Monday, May 19, 2025
Homeराजनीति'Oxford English' से नहीं, मोदी-विरोध से ही जीते हो लोकसभा चुनाव: थरूर को कॉन्ग्रेस...

‘Oxford English’ से नहीं, मोदी-विरोध से ही जीते हो लोकसभा चुनाव: थरूर को कॉन्ग्रेस सांसद ने लताड़ा

वडकर से सांसद मुरलीधरन ने कहा है कि थरूर मोदी विरोध के चलते ही सांसदी जीते हैं, अपनी 'Oxford English' से नहीं। थरूर आम तौर पर अंग्रेज़ी शब्दावली के शीर्ष समकालीन जानकारों में गिने जाते हैं और इसी के चलते कभी प्रशंसा तो कभी मज़ाकिया आलोचना का भी केंद्र बने रहते हैं।

कॉन्ग्रेस वालों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंधे विरोध की कितनी बुरी लत लग गई है, इसका नज़ारा हर दूसरे-तीसरे दिन सामने आ रहा है। केरल प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी द्वारा स्पष्टीकरण माँगने, सोनिया गाँधी द्वारा ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताए जाने और वीरप्पा मोइली द्वारा ‘पब्लिसिटी का भूखा’ कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर अब केरल के साथी सांसद के मुरलीधरन के निशाने पर हैं।

वडकर से सांसद मुरलीधरन ने कहा है कि थरूर मोदी विरोध के चलते ही सांसदी जीते हैं, अपनी ‘Oxford English‘ से नहीं। गौरतलब है कि शशि थरूर आम तौर पर अंग्रेज़ी शब्दावली के शीर्ष समकालीन जानकारों में गिने जाते हैं और इसी के चलते कभी प्रशंसा तो कभी मज़ाकिया आलोचना का भी केंद्र बने रहते हैं।

मुरलीधरन ने बिना थरूर का नाम लिए कटाक्ष करते हुए कहा कि (थरूर की लोकसभा सीट) तिरुवनंतपुरम के पूर्व सांसद ए चार्ल्स “Oxford English” नहीं जानते थे, तब भी वे वहाँ से तीन बार जीतने में सफल रहे थे।

बवाल काटना शुरू हुआ जब शशि थरूर ने अपने साथी जयराम रमेश और अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा दी गई नसीहत का समर्थन किया। रमेश ने कहा था कि हर समय मोदी की आलोचना करने से कुछ हासिल नहीं होगा। उनकी सरकार के सही कामों की तारीफ होनी चाहिए। उसी में जोड़कर सिंघवी ने कह दिया कि उज्ज्वला योजना सहित मोदी सरकार के अच्छे काम भी हैं और थरूर ने उस पर एक ट्विटर यूज़र के सवाल के जवाब में लिखा कि वे तो 6 साल से मोदी की न्यायोचित तारीफ पर ज़ोर दे रहे हैं, ताकि जब वे आलोचना करें तो उसमें कोई विश्वसनीयता हो।

आलोचनाओं का बवंडर

उसके बाद मोदी की आलोचना तो थमी नहीं, थरूर के खिलाफ कॉन्ग्रेस नेताओं का पूरा सैलाब उमड़ पड़ा। ‘अंतरिम’ अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने उनके बयान को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया, पार्टी के सांसद ही उन पर टूट पड़े और फिर केरल की प्रदेश कॉन्ग्रेस ने उनसे स्पष्टीकरण माँग लिया। वीरप्पा मोइली ने उन्हें ‘पब्लिसिटी का भूखा’ बताया। इस बीच खिसियाए थरूर ने भी कॉन्ग्रेस वालों को नसीहत दे डाली

“मैं नरेंद्र मोदी सरकार का एक कठोर आलोचक रहा हूँ और मुझे उम्मीद है कि सकारात्मक आलोचक रहा हूँ। समावेशी मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों के कारण ही मैंने लगातार 3 बार चुनाव जीता है। मैं अपने कॉन्ग्रेस के साथियों से निवेदन करता हूँ कि मेरे विचारों की कद्र करें, यदि वे उससे सहमत नहीं हैं, तब भी।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अगर ज्योति मल्होत्रा मुसलमान होती… आज शोर मचाने वाले ‘इकोसिस्टम’ ही डाल रहा होता पर्दा, खेल रहा होता विक्टिम कार्ड

वामपंथी और इस्लामी कट्टरपंथी ज्योति के नाम की आड़ में प्रोपेगेंडा चला रहे हैं, दावा कर रहे हैं कि अगर ज्योति मुस्लिम होती तो नरेटिव अलग होता।

चीन से सटकर उछल रहा था बांग्लादेश, भारत ने दे दिया ₹6415 करोड़ का झटका: जानिए यूनुस सरकार की नीतियों से कारोबारी संबंधों को...

बांग्लादेश से आने वाले कई उत्पादों पर भारत ने पाबंदियाँ लगाई है। इससे बांग्लादेश को करीब 6415 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हो सकता है।
- विज्ञापन -