Wednesday, May 14, 2025
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पहले 48 घंटों में 30, साल में 500+ बच्चों की मौत… अब आँकड़ा है – शून्य: जापानी इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया, मलेरिया पर योगी सरकार विजयी

उत्तर प्रदेश शासन ने अपना अगला लक्ष्य इन बीमारियों को जड़ से खत्म करना बताया है। अक्टूबर माह में इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया और मलेरिया के खिलाफ विशेष अभियान भी चलाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक मील का पत्थर स्थापित किया है। सरकार ने दावा किया कि लगभग 40 वर्षों से आम जनता पर कहर की तरह बरसने वाली जापानी इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बीमारियों पर काबू पा लिया गया है। सरकार ने इन बीमारियों को जड़ से खत्म करना अपना अगला टारगेट बताया है। इसी के साथ शासन ने इस साल अभी तक जापानी इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया व मलेरिया से एक भी मौत न होने की जानकारी दी है।

शनिवार (9 सितंबर 2023) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य विभाग के साथ एक समीक्षा बैठक की। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इस बावत आँकड़े पेश किए गए। CM कार्यालय के मुताबिक, “पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपदों में इंसेफेलाइटिस से हजारों बच्चों की मौत होती थी। साल 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने अंतरविभागीय समिति बनाकर जापानी इंसेफेलाइटिस के नियंत्रण के लिए कार्य किए। नतीजा, इस वर्ष 01 जनवरी से 07 सितंबर तक प्रदेश में जापानी इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया व मलेरिया से एक भी मृत्यु नहीं हुई।”

उत्तर प्रदेश शासन ने अपना अगला लक्ष्य इन बीमारियों को जड़ से खत्म करना बताया है। शासन स्तर पर इसकी तैयारियाँ भी शुरू कर दी गई हैं। मरीजों के बेहतर इलाज की मॉनिटरिंग के लिए सभी जिलों के ज़िलाधिकारियों को एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं। आने वाले अक्टूबर माह में इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया और मलेरिया के खिलाफ विशेष अभियान भी चलाया जाएगा। इस अभियान के लिए संबंधित अधिकारियों को अभी से तैयारियाँ शुरू करने के लिए कहा गया है। हर अस्पताल की रोज जाँच के भी आदेश दिए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक संचारी रोगों के लिए 15 नवंबर तक का समय संवेदनशील है। अपने लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर चली इस मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से किसी भी तरह की ढिलाई न स्वीकार होने के साथ अव्यवस्था फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती करने के भी आदेश दिए। मरीजों की देखरेख के लिए जिलेवार अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है। स्कूल जाने वाले बच्चों को भी फुल शर्ट और पैंट में आने की सलाह दी गई है।

बैठक में बीमारियों के हिसाब से नोएडा, गाजियाबाद, कानपुर, पीलीभीत, सीतापुर, हरदोई, संतकबीरनगर, सहारनपुर, बस्ती, संभल, शाहजहाँपुर, बरेली और बुलंदशहर को संवेदनशील बताते हुए विशेष सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं। बीमारियों की आशंका दूर करने के लिए अधिकारियों द्वारा आम लोगों को साफ-सफाई के लिए जागरूक करने का अभियान भी चलाए जाने के लिए भी बोला गया है।

एक साल में 500 मौतें, 48 घंटों में 30 बच्चे… और सरकारी घोषणाएँ

योगी आदित्यनाथ की सरकार से पहले जापानी इंसेफेलाइटिस बच्चों के लिए मौत का दूसरा नाम बन चुका था। उत्तर प्रदेश में 2012 में 500 से ज्यादा मौतें हुई थीं। इनमें अधिकतर बच्चे थे। कभी-कभी तो सिर्फ 48 घंटों के भीतर ही 30 बच्चों की मौत भी इसी उत्तर प्रदेश ने झेला है। अखिलेश यादव की सरकार तब मरने वाले बच्चों के माँ-बाप को 50000-50000 रुपए देकर सरकारी काम करने का दायित्व उठाती थी।

जापानी इंसेफेलाइटिस की बात हो तो बिहार कोई अलग नहीं है उत्तर प्रदेश से। 2019 में सिर्फ एक जिले मुजफ्फरपुर में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई। नीतीश कुमार की सरकार अखिलेश यादव की ही तरह सरकारी काम करने का दायित्व उठाते रही। इन दोनों मुख्यमंत्रियों के उलट योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बीमारी के जड़ को खोजा, उसको दूर करने का प्लान बनाया और रिजल्ट सबके सामने है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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