Saturday, July 27, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'बलूचिस्तान आजाद होता तो अफगानिस्तान से शर्मनाक वापसी नहीं होती': अमेरिकी नेता और पूर्व...

‘बलूचिस्तान आजाद होता तो अफगानिस्तान से शर्मनाक वापसी नहीं होती’: अमेरिकी नेता और पूर्व नौसेना अधिकारी ने कहा- गिलगिट-बाल्टिस्तान पर भारत का नियंत्रण हित में

बता दें कि आतंकी संगठन अल कायदा ने 11 सितंबर 2001 को इस्लामिक आतंकियों ने अमेरिका के ट्वीन टावर से विमान टकरा कर ध्वस्त कर था और पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया था। इसके बाद अमेरिका ने अल कायदा के सफाए के लिए अफगानिस्तान पर हमला किया था।

अमेरिकी राजनेता और पूर्व नौसेना अधिकारी रॉबर्ट बॉब लानसिया (Robert Bob Lancia) ने कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) पर भरोसा करने के बजाए अगर बलूचिस्तान (Balochistan) को स्वतंत्र करने की रणनीति पर काम किया गया होता तो अफगानिस्तान (Afghanistan) में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी अभियान सफल रहा होता।

लानसिया ने ट्विटर पर कई ट्‌वीट के जरिए अपनी राय रखते हुए कहा कि अगर अमेरिका ने भारत के साथ मिलकर काम किया होता तो अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी को शर्मनाक वापसी नहीं करनी पड़ती और ना ही अपने 13 सैनिकों को खोना पड़ता। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान पर भारत का नियंत्रण अमेरिका के हित में रहता।

लानसिया ने कहा, “जैसा कि कर्नल राल्फ पीटर्स ने कॉन्ग्रेस में अपनी दिए गए बयान में बताया कि मैंने पहले ही कहा था कि एक स्वतंत्र बलूचिस्तान दोहरा खेल खेलने वाले पाकिस्तान पर भरोसा किए बिना हमारे सैनिकों को सीधे अफगानिस्तान भेजने के लिए अमेरिका को सीधी पहुँच प्रदान करेगा।”

लानसिया ने कहा कि यदि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र भारत के नियंत्रण में होता तो अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को पाकिस्तान से अविश्वसनीय और दोहरे खेल में नहीं फँसना पड़ता और अमेरिका को एक मित्र लोकतांत्रिक देश भारत से सीधे सहायता मिल सकती थी। बता दें कि गिलगित-बाल्टीस्तान पाकिस्तान का प्रांत है, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है।

गिलगित-बाल्टिस्तान के रणनीतिक महत्व को बारे में बात करते हुए बॉब लानसिया ने कहा, “भारत द्वारा नियंत्रित गिलगित-बाल्टिस्तान अमेरिका के नंबर 1 प्रतिद्वंद्वी चीन और उसकी वन बेल्ट एंड वन रोड (OBOR) के लिए एक बड़ा झटका होगा। इससे चीन को अरब सागर के बंदरगाहों तक सीधे पहुँच नहीं हासिल हो पाती।”

बता दें कि इस्लामिक आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की दोहरी नीति के कारण अफगानिस्तान में अमेरिका को करारी हार का सामना करना पड़ा और शर्मनाक वापसी के लिए निर्णय लेना पड़ा। पाकिस्तान अमेरिका सहायता के नाम पर उसके अरबों डॉलर वित्तीय सहायता लेता था और दूसरी तरफ तालिबान जैसे आतंकी संगठनों को वित्तीय और सैनिक मदद करता था। इससे अमेरिकी सेना के अभियान को गहरा नुकसान पहुँचा।

अमेरिकी सेना की वापसी के बाद पाकिस्तान के सहयोग से इस्लामिक संगठन तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान पर कब्जा जमा कर लिया और लगभग पूरे देश पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। वहीं, वर्तमान में पाकिस्तान के नियंत्रण में स्थित भारत के अभिन्न अंग गिलगित-बाल्टिस्तान के रास्ते चीन अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना OBOR को एशिया से यूरोप तक विस्तार देने में लगा है। इसके साथ ही वह अपनी सामरिक बढ़त भी बना रहा है।

बता दें कि आतंकी संगठन अल कायदा ने 11 सितंबर 2001 को इस्लामिक आतंकियों ने अमेरिका के ट्वीन टावर से विमान टकरा कर उसे ध्वस्त कर दिया था और पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया था। इसके बाद अमेरिका ने अल कायदा के सफाए के लिए अफगानिस्तान पर हमला किया था। मार्च 2020 में अफगानिस्तान छोड़ने की घोषणा और 15 अगस्त 2021 तक अफगानिस्तान छोड़ने तक वहाँ लगभग 20 सालों तक युद्ध तक चला।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बांग्लादेशियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर झारखंड पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों को पीटा: BJP नेता बाबू लाल मरांडी का आरोप, साझा की...

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर हेमंत सरकार की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -