Thursday, April 25, 2024
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जिस सुलेमान पर CAA विरोधी दंगों में पुलिस पर गोली चलाने के लगे थे आरोप, उसकी माँ को कॉन्ग्रेस का टिकट: नामांकन ख़ारिज

अकबरी बेगम को बिजनौर सदर से प्रत्याशी बनाया गया था। उन्होंने घर-घर जा कर चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था। सुलेमान पर बिजनौर पुलिस के कॉन्स्टेबल पर गोली चलाने का आरोप लगा था।

साल 2019 में CAA विरोधी दंगों में पुलिसकर्मी को गोली मारने के आरोपित बिजनौर के सुलेमान की माँ अकबरी बेगम को कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा टिकट दिया गया था। आत्मरक्षा में पुलिस द्वारा चलाई गई गोली से सुलेमान की मौत हो गई थी। कागज़ातों की जाँच के बाद उनके पर्चे को ख़ारिज कर दिया गया है। पर्चा ख़ारिज होने के पीछे कागज़ातों पर प्रदेश अध्यक्ष के हस्ताक्षर न होना बताया जा रहा है। इस बात की जानकारी अकबरी बेगम के बेटे शुऐब ने दी है। अकबरी बेगम को बिजनौर सदर से प्रत्याशी बनाया गया था। अकबरी बेगम ने घर-घर जा कर चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था। सुलेमान पर बिजनौर पुलिस के कॉन्स्टेबल पर गोली चलाने का आरोप लगा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अकबरी बेगम बिजनौर के नहटौर क्षेत्र में रहती हैं। अकबरी बेगम के मुताबिक मौत के समय उनके बेटे सुलेमान की उम्र 21 साल थी। अकबरी बेगम के मुताबिक उनका बेटा दिल्ली में रह कर IAS की तैयारी करता था। दिल्ली से सुलेमान 15 दिसंबर, 2019 को नहटौर आया था। सुलेमान के भाई शुएब के मुताबिक घटना 20 दिसंबर 2019 की थी। इस दिन उनका भाई नहटौर में जुमे की नमाज पढ़ने गया था। उसके साथ अनस नाम का एक अन्य युवक भी था।

दंगे में इन दोनों की मौत हो गई थी। घटना के 4 दिन बाद 24 दिसम्बर 2019 को प्रियंका गाँधी वाड्रा सुलेमान के घर गईं थीं। उस समय उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधा था। साथ ही सुलेमान के घर वालों को हर सम्भव मदद की घोषणा की थी।

ऑपइंडिया ने अकबरी बेगम के बेटे शुऐब से की बात

ऑपइंडिया से बात करते हुए शुऐब ने बताया, “हमारे साथ खेल कर दिया गया। हमारा पर्चा अंतिम समय में ख़ारिज कर दिया गया। हमसे कागज़ पर प्रदेश अध्यक्ष के साइन न होने की बात कही गई। जब हमने इसे करवा कर दिया तब अधिकारियों ने समय खत्म हो जाने की बात कही। हमने CAA हिंसा के दौरान कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ अपने भाई की हत्या की शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में बिजनौर के तब के SP संजीव कुमार के आठ SHO राजेश सोलंकी और सिपाही मोहित भी शामिल हैं। उन सभी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हमारी FIR दर्ज नहीं हुई है। हम केस दर्ज करवाने के लिए कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। हम अपने भाई के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसलिए हमारे पर्चे को कैंसिल करवा दिया गया। हम केस दर्ज करवाने के लिए अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं।”

पुलिस ने मुताबिक सुलेमान ने पुलिस पर गोली चलाई थी

पुलिस के दावे मृतक मोहम्मद सुलेमान के परिवार वालों से एकदम उलट हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन 20 दिसम्बर 2019 को जुमे की नमाज़ के बाद भीड़ ने तोड़फोड़ और हंगामा शुरू कर दिया था। CAA के विरोध में पुलिस पर पथराव हुआ। साथ ही आगजनी और तोड़फोड़ भी की गई। इस हमले में पुलिस सब इंस्पेक्टर आशीष तोमर, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के कांस्टेबल मोहित समेत कई अन्य पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बिजनौर IPS संजीव त्यागी के हवाले से कहा गया, “पुलिस वालों की बंदूक भीड़ ने छीन ली थी। हमारा एक सिपाही उस छीनी बंदूक को वापस लेने की कोशिश कर रहा था। इसी दौरान भीड़ में से किसी ने जवान पर गोली चला दी। वह गोली मोहित कुमार के पेट में लगी। मोहित पर फायर सुलेमान ने किया था। फायर करने के लिए देशी बंदूक का प्रयोग किया गया था। कांस्टेबल मोहित ने आत्मरक्षा में अपनी सर्विस पिस्टल से जवाबी फायरिंग की। यह गोली सुलेमान को लगी थी।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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