बीजेपी ने गजेंद्र झा (Gajendra Jha) को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी (Jitan ram manjhi) की जुबान काटने पर 11 लाख रुपए देने का ऐलान किया था। माँझी ब्राह्मणों और देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक बयान को लेकर विवादों में हैं। इसी को लेकर झा ने इस इनाम की घोषणा की थी। लेकिन उनकी अमर्यादित भाषा को पार्टी नेतृत्व ने गंभीरता से लेते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
बीजेपी ने झा से 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण भी माँगा है। गजेंद्र झा के निलंबन का आदेश मधुबनी बीजेपी (BJP) के जिलाध्यक्ष शंकर झा ने जारी किया है। इसमें कहा गया है कि गजेंद्र झा की अमर्यादित बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है। इसलिए तत्काल प्रभाव से उन्हें बाहर किया जाता है।
गजेंद्र झा पर हुई इस कार्रवाई का माँझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने स्वागत किया है। पार्टी प्रवक्ता दानिश रिजवान ने बीजेपी के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि अगर एनडीए में रहकर कोई भी कार्यकर्ता या नेता अपने वरिष्ठ नेता का इस तरह से अपमान करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
गजेंद्र झा का बयान
गजेंद्र झा बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य के साथ ही अंतरराष्ट्रीय हिंदू महासभा के महासचिव भी हैं। उन्होंने सोमवार (20 दिसंबर 2021) को कहा था, “मैं घोषणा करना चाहता हूँ अगर कोई ब्राह्मण जीतन राम माँझी की जीभ काटकर मेरे सामने लाता है तो मैं उसे 11 लाख रुपए का इनाम दूँगा। हालाँकि, जीतन राम माँझी की 11 पैसे की भी कीमत नहीं है।”
I would like to make an announcement. If any Brahmin chops off the tongue of Jitan Ram Manjhi and bring it before me, then I will reward him with Rs 11 Lakhs. Jitan Ram Manjhi, however, is not worth even 11 paise: BJP leader Gajendra Jha (20.12.2021) https://t.co/p2ESCJRiu3 pic.twitter.com/7sBI4tZyon
— ANI (@ANI) December 21, 2021
माँझी ने दी थी ब्राम्हणों को गाली
जीतन राम माँझी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने सत्यनारायण कथा को भला-बुरा कहते हुए ब्राह्मणों के लिए गालियों का प्रयोग किया था। उन्होंने कहा था कि हिंदू धर्म काफी खराब है। सत्यनारायण पूजा का नाम हमलोग नहीं जानते थे, लेकिन आजकल ‘%%ला’ हमारे टोले में हर जगह सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है। माँझी ने आगे कहा था, “इतना भी शर्म-लाज नहीं लगता हमलोगों का कि पंडित ‘ह₹!मी’ आते हैं और कहते हैं कि हम खाना नहीं खाएँगे, हमें नकद दक्षिणा ही दे दीजिए।”
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विवाद बढ़ने के बाद माँझी ने अपने बयान पर खेद भी जताया और कहा कि ‘ह₹!मी’ शब्द का इस्तेमाल उन्होंने अपने समुदाय के लिए किया था, न कि ब्राम्हणों के लिए। माँझी ने ये भी कहा कि अगर इससे किसी को आघात पहुँचा है तो वो इसके लिए माफी माँगते हैं।