Thursday, March 20, 2025
Homeराजनीतिजब मनमोहन सिंह थे PM तब भी संसद में धरने पर लगी थी रोक,...

जब मनमोहन सिंह थे PM तब भी संसद में धरने पर लगी थी रोक, अब शोर मचा रही वही कॉन्ग्रेस: विपक्ष के हंगामे पर उठे सवाल

इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद अब लोकसभा सचिवालय ने स्पष्ट किया है कि ये एक रुटीन प्रक्रिया का हिस्सा है। सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए ये निर्णय लिए गए हैं। संसद की हर सत्र से पहले इस तरीके के दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं।

संसद सदन के भीतर अंससदीय शब्दों को लेकर बुकलेट के एक दिन बाद राज्यसभा सचिवालय की बुलेटिन में संसद भवन परिसर के अंदर धरना, प्रदर्शन, हड़ताल या अनशन जैसे सभी तरह के विरोध प्रदर्शनों के आयोजन पर रोक लगा दी गई हैं। राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने ये बुलेटिन जारी कर सभी सदस्यों से सहयोग करने का अनुरोध किया है।

यह नया आदेश आने के बाद अब विपक्ष पूरी तरह से बिफर गया है। दरअसल, अब तक सदन के अंदर किसी भी बात को लेकर सहमति नहीं बनने पर विपक्ष अक्सर संसद के कैम्पस में महात्मा गाँधी की प्रतिमा के नीचे तख्तियाँ लेकर प्रदर्शन करता रहा है। लेकिन इस आदेश के तहत अब ये सब भी नहीं हो सकेगा।

इस घटना के विरोध में कॉन्ग्रेस के कम्युनिकेशन हेड जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, “विषगुरू का ताजा प्रहार… धरना मना है।’’ माना जा रहा है कि अप्रत्यक्ष तरीके से उन्होंने पीएम मोदी को विषगुरू करार दिया है।

हालाँकि, विपक्ष भले ही इस पर चीख चिल्लाहट कर रहा हो, लेकिन इस तरह के आदेश साल 2009 में भी जारी किए गए थे। उस दौरान देश में कॉन्ग्रेस की सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे।

लोकसभा सचिवालय का स्पष्टीकरण

इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद अब लोकसभा सचिवालय ने स्पष्ट किया है कि ये एक रुटीन प्रक्रिया का हिस्सा है। सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए ये निर्णय लिए गए हैं। संसद की हर सत्र से पहले इस तरीके के दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले गुरुवार को सदन के भीतर असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल को लेकर बुकलेट जारी किया गया था। इसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनि, जयचंद, विनाश पुरुष जैसे कई शब्दों को असंसदीय करार दिया गया था। विपक्ष के बवाल के बाद लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने ये स्पष्ट किया था कि इन शब्दों के बोलने पर प्रतिबन्ध नहीं है बस उस प्रक्रिया में जब भी संसद में संवाद के दौरान कोई सदस्य किसी चर्चा के दौरान किसी शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो जो पीठासीन अधिकारी होते हैं वो उसे असंसदीय घोषित करते हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

स्तन दबाना, पायजामे का नाड़ा खींचना… रेप/रेप का प्रयास नहीं: इलाहाबाद HC, 11 साल की बच्ची को पुलिया के नीचे खींचकर ले गए थे...

HC ने कहा कि मामले में बलात्कार के प्रयास का आरोप नहीं बनता क्योंकि अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होता है कि आरोपितों की कार्रवाई अपराध करने की तैयारी से आगे बढ़ चुकी थी।

कौन है जामिया से पढ़ने वाला बद्र खान, आतंकी संगठन हमास से क्या हैं रिश्ते, अमेरिका ने क्यों रद्द किया वीजा: जानिए सब कुछ

बद्र खान सूरी 2020 तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली में पढ़ता था। इसके बाद वह अमेरिका चला गया। उसने एक अमेरिकी नागरिक से निकाह किया है।
- विज्ञापन -