ग्रेस के दोनों बड़े नेता सिद्धारमैय्या और डीके शिवकुमार लिंगायत समुदाय से ही आते हैं। ऐसे में बीएस येदियुरप्पा को केंद्रीय संसदीय बोर्ड में शामिल भाजपा ने लिंगायत समुदाय को पूरी तरह से अपनी ओर कर लिया।

लिंगायत समुदाय ने पहले भी कर्नाटक में भाजपा को मतदान किया है। इस तरह एक बात स्पष्ट है कि येदियुरप्पा ना सिर्फ कर्नाटक चुनावों में बल्कि आने वाले लोकसभा चुनावों में भी भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होने वाले हैं। संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल किए जाने पर येदियुरप्पा ने पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का धन्यवाद किया है।

सर्बानंद सोनोवाल को भी संसदीय बोर्ड में शामिल करना भी भाजपा की 2024 की रणनीति का ही एक हिस्सा है। इसके पीछे की मुख्य वज़ह है कि सर्वानंद सोनोवाल उत्तर-पूर्व के आदिवासी समुदाय से आने वाले पहले ऐसे नेता हैं जिन्हें भाजपा के महत्वपूर्ण निर्णय करने वाले संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। इसके साथ ही सोनोवाल असम के पूर्व मुख्यमंत्री हैं- असम में उनका अच्छा-खासा जनाधार है। ऐसे में भाजपा हिमंता बिस्वा सरमा और सोनोवाल के साथ उत्तर-पूर्व को जीतने की रणनीति पर काम कर रही है।

संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल किए गए सर्बानंद सोनोवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का धन्यवाद किया है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा है, “मुझे बीजेपी के संसदीय बोर्ड एवं केन्द्रीय चुनाव समिति का सदस्य मनोनीत किये जाने पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का हृदय से आभार। पार्टी ने मुझे जो दायित्व दिया है उसका मैं निष्ठापूर्वक निर्वहन करने का कोशिश करूँगा।”

सुधा ‘यादव’ फैक्टर!

सुधा यादव को भी भाजपा ने संसदीय बोर्ड में शामिल किया है। सुधा यादव हरियाणा के रेवाड़ी से संबंध रखती हैं। वो भाजपा की पूर्व लोकसभा सांसद भी हैं। सुधा यादव का संसदीय बोर्ड में शामिल होना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। दरअसल, पीएम मोदी ने सबसे पहले सुधा यादव को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था। यह वर्ष 1999 की बात है। सुधा यादव के पति सुखबीर सिंह यादव भारतीय सेना में थे। 1999 के कारगिल युद्ध में वो बलिदान हो गए। इस वक्त में पीएम मोदी हरियाणा भाजपा के पार्टी प्रभारी के तौर पर काम कर रहे थे।

भाजपा के सामने हरियाणा में एक बड़ी चुनौती थी। राव इंद्रजीत सिंह, उस वक्त कॉन्ग्रेस पार्टी में हुआ करते थे, राव इंद्रजीत सिंह के सामने लड़ने के लिए पार्टी को कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल रहा था। ऐसे में चुनाव प्रभारी के नाते नरेंद्र मोदी ने सुधा यादव को चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव रखा। पार्टी तैयार हो गई, लेकिन सुधा यादव ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। बाद में नरेंद्र मोदी ने उनसे बात की तो वो चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गईं- और चुनाव जीत भी गईं।

सुधा यादव का बोर्ड में शामिल होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले संसदीय बोर्ड में एक मात्र महिला सुषमा स्वराज थी। इसके साथ ही भाजपा हरियाणा में यादव वोटर्स को भी साधने की कोशिशों में जुटी है। ऐसे में इनका संसदीय बोर्ड में शामिल होना महत्वपूर्ण हो जाता है।

इसके साथ ही जो और 3 नए चेहरे संसदीय बोर्ड में शामिल किए गए हैं- उनके चुनाव के पीछे भी भाजपा की लंबी रणनीति है। चाहे मध्य-प्रदेश में दलितों का जाना-माना चेहरा सत्यनारायण जाटिया हो, तेलंगाना से संबंध रखने वाले के. लक्ष्मण हो जोकि भाजपा की ओबीसी यूनिट के मुखिया भी हैं या फिर इकबाल सिंह लालपुरा हो- इन सभी को सोची-समझी रणनीति के तहत संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया हैं।

बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति में इन नेताओं को मिली जगह

संसदीय बोर्ड की तरह ही 2024 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्यों को शामिल किया गया है। इसमें 15 नेताओं को जगह मिली है। जिसमें जेपी नड्डा, पीएम नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह, बीएस येदियुरप्पा, सर्बानंद सोनोवाल, के लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जाटिया, भूपेंद्र यादव, देवेंद्र फडणवीस, ओम माथुर, बीएल संतोष और वनथी श्रीनिवास का नाम शामिल है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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