Thursday, April 25, 2024
Homeराजनीति'कृषि कानूनों के बाद CAA भी रद्द हो, उसी आंदोलन से निकला किसानों के...

‘कृषि कानूनों के बाद CAA भी रद्द हो, उसी आंदोलन से निकला किसानों के प्रदर्शन का रास्ता’: मौलाना अरशद मदनी की PM मोदी से माँग

मौलाना अरशद मदनी ने ये भी दावा किया कि CAA विरोधी आंदोलन से ही किसानों के इस विरोध प्रदर्शन का रास्ता निकला। उन्होंने कहा कि ये सच्चाई है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा के बाद अब मौलाना अरशद मदनी ने ‘नागरिकता संशोधन कानून (CAA)’ को भी रद्द करने की माँग की है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने पीएम मोदी की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि अब CAA भी वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने देवबंद में ये बयान जारी किया। मौलाना अरशद मदनी के बयान में कहा गया कि लोकतंत्र और लोगों की शक्ति सर्वोपरि है।

उन्होंने कहा, “जो लोग सोचते हैं कि सरकार और संसद अधिक शक्तिशाली हैं, वो बिल्कुल गलत हैं। जनता ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत का परिचय दिया है। इस आंदोलन की सफलता यह भी सीख देती है कि किसी भी जन आंदोलन को जबरदस्ती कुचला नहीं जा सकता है। हमारे किसान भाई इसके लिए बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने इसके लिए महान बलिदान दिया है। एक बार फिर सच्चाई सामने आ गई है कि अगर किसी जायज मकसद के लिए ईमानदारी और धैर्य के साथ आंदोलन चलाया जाए तो एक दिन भी बिना सफलता के नहीं जाता है।”

मौलाना अरशद मदनी ने ये भी दावा किया कि CAA विरोधी आंदोलन से ही किसानों के इस विरोध प्रदर्शन का रास्ता निकला। उन्होंने कहा कि ये सच्चाई है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता। मौलाना अरशद मदनी ने याद दिलाया कि कैसे महिलाओं-बुजुर्गों ने कई-कई दिनों तक सड़क पर बैठ कर ‘जुल्म के पहाड़’ सहे। उन्होंने दावा किया कि आंदोलन में शामिल लोगों पर कई गंभीर मुक़दमे चलाए जाने के बावजूद इसे कुचलने में सरकार सफल नहीं हुई।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि हमारे देश का संविधान लोकतांत्रिक है, इसलिए यह अपनी जगह पर ठीक है। इसलिए अब प्रधानमंत्री को मुस्लिमों के विषय में लाए गए कानूनों पर भी ध्यान देना चाहिए और कृषि कानूनों की तरह CAA कानून को भी वापस लिया जाना चाहिए। आंदोलन में शामिल लोग कोरोना के कारण अपने घरों को लौट गए थे, फिर भी वे विरोध कर रहे थे।” इससे पहले जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती भी अनुच्छेद-370 को वापस बहाल किए जाने की माँग कर चुकी हैं।

PDP की मुखिया महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट किया था, “कृषि कानूनों को निरस्त करने का निर्णय और माफी एक स्वागत योग्य कदम है, भले ही यह चुनावी मजबूरियों और चुनावों में हार के डर से उपजा हो। विडंबना यह है कि जहाँ भाजपा को वोट के लिए शेष भारत में लोगों को खुश करने की जरूरत है, वहीं कश्मीरियों को दंडित और अपमानित करना उसके प्रमुख वोट बैंक को संतुष्ट करता है। जम्मू-कश्मीर को खंडित और कमजोर कर भारतीय संविधान का अपमान केवल उनके मतदाताओं को खुश करने के लिए किया गया था। मुझे उम्मीद है कि वे यहाँ भी सही करेंगे और अगस्त 2019 से जम्मू-कश्मीर में किए गए अवैध परिवर्तनों को उलटेंगे।”

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिस जज ने सुनाया ज्ञानवापी में सर्वे करने का फैसला, उन्हें फिर से धमकियाँ आनी शुरू: इस बार विदेशी नंबरों से आ रही कॉल,...

ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को कुछ समय से विदेशों से कॉलें आ रही हैं। उन्होंने इस संबंध में एसएसपी को पत्र लिखकर कंप्लेन की है।

माली और नाई के बेटे जीत रहे पदक, दिहाड़ी मजदूर की बेटी कर रही ओलम्पिक की तैयारी: गोल्ड मेडल जीतने वाले UP के बच्चों...

10 साल से छोटी एक गोल्ड-मेडलिस्ट बच्ची के पिता परचून की दुकान चलाते हैं। वहीं एक अन्य जिम्नास्ट बच्ची के पिता प्राइवेट कम्पनी में काम करते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe