Friday, April 26, 2024
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2 साल मंत्री की चाकरी, पेंशन जीवन भर की: केरल की विजयन सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ा, कहा- आपके राज्य मे बहुत पैसा है

"आप एकमात्र राज्य हैं जहाँ लोगों को 2 साल के लिए नियुक्त किया जाता है और उन्हें आजीवन पेंशन दी जाती है। राज्य के पास बहुत पैसा है, यह अधिकारियों को बताएँ।"

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (14 मार्च, 2022) को केरल की पिनराई विजयन सरकार को फटकार लगाई। जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने बताया कि कैसे राज्य 2 साल की सेवा वाले मंत्रियों द्वारा नियुक्त निजी कर्मचारियों के लिए आजीवन पेंशन का भुगतान कर रहा है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) द्वारा थोक खरीदारों से राज्य के स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों द्वारा डीजल के लिए लगाए गए मूल्य को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। केरल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील वी गिरि से अदालत ने कहा, “आज हमने इंडियन एक्सप्रेस में पढ़ा है। आप एकमात्र राज्य हैं जहाँ लोगों को 2 साल के लिए नियुक्त किया जाता है और उन्हें आजीवन पेंशन दी जाती है। राज्य के पास बहुत पैसा है, यह अधिकारियों को बताएँ।”

इंडियन एक्सपप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, केएसआरटीसी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता वी गिरि ने जवाब दिया कि वह शीर्ष अदालत की चिंताओं से सरकार को अवगत कराएँगे। वहीं न्यायमूर्ति नज़ीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी सहित दो न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाकर्ता को फ्यूल की कीमत के मुद्दे पर केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी।

गौरतलब है कि सोमवार को, द इंडियन एक्सप्रेस ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ 5 मार्च, 2022 को ऑनलाइन आयोजित आइडिया एक्सचेंज इवेंट में हुई बातचीत पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। बातचीत के दौरान, खान से पूछा गया था: “आपने हाल ही में पेंशन पर सवाल उठाया था, जिसके केरल में मंत्रियों के निजी कर्मचारी हकदार हैं। वहीं विपक्ष भी एकजुट होता नजर आ रहा है। यह क्या मामला है?”

इस सवाल के जवाब में राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने कहा, “वे बिल्कुल सही हैं कि मेरे पास इसे समाप्त करने की शक्ति नहीं है। यह केवल चुनी हुई सरकार ही निर्णय ले सकती है। जब आप कहते हैं कि सरकार और विपक्ष दोनों ने हाथ मिला लिया है – सरकार की ओर से, मैंने जो कुछ भी कहा है, उसके खिलाफ कोई भी बयान नहीं दे रहा है, और इस मुद्दे पर मेरे खिलाफ बोलने वाले नेता प्रतिपक्ष से कहा गया है यूडीएफ इस मामले में नाक में दम नहीं करेगा।”

“यहाँ, प्रत्येक मंत्री 20 से अधिक लोगों को ‘क्वो टर्मिनस’ के आधार पर नियुक्त करता है, और वे दो साल के बाद पेंशन के हकदार हो जाते हैं। इसलिए लोगों का एक समूह अपने पदों से इस्तीफा दे देता है, दूसरा समूह आता है। एक कार्यकाल में, प्रत्येक मंत्री लगभग 45-50 लोगों को नियुक्त करता है, जो बाद में पार्टी के लिए पूर्णकालिक काम करते हैं। उन्हें सरकार से पेंशन के रूप में वेतन मिलता है। ऐसा देश में कहीं नहीं हो रहा है। इस योजना से हर पार्टी लाभान्वित हो रही है। और मुझे यह बहुत अनुचित लगता है।”

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार , केरल में मंत्रियों के निजी कर्मचारियों के लिए पेंशन 1994 में तत्कालीन कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार द्वारा पूर्वव्यापी प्रभाव से पेश की गई थी। इस प्रथा को बाद में सीपीएम के नेतृत्व वाली एलडीएफ सहित लगातार सरकारों द्वारा अपनाया गया है, जो वर्तमान में भी सत्ता में है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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