OpIndia is hiring! click to know more
Sunday, April 13, 2025
Homeराजनीतिमध्य प्रदेश की 22 सीटों पर मुस्लिम निर्णायक, इनके ही सहारे नैया पार लगाने...

मध्य प्रदेश की 22 सीटों पर मुस्लिम निर्णायक, इनके ही सहारे नैया पार लगाने की जुगत में कॉन्ग्रेस: 2018 में इनके साथ से ही आगे बढ़ी थी हाथ

कमलनाथ ने भी 2018 में कहा था कि अगर 90 फीसदी अल्पसंख्यक वोट कॉन्ग्रेस के पक्ष में हो तो वे सरकार बना सकते हैं। उनकी इस अपील ने कॉन्ग्रेस के पक्ष में काम भी किया था। इसके कारण ही 2008 और 2013 के चुनावों में हारने वाली 10-12 सीटें भी 2018 में कॉन्ग्रेस के हाथ लग गई थी।

मध्य प्रदेश की सत्ता में कॉन्ग्रेस की वापसी की आस मुस्लिम मतदाताओं पर टिकी हुई है। राज्य में 17 नवंबर 2023 को विधानसभा चुनाव के लिए वोट पड़ेंगे। नतीजे 3 दिसंबर को राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के साथ ही आने हैं।

2018 के विधानसभा चुनावों में जीतने के बावजूद कॉन्ग्रेस लंबे समय तक सत्ता पर काबिज नहीं रह सकी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में उसके दो दर्जन विधायक बागी होकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। पिछले चुनावों में बीजेपी को 41.02 फीसदी वोट मिले थे। लेकिन 40.89 फीसदी वोट पाकर भी कॉन्ग्रेस ने 230 में से 114 सीटें जीतने में कामयाब रही थी।

समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कॉन्ग्रेस ने सरकार बनाई थी। लेकिन यह सरकार मात्र 15 महीने ही चल पाई। कॉन्ग्रेस को उम्मीद है कि इस बार वह मध्य प्रदेश में सत्ता हासिल कर सकती है। लेकिन इस उम्मीद के केंद्र में ज्यादातर ‘मुस्लिम मतदाता’ ही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 22 सीटें मुस्लिमों के प्रभाव वाली हैं।

मध्य प्रदेश में बीजेपी और कॉन्ग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है। इस द्विदलीय राजनीति में जीत का अंतर हमेशा 20 सीटों से कम रहा है। यही वजह है कि कॉन्ग्रेस मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने में लगी है। साल 2018 में कॉन्ग्रेस की जीत में भी मुस्लिम वोटर अहम थे। इनकी मदद से ही पार्टी अपना वोट शेयर 3-4 फीसदी तक बढ़ाने में कामयाब रही थी।

कॉन्ग्रेस से संबद्ध मध्य प्रदेश मुस्लिम विकास परिषद के समन्वयक मोहम्मद माहिर ने बताया कि अल्पसंख्यक वोटों में इजाफे से कॉन्ग्रेस को 2018 में मामूली अंतर से चुनाव जीतने में मदद मिली थी। दिलचस्प यह है कि कॉन्ग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने भी 2018 में कहा था कि अगर 90 फीसदी अल्पसंख्यक वोट कॉन्ग्रेस के पक्ष में हो, तो वे सरकार बना सकते हैं।

उनकी इस अपील ने कॉन्ग्रेस के पक्ष में काम भी किया था। इसके कारण ही 2008 और 2013 के चुनावों में हारने वाली 10-12 सीटें भी 2018 में कॉन्ग्रेस के हाथ लग गई थी।

2011 की जनगणना के मुताबिक मध्य प्रदेश में मुस्लिम आबादी 7 फीसदी है। अनुमान के मुताबिक अब इनकी संख्या बढ़कर 9-10 फीसदी हो गई है। एमपी की विधानसभा की 230 सीटों में 47 विधानसभा सीटों पर उनकी अच्छी खासी संख्या हैं। इनमें से 22 सीटों के नतीजे वे किसी के भी पक्ष में झुका सकते हैं।

राज्य में अल्पसंख्यकों की ये 22 सीटें किस पार्टी को जाएँगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि मुस्लिम वोट कैसे करते हैं। रिपोर्टों से पता चलता है कि इन 22 सीटों पर मुस्लिम मतदाता 15,000 से 35,000 तक हैं, जो करीबी मुकाबले के हालात में उन्हें अहम बनाता है। इन निर्वाचन क्षेत्रों में से कुछ महत्वपूर्ण सीटों में भोपाल, इंदौर, बुरहानपुर, जावरा, जबलपुर और अन्य शामिल हैं।

हाल ही में कॉन्ग्रेस को राजनीति में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ कथित विश्वासघात को लेकर भाजपा की आलोचना का सामना करना पड़ा है। हालाँकि कॉन्ग्रेस का लक्ष्य मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा हासिल करना है, लेकिन उसने विधानसभा चुनाव 2023 में सीमित संख्या में अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। गौरतलब है कि बैतूल जिले की आलमपुर सीट को छोड़कर कॉन्ग्रेस सभी सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है।

दूसरी तरफ, भाजपा ने न केवल अल्पसंख्यकों को उम्मीदवार बनाया है, बल्कि मुस्लिम आबादी के सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया है। दोनों अहम राजनीतिक दल बीजेपी और कॉन्ग्रेस आगामी विधानसभा चुनावों में अल्पसंख्यक वोटरों का समर्थन हासिल करने के लिए एक-दूसरे को टक्कर देने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे आम आदमी पार्टी भी विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले रही है, लेकिन उसकी मौजूदगी से बीजेपी या कॉन्ग्रेस में से किसी के भी वोट प्रतिशत पर असर पड़ने की उम्मीद कम ही है।

OpIndia is hiring! click to know more
Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

पति-बेटा दोनों को इस्लामी भीड़ ने मार डाला, थम नहीं रहे बुजुर्ग महिला के आँसू: गोदी में बच्चा लेकर सड़क पर महिलाएँ, BSF को...

सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता की तुष्टिकरण नीतियों की वजह से हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए NIA जाँच की माँग की।

NIA मुख्यालय में ही पाँच वक़्त की नमाज़ पढ़ता है तहव्वुर राणा, क़ुरान की डिमांड भी की गई पूरी: अधिकारी बोले – मजहबी व्यक्ति...

अदालत ने आदेश दिया था कि राणा को हर दूसरे दिन दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) द्वारा नियुक्त वकील से मिलने की अनुमति दी जाएगी।
- विज्ञापन -