एक संगठन है LKS। यानी लोक केरल सभा। केरल के प्रवासियों के इस संगठन का एक सम्मेलन हाल में संपन्न हुआ है। इस सम्मेलन का केरल के विपक्षी गठबंधन UDF ने बहिष्कार किया। इसमें कॉन्ग्रेस भी शामिल है। लेकिन कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गॉंधी ने इसी संगठन की तारीफों के पुल बॉंध दिए। यह बात सामने आने के बाद कॉन्ग्रेस और यूडीएफ के उसके साथियों की जमकर किरकिरी हो रही है।
केरल के वायनाड से सांसद राहुल गाँधी ने 12 दिसंबर को लिखे पत्र में LKS की सराहना की। इसे भारतीय प्रवासी से जुड़ने का एक “महान मंच” बताया। राहुल गाँधी ने पत्र में लिखा,
“मैं मलयाली प्रवासी सदस्यों को उनकी अभूतपूर्व सफलता और राज्य के योग्य राजदूतों को बधाई देता हूँ। लोक केरल सभा प्रवासी भारतीयों से जुड़ने और उनके योगदान को पहचानने का एक बेहतरीन मंच है।”
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से गुरुवार (2 जनवरी) को राहुल गाँधी का यह पत्र पोस्ट किया गया।
Thank you Shri. Rahul Gandhi for your warm greetings to the Loka Kerala Sabha (@LokaKeralaSabha).
— CMO Kerala (@CMOKerala) January 2, 2020
In his message, @RahulGandhi opined that “the Loka Kerala Sabha is a great platform to connect with the diaspora, and recognize their contribution.” pic.twitter.com/3G4KYMSllc
इसके बाद यूडीएफ को बेहद शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। राहुल गाँधी ने LKS की प्रशंसा ऐसे समय में की जब राज्य के विपक्षी दलों अन्य नेताओं ने उससे दूरी बना राखी थी। बीजेपी नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री, वी मुरलीधरन LKS के सम्मलेन के मुख्य अतिथि थे। लेकिन उन्होंने भी इसमें भाग नहीं लिया।
विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने जून 2019 में दो कारोबारियों की आत्महत्या के विरोध में LKS उपाध्यक्ष का पद छोड़ दिया था। मृतकों में कन्नूर से साजन परील और पुनालुर से सुगाथन शामिल थे। दोनों को कथित तौर पर उनके महँगे निर्माणों के लिए सरकार की ओर से प्रशासनिक मंज़ूरी नहीं दी गई। विपक्ष ने तिरुवनंतपुरम में लोक केरल सभा द्वारा आर शंकर नारायणन थम्पी हॉल के पुनर्निर्मित करने के खर्च पर भी नाराज़गी जताई थी।
LKS का तीन दिवसीय बैठक शुक्रवार (27 दिसंबर) को सम्पन्न हुआ था। राहुल गाँधी का प्रशंसा-पत्र सामने आने के बाद कॉन्ग्रेस नेता उनके बचाव में जुट गए हैं। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना है कि राहुल गाँधी के पत्र में कुछ भी राजनीतिक नहीं है। उन्होंने त्रिशुर में कहा, “UDF ने जब LKS का बहिष्कार करने का फैसला किया उससे पहले ही यह पत्र भेजा जा चुका था।”
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