Friday, October 11, 2024
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93 में गढ़ी मस्जिद बंदर में धमाके की ‘कहानी’, अब कश्मीरी हिंदुओं का नरंसहार लग रहा BJP का ‘प्रोपेगेंडा’: बोले शरद पवार- द कश्मीर फाइल्स को पास नहीं करना था

पवार ने कहा कि ऐसी फिल्मों के प्रदर्शन की मँजूरी नहीं दी जानी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने इसे टैक्स फ्री कर दिया। जिन लोगों के पास देश को एक रखने की जिम्मेदारी है, वही लोगों को ऐसी फिल्म देखने को कह रहे हैं।

साल था 1993। तारीख थी 12 मार्च की। मुंबई में 12 सीरियल ब्लास्ट हुए। लेकिन तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार ने 13वें ब्लास्ट की कहानी गढ़ी। कहा कि एक धमाका मस्जिद बंदर में भी हुआ है। मकसद था इस्लामी कट्टरपंथियों पर पर्दा डालना, क्योंकि असली धमाके ​हिंदू बहुल इलाकों को निशाना बनाकर किए थे। इतना ही नहीं उन्होंने इस्लामी आतंकियों को बचाने के लिए बम को ‘साउथ इंडियन आतंकियों’ वाला भी बताया था। अब इन्हीं शरद पवार को नब्बे के दशक में कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ बीजेपी का प्रोपेगेंडा लग रही है। उनका यह भी कह​ना है कि इस फिल्म को प्रदर्शन के लिए पास ही नहीं किया जाना चाहिए था।

राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुुख शरद पवार गुरुवार (31 मार्च 2022) को पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यहाँ उन्होंने कहा कि बीजेपी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के जरिए घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन को लेकर झूठा प्रोपेगेंडा फैलाकर देश में जहरीला माहौल बना रही है। पवार ने कहा कि ऐसी फिल्मों के प्रदर्शन की मँजूरी नहीं दी जानी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने इसे टैक्स फ्री कर दिया। जिन लोगों के पास देश को एक रखने की जिम्मेदारी है, वही लोगों को ऐसी फिल्म देखने को कह रहे हैं ताकि लोगों में गुस्सा भड़के।

पवार ने कहा कि यह सच है कि कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़नी पड़ी थी, लेकिन मुस्लिमों को भी उसी तरह से निशाना बनाया गया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह कश्मीरी पंडितों और मुसलमानों पर हमले के लिए जिम्मेदार हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर मोदी सरकार सच में कश्मीरी पंडितों की परवाह करती है तो, उसे उनके पुनर्वास के लिए हर कोशिश करनी चाहिए। अल्पसंखकों को लेकर गुस्सा नहीं भड़काना चाहिए।

इसके अलावा राकांपा प्रमुख ने चर्चा में देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू को घसीटने पर भी बीजेपी को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों को तब घाटी छोड़नी पड़ी थी, जब विश्वनाथ प्रताप सिंह पीएम थे। उन्होंने कहा कि उस समय वीपी सिंह की सरकार का समर्थन भाजपा कर रही थी। तब जगमोहन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। बाद में जगमोहन ने बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़े थे। इन्होंने ही कश्मीरी पंडितों की कश्मीर घाटी से निकलने में मदद की।

उन्होंने द कश्मीर फाइल्स फिल्म पर टिप्पणी के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घेरने के लिए भी बीजेपी की आलोचना की। पवार ने कहा कि राजनीतिक आंदोलनों का स्वागत है, लेकिन अल्पसंख्यकों के बारे में बोलने पर केजरीवाल की आलोचना की गई। भाजपा देश को एक अलग मार्ग पर ले जा रही है। वह देश की एकता को नष्ट कर रही है।

पवार ने इससे पहले 29 मार्च को एक ट्वीट करते हुए लिखा था, “आज देश में नफरत और झूठ की राजनीति के दौर में युवाओं का एकजुट होना बहुत जरूरी है। कश्मीरी पंडितों के समाधान की जगह राजनैतिक फायदा खोजने वाले लोगों से और सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करने वाली सरकार से युवाशक्ति ही सच्चाई और एकता के दम पर मुकाबला कर सकती है।”

शुक्रवार (1 अप्रैल 2020) को निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “माननीय शरद पवार जी, भारत जैसे गरीब राष्ट्र में आपके हिसाब से एक राजनेता के पास अपनी क़ाबिलियत से कमाई, ज़्यादा से ज़्यादा कितनी संपत्ति होनी चाहिए? भारत में इतनी ग़रीबी क्यों है, यह आपसे बेहतर कौन जनता है। ईश्वर आपको लंबी आयु दे, सदबुद्धि दे।”

गौरतलब है कि इससे पहले कॉन्ग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी मोदी सरकार पर फिल्म के जरिए समाज में नफरत फैलाने का प्रयास करने का आरोप लगाया था। वहीं केरल कॉन्ग्रेस ने अपने ट्वीट में दावा किया था कि 1990 से 2007 के बीच आतंकियों ने 399 कश्मीरी पंडितों को मारा, लेकिन इस दौरान 15000 मुस्लिम भी आतंकियों द्वारा मारे गए।

बता दें कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म कश्मीरी पंडितों के कश्मीर से पलायन, नरसंहार और उस दौरान उन पर हुए अत्याचारों की कहानी पर बनी है। बॉक्स ऑफिस पर तो फिल्म शानदार प्रदर्शन कर ही रही है, कई राज्य इसे कर मुक्त कर चुके हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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