Friday, April 19, 2024
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गिलगित बल्तिस्तान पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्यों किया 22 फरवरी 1949 की संसद को याद… क्या है लक्ष्य, जहाँ पहुँचने की हुई बात

राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों के दर्द से उनको दुख होता है। उन्‍होंने कहा कि सर्वांगीण विकास का लक्ष्य पीओके के हिस्से ‘गिलगित और बल्तिस्तान तक पहुँचने के बाद’ ही हासिल किया जाएगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार (27 अक्‍टूबर 2022) को बडगाम में शौर्य द‍िवस के कार्यक्रम को संबोध‍ित किया और पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने पाकिस्तान से सवाल करते हुए कहा कि हमारे जितने इलाकों पर उसने अपना कब्‍जा जमा रखा है, वहाँ उसने (पाकिस्तान) नागरि‍कों को क‍ितने अधिकार दे रखे हैं? वह अपने कब्‍जे वाले कश्मीर में लोगों पर अत्याचार कर रहा है और उसे इसके अंजाम भुगतने पड़ेंगे।

राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों के दर्द से उनको दुख होता है। रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को फिर से हासिल करने का संकेत भी द‍िया। उन्‍होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में सर्वांगीण विकास का लक्ष्य पीओके के हिस्से ‘गिलगित और बल्तिस्तान तक पहुँचने के बाद’ ही हासिल किया जाएगा।

नीचे के वीडियो में 22:50 मिनट से आगे गिलगित और बल्तिस्तान वाले हिस्से का भाषण सुना जा सकता है। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 22 फरवरी 1949 को संसद में पारित प्रस्ताव का जिक्र किया, गिलगित और बल्तिस्तान तक पहुँचने की बात को रखा।

उन्‍होंने पाकिस्‍तान को उसके कुकर्मों की याद द‍िलाते हुए कहा क‍ि मानवाधिकार के नाम पर मगरमच्‍छ के आँसू बहाने वाला पाकिस्‍तान इन इलाकों के लोगों की क‍ितनी च‍िंता करते हैं… ये आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं। आए द‍िन इन मासूम भारतीयों (पाक‍िस्‍तान के कब्‍जे वाले क्षेत्र के भारतीय नागरिक) के ऊपर अमानवीय घटना की खबरें आती रहती हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि इन अमानवीय घटनाओं के ल‍िए पाक‍िस्‍तान पूरी तरह से ज‍िम्‍मेदार है। उन्होंने याद दिलाया कि जब वे मासूम लोगों पर अमानवीय घटनाओं की चर्चा करते हैं, तो इसका मतलब है कि वो पाक अधिकृत कश्‍मीर की चर्चा कर रहे हैं।

PoK में कहाँ और क्या है गिलगित बल्तिस्तान

उल्लेखनीय है कि 1947 में जब देश ब्रिटिश राज से मुक्त हुआ, तब जम्मू कश्मीर का विलय भारत में उस प्रकार नहीं हुआ जिस प्रकार अन्य रियासतें भारत संघ का अंग बनीं। जम्मू कश्मीर राज्य भूराजनैतिक विविधताओं से भरा पड़ा है। सन 47-48 में भारत-पाक युद्ध के पश्चात 27 जुलाई 1949 को कराची समझौते में युद्धविराम पर हस्ताक्षर कर तत्कालीन सरकार ने उस भूमि को पुनः हासिल करने का प्रयास नहीं किया, जिस पर पाकिस्तान ने जबरन कब्जा कर लिया था।

जानने लायक बात यह भी है कि पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर पाकिस्तान का कोई आधिकारिक प्रांत नहीं है। आज जिसे हम PoK अथवा PoJK कहते हैं, उसके शासकीय अधिकारों पर पाकिस्तान का संविधान मौन है।

पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर का दूसरा तथा बड़ा भाग (85%) गिलगित बल्तिस्तान है, जिसे 2009 तक नॉर्दर्न एरिया कहा जाता था। गिलगित तथा बल्तिस्तान ऐतिहासिक रूप से दो भिन्न राजनैतिक इकाइयों के रूप में विकसित हुए थे। गिलगित को दर्दिस्तान भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ दरदी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। बल्तिस्तान को मध्यकाल में छोटा तिब्बत कहा जाता था।

पाकिस्तान की सरकार ने कथित आज़ाद कश्मीर में बाहरी लोगों के बसने पर पाबन्दी लगा रखी है किंतु गिलगित बल्तिस्तान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए यहाँ शेष पाकिस्तान से आए इस्लामियों ने जनसंख्या परिवर्तन कर कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का काम किया। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 1 अक्टूबर 2015 को पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर की राजनैतिक दुर्व्यवस्था पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित कराया था।

गिलगित बल्तिस्तान के लोग भारत के समर्थक

पाकिस्तान के कब्ज़े वाले गुलाम कश्मीर (PoK) स्थित गिलगित-बल्तिस्तान के कई लोग भारत के समर्थन में रहते हैं। एक्टिविस्ट सेंगे सेरिंग ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया था। समाचार एजेंसी ANI को दिए बयान (11 सितम्बर 2019) में उन्होंने साफ़ कहा था कि यह पाकिस्तान में एक विशेष समूह को दूसरे सम्प्रदायों के ऊपर वीटो-पावर जैसा विशेषाधिकार देता था। यही नहीं, उन्होंने आरोप लगाया कि इस विशेषाधिकार का इस्तेमाल करने वाले पाकिस्तानी सेना के मित्र बन गए थे।

वॉशिंगटन डीसी (अमेरिका) स्थित इंस्टिट्यूट फ़ॉर गिलगित-बल्तिस्तान स्टडीज़ के निदेशक सेंगे सेरिंग के मुताबिक अनुच्छेद-370 कश्मीर के उन लोगों के हाथ का खिलौना था, जिन्हें वह प्रावधान अन्य पंथों और जातीय समूहों से इतर ‘वीटो’ देता था। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि इस वीटो का फायदा उठाने वाले लोग पाकिस्तानी सेना के पाले में जा बैठे और पाकिस्तान के रणनीतिक हित जम्मू-कश्मीर में पूरे कर रहे थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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