उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के लिए समाजवादी पार्टी ने रामपुर शहर विधानसभा सीट से जेल में बंद आजम खान (Azam Khan) को भी चुनावी मैदान में उतारा है। ये वही आजम खान हैं, जिनका मुजफ्फरनगर दंगों (Muzaffarnagar Riots) में नाम सामने आया था। उन पर सपा के शासनकाल के दौरान दंगाइयों को बचाने और पुलिसकर्मी को निलंबित कराने के आरोप लगे थे।
बात वर्ष 2013 की है। यूपी की तत्कालीन सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खान पर मुजफ्फरनगर के प्रभारी मंत्री रहते हुए तत्कालीन डीएम और एसएसपी का तबादला कराने, हिरासत में लिए गए मुस्लिम युवकों को दबाव देकर छुड़वाने और पाँच इंस्पेक्टरों का जबरन तबादले कराने के आरोप लगे थे। मुजफ्फरनगर दंगे की जड़ माने जाने वाले कवाल कांड में दो ममेरे भाइयों- सचिन व गौरव और दूसरे पक्ष से शाहनवाज की मौत के बाद अखिलेश सरकार की काफी थू-थू हुई थी।
मामले से संबंधित एक स्टिंग ऑपरेशन में पुलिसवालों को आजम खान का नाम लेते हुए देखा गया था, पर एसआईटी ने इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं मानी थी। वहीं, बीजेपी सांसद संजीव बालियान और विरोधी दलों ने भी आजम खान पर आरोप लगाया था कि उन्होंने तत्कालीन डीएम सुरेंद्र सिंह और एसएसपी मंजिल सैनी का तबादला करवाया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान को नोटिस जारी किया था
मालूम हो कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के मंत्री आजम खान को नोटिस भी जारी किया था। साथ ही कोर्ट ने मुजफ्फरनगर दंगों के मामलों में निलंबित किए गए पाँच पुलिसवालों के निलंबन पर रोक लगा दी थी। उस दौरान पुलिसवालों ने आरोप लगाया था कि यह निलंबन यूपी के मंत्री आजम खान के इशारे पर किया गया था और उन्हीं के दबाव के चलते उन सात लोगों को रिहा किया गया था, जिन पर सचिन और गौरव की हत्या का आरोप लगा था। कहा जा रहा था कि इसी वजह से इलाके में दंगे भड़के थे। इन दंगों में लगभग 65 लोग मारे गए थे और करीब 45 हजार लोग विस्थापित हुए थे।
राकेश टिकैत ने भी सपा नेता पर लगाया था आरोप
वर्तमान में किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी उस वक्त मुजफ्फरनगर हिंसा को लेकर इशारों-इशारों में सपा के स्थानीय नेता पर भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि हिंसा के पीछे रामपुर के आजम नहीं, बल्कि मुजफ्फरनगर के ‘आजम’ दोषी हैं। दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान टिकैत ने कहा था, “27 अगस्त से सात सितंबर तक मुजफ्फरनगर के एक स्थानीय नेता के कहने पर पुलिस प्रशासन की जुबां बंद रही। दो आला अफसरों ने जबान खोली तो उनका तबादला कर दिया गया। कवाल कांड के आरोपितों को थाने से छुड़वाया गया, इसी के बाद आक्रोश भड़का।”
उस समय राकेश टिकैत ने कहा था कि नंगला मंदौड़ महापंचायत में भाजपा विधायक संगीत सोम हों या सुरेश राणा, किसी ने भी ऐसा भाषण नहीं दिया, जिससे उन्माद भड़कता हो। संगीत सोम व सुरेश राणा पर रासुका की कार्रवाई गलत है। पुलिस अफसरों को चाहिए कि वह सियासी चक्रव्यूह से निकल दोषियों पर शिकंजा कसें।
बता दें कि बीते दिनों समाजवादी पार्टी ने रामपुर जिले की पाँचों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी। इन उम्मीदवारों में जेल में बंद आजम खान (Azam Khan) को भी रामपुर सीट से टिकट दिया गया है। इसके अलावा अखिलेश यादव ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान (Abdullah Azam Khan) को स्वार-टांडा से टिकट दिया है।