कॉन्ग्रेस के नेता राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) तमिलनाडु (Tamilnadu) के कन्याकुमारी (Kanyakumari) से कश्मीर (Kashmir) तक 3570 किलोमीटर की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू की है। 150 दिनों तक चलने वाली राहुल गाँधी की यह यात्रा 12 राज्यों से होकर गुजरेगी।
सोशल मीडिया यूजर्स राहुल गाँधी की इस यात्रा को ‘कंटेनर यात्रा’ यात्रा कह रहे हैं। इस यात्रा के दौरान राहुल गाँधी और उनके साथी कंटेनर में ठहरेंगे। इन्हीं कंटेनरों में सोने के लिए बेड और वॉशरूम की व्यवस्था की गई है। कॉन्ग्रेस ने इस तरह के 60 कंटेनरों को शामिल किया है।
हालाँकि, राहुल गाँधी भले ही होटल में ठहरने के बजाए कंटेनर में ठहरने और सोने की दिखावा कर रहे हों, लेकिन कॉन्ग्रेस ने जब-जब मौका पाया है, इस देश के संसाधनों का दुरुपयोग किया है। यहाँ तक देश की वॉरशिप को भी पिकनिक का स्थान बना दिया था पंडित जवाहरलाल नेहरू ने।
इंदिरा गाँधी ने राहुल का विमान में मनाया था बर्थडे
राहुल गाँधी आज कंटेनर यात्रा भले ही कर रहे हैं, लेकिन इनका बचपन हवाई जहाज में जन्मदिन मनाते बीता है। साल 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने राहुल गाँधी का जन्मदिन हवाई जहाज में मनाया था। उस दौरान उनकी माँ सोनिया गाँधी, बहन प्रियंका गाँधी और परिवार के अन्य सदस्य भी थे।
Indira Gandhi Celebrating Birthday of Rahul Gandhi in Aeroplane. #RahulRocks pic.twitter.com/OSjTUYfEcD
— Congress History (@INCinHistory) January 16, 2016
इस पुरानी तस्वीर में राहुल गाँधी को एक कोने में शर्म से मुस्कुराते हुए देखा जा सकता है। उनकी ठुड्डी उनके हाथ पर टिकी हुई है। उनकी बहन प्रियंका गाँधी उनके बगल में बैठी हैं और टेबल के बीच में जन्मदिन का केक रखा है। विमान के अंदर ली गई इस तस्वीर में उनकी माँ सोनिया गाँधी और दादी इंदिरा गाँधी भी हैं।
राजीव गाँधी ने मनोरंजन के युद्धपोत ‘विराट’ पर डाला डेरा
राजीव गाँधी ने अपने निजी उपयोग के लिए भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विराट का इस्तेमाल किया था। युद्धपोत का उपयोग गाँधी परिवार को 10 दिनों की लंबी छुट्टी के लिए लक्षदीप द्वीपसमूह के एक छोटे से निर्जन द्वीप पर एक निजी टैक्सी की तरह ले जाने के लिए किया गया था। इस दौरान राजीव गाँधी के ससुराल के लोग भी शामिल थे।
मेहमानों की सूची में राजीव गाँधी के साथ पत्नी सोनिया गाँधी, बेटे राहुल गाँधी, बेटी प्रियंका और उनके चार दोस्त, सोनिया गाँधी की माँ, उनके भाई और एक मामा शामिल थे। इसके साथ ही तब के सांसद अमिताभ बच्चन, उनकी पत्नी जया बच्चन और उनके बच्चे, अमिताभ के भाई अजिताभ की बेटी और पूर्व मंत्री अरुण सिंह के भाई बिजेंद्र सिंह की पत्नी और बेटी भी मौजूद थे। छुट्टी का स्थान बंगारम था, जो लक्षद्वीप द्वीपसमूह में एक छोटा निर्जन द्वीप है।
उस समय भारतीय नौसेना के एकमात्र वाहक आईएनएस विराट का इस्तेमाल गाँधी परिवार और उनके साथियों के परिवहन के लिए किया गया था, जो इस छुट्टी के लिए 10 दिनों के लिए अरब सागर में चले गए थे। बता दें कि एक विमान वाहक युद्धपोत अकेले समुद्र में नहीं चलता है, यह हमेशा कई युद्धपोतों से घिरा रहता है। यहाँ तक कि एक पनडुब्बी भी यात्रा के दौरान मौजूद थी। इसका मतलब इस शाही छुट्टी का खर्च बहुत तगड़ा था।
पंडित नेहरू ने डाली थी परंपरा
प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सबसे पहले ऐसी शाही परंपरा की शुरुआत की थी। उन्होंने INS देल्ही (INS Delhi) का इस्तेमाल अपने परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाने के लिए किया था। आईएनएस देल्ही 1933 में नौसेना के लिए बनाया गया एक हल्का क्रूजर था। इसे ब्रिटिश राज में एचएमएस अकिलिस के नाम से जाना जाता था। 1950 में अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए इसी वॉरशिप का इस्तेमाल नेहरू ने किया था।
Use of warships for vacations of Nehru-Gandhi family,that PM Modi quotes,was not limited to just Rajiv Gandhi misusing for his friends & Italian family.started from Nehru himself.Indira & young Rajiv & Sanjay vacationing aboard INS Delhi, during his voyage to Indonesia 1950 pic.twitter.com/sedPBa9TCL
— Vikas Bhadauria (@vikasbha) May 8, 2019
1950 में ही भारतीय नौसेना की संपत्ति का दुरुपयोग करने की परंपरा जवाहरलाल नेहरू के साथ शुरू हुई थी। यह एक ऐसी घटना है, जिस पर शायद ही कभी बात की गई हो, जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि किस तरह नेहरू के पूरे परिवार ने अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए भारतीय संपत्ति के निजी इस्तेमाल की अनोखी परंपरा की शुरुआत की थी।
एडविना को श्रद्धांजलि देने पंडित नेहरू ने INS त्रिशूल को भेजा
जवाहरलाल नेहरू और वायसराय की पत्नी एडविना माउंटबेटन के रिश्तों की बात हमेशा होती रहती है। जवाहरलाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन के बीच का संबंध कोई रहस्य नहीं है। एक लेख में माउंटबेटन को “आदमखोर” तक कहा गया था।
माँ एडविना को लेकर उनकी बेटी पामेला ने कहा, “वह पंडितजी (नेहरू) में साहचर्य और समझ को देखती है, जिसके लिए वह तरसती थी। दोनों ने एक-दूसरे के अकेलेपन को दूर करने में मदद की।” भारत के आजाद होने के बाद जब भी नेहरू लंदन जाते तो एडविना से जरूर मिलते थे।
एडविना की इच्छा समुद्र में दफन होने की थी और जब 1960 में उनकी मृत्यु हुई तो उनके शव को पोर्ट्समाउथ लाया गया। इसके बाद नेहरू ने निर्देश पर सरकारी खर्चे पर लेडी माउंटबेटन को श्रद्धांजलि देने की व्यवस्था की गई थी। उनकी इच्छा के अनुसार लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा उन्हें समुद्र में दफन किया गया। ऐसे में नेहरू भी पीछे नहीं रहे। नेहरू ने भारतीय नौसेना के फ्रिगेट आईएनएस त्रिशूल को एस्कॉर्ट के रूप में और साथ ही उनकी याद में पुष्पांजलि देने के लिए भेजा था।
पामेला हिक्स ने बताया कि जब उनका शोक संतप्त परिवार घटनास्थल पर माल्यार्पण के बाद हट गया था तो भारतीय फ्रिगेट आईएनएस त्रिशूल उस जगह पर आया और नेहरू के निर्देशों के अनुसार मैरीगोल्ड के फूलों से उस पूरे एरिया को आच्छादित कर दिया गया था।
कुछ रुपए की सिगरेट के लिए फूँक दिए गए थे लाखों रुपए
पूर्व पीएम नेहरू के बारे में एक कहानी है, जो आज भी किसी को भी लुभा सकती है। भोपाल की अपनी एक यात्रा पर, वह राजभवन में रुकने वाले थे। हालाँकि, कर्मचारियों को पता चला कि उनका पसंदीदा सिगरेट ब्रांड राजभवन में उपलब्ध नहीं है। यह वास्तव में, भोपाल में उपलब्ध नहीं था, और नेहरू अपने भोजन के बाद एक सिगरेट पीने के शौकीन थे।
आम तौर पर, लोगों को लगेगा कि राज भवन के कर्मचारियों ने उनके लिए कोई दूसरा ब्रांड पेश किया होगा। लेकिन नहीं! मध्य प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक उनकी पसंदीदा सिगरेट का स्टॉक इंदौर से एयरलिफ्ट किया गया!
जानकारी के मुताबिक किसी को ‘555’ ब्रांड की सिगरेट के कुछ पैकेट इंदौर एयरपोर्ट से लाने का काम दिया गया था। एक विमान ने पैकेज प्राप्त करने के लिए भोपाल से इंदौर के लिए उड़ान भरी, सिगरेट एकत्र की और वापस उड़ान भरी।