Saturday, July 27, 2024
Homeराजनीतिराहुल गाँधी ने फिर की 'हेराफेरी': किसान रैली की पुरानी फोटो दिखा मुजफ्फरनगर महापंचायत...

राहुल गाँधी ने फिर की ‘हेराफेरी’: किसान रैली की पुरानी फोटो दिखा मुजफ्फरनगर महापंचायत का पीटा ढोल

इस बार भी, राहुल गाँधी ने एक बड़ी चूक कर दी। कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा के तहत एक पुरानी, ​​असंबंधित तस्वीर का सहारा लिया।

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड के सांसद राहुल गाँधी ने आज ट्विटर पर ‘किसानों’ की जय-जयकार करते हुए एक तस्वीर साझा की, जिसमें केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे। #FarmersProtest हैशटैग का उपयोग करते हुए, राहुल गाँधी ने तस्वीर के साथ कैप्शन दिया, “डटा है, निडर है, इधर है, भारत भाग्य विधाता!

हालाँकि, इस बार भी, राहुल गाँधी ने एक बड़ी चूक कर दी। कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा के तहत एक पुरानी, ​​असंबंधित तस्वीर का सहारा लिया। तस्वीर दरअसल इस साल फरवरी में उत्तर प्रदेश के शामली में हुई किसान रैली की है।

वास्तव में, राहुल गाँधी ने जिस पुराने तस्वीर को हाल के किसानों के विरोध के रूप में प्रसारित करने की कोशिश की, वह समाचार एजेंसी पीटीआई की एक पुरानी तस्वीर है जिसे कई अन्य मीडिया आउटलेट्स द्वारा भी इस्तेमाल किया गया था।

इस साल 5 फरवरी को शामली पर एक लेख के लिए कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड ने भी इसी तस्वीर का उपयोग किया था।

यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि उस समय शामली प्रशासन ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी थी। इसके बावजूद भारी संख्या में ‘किसान’ जमा हो गए थे।

‘सब कॉन्ग्रेस का ही किया धरा’

प्रारंभिक तथाकथित किसान विरोध पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित पंजाब कॉन्ग्रेस के नेताओं के स्पष्ट समर्थन से शुरू हुआ, इसमें अब कोई संदेह नहीं है। फिर अन्य स्व-नियुक्त नेता सहित राकेश टिकैत और आप के पूर्व नेता योगेंद्र यादव जैसे लोग भी ‘किसान नेताओं’ के रूप में शामिल हो गए।

बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों का उद्देश्य किसानों को मौजूदा प्रणाली के अनुसार एमएसपी का सुरक्षा कवच देते हुए उन्हें अपनी उपज बेचने में मदद करना है। हालाँकि, इस कदम से बिचौलियों को लेन-देन से हटा दिया गया है, ऐसा लगता था कि कुछ तथाकथित ‘किसानों’ ने पूरी बात बिना समझे बहकावे में इसका विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। बाद में इन विरोधों में खालिस्तान समर्थक तत्वों की भागीदारी भी देखी गई है। क्योंकि, तथाकथित कृषि विरोध के दौरान कई मौकों पर खालिस्तानी प्रस्तावक जरनैल सिंह भिंडरावाले के बैनर-पोस्टर लगाए और लहराए गए।

गौरतलब है कि कुछ ही महीनों में उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में देखा जा रहा है कि ‘किसान’ के रूप में तमाम राजनेता सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर एक छद्म राजनीतिक अभियान चलाने के लिए फिर से पूरी ताकत से सामने आए हैं। और जैसा कि देखा जा सकता है, कॉन्ग्रेस जैसे विपक्षी दलों द्वारा इन विरोधों का पूरा ‘समर्थन’ हासिल है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बांग्लादेशियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर झारखंड पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों को पीटा: BJP नेता बाबू लाल मरांडी का आरोप, साझा की...

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर हेमंत सरकार की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -