Wednesday, April 24, 2024
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देश विरोधी गतिविधियों के लिए एमनेस्टी ने भारत भेजे ₹51 करोड़: पंजाब चुनावों में 1984 दंगे का प्रचार भी शामिल, कश्मीर पर भी प्रोपगेंडा

इससे पहले ED ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (AIIPL) पर 51.72 रुपए और उसके पूर्व CEO आकार पटेल पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाया था।

केंद्रीय जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पाया है कि एमनेस्टी वर्ल्डवाइड यूके (Amnesty Worldwide UK) ने भारत में देशविरोधी गतिविधियों को हवा देने के लिए भारत की सहयोगी संस्था एमनेस्टी इंडिया को 51 करोड़ रुपए अवैध तरीके से भेजे थे।

यह पैसा ‘कश्मीर: एंट्री टू जस्टिस’ और ‘जस्टिस फॉर 1984 सिख ब्लडबाथ’ जैसे प्रोपेगेंडा को हवा देने के लिए भेजा गया था। इसके साथ ही इस रकम को अवैध तरीके से कंपनी को निर्यात के नाम पर भेजा गया था। ED ने इसकी जानकारी दिल्ली की एक विशेष अदालत को दी।

ED का कहना है कि मानवाधिकार रिपोर्ट तैयार करने और कुछ अन्य सेवाओं नाम पर एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके से AIIPL को 36 करोड़ रुपए दिए, जिसमें 10 करोड़ रुपए FDI के जरिए निवेश भी शामिल है। इस तरह व्यवसायिक गतिविधियों के नाम पर FCRA कानून का उल्लंघन कर एनजीओ की गतिविधियों को संचालित किया गया।

ED ने कहा कि इन कार्यों के माध्यम से AIIPL को मीडिया के जरिए लोगों में उकसाना, आरटीआई के माध्यम से जनता की लामबंदी, राजनीतिक मामलों पर तनाव पैदा करने के लिए कैडर की मदद और मीडिया के माध्यम से प्रचार अभियान चलाकर जनता में आक्रोश उत्पन्न करने की कल्पना की गई थी।

इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक, इसमें यह भी तय किया गया था कि 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान 1984 का सिख नरसंहार प्रमुख मुद्दा रहे। इसके अलावा कश्मीर मुद्दे पर कुछ ऐसे ही रिपोर्ट की बात ED ने कोर्ट को बताई।

इस मामले में ED ने 9 जुलाई को एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (AIIPL), इंडियंस फॉर एमनेस्टी वर्ल्डवाइड बिलीफ (IAIT) और AIIPL के पूर्व सीईओ जी अनंतपद्मनाभन और आकार पटेल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की आरोप पत्र दायर किया था।

ED ने अपनी चार्जशीट में कहा कि एमनेस्टी वर्ल्डवाइड ने भारत में अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए 1999 में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (AIIFT) स्थापित की थी। साल 2011-12 में जब ओवरसीज कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट (FCRA) लागू हुआ तो इसे केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय फंड प्राप्त करने के लिए अनुमति दी थी, लेकिन इसके बारे में हकीकत पता लगते ही इसे तुरंत रद्द कर दिया गया था।

ED ने यह भी बताया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने साल 2012 में NGO के तौर पर IAIT को स्थापना किया। इसके बाद साल 2013 में एक लाभकारी इकाई यानी कंपनी के तौर पर AIIPL की स्थापना की। AIIPL को सोशल सेक्टर रिसर्च कंसल्टेंसी एंड सपोर्ट सर्विस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के तौर पर जाना जाता है।

IAIT का काम भारत में मानवाधिकार रिपोर्ट तैयार करना था, जबकि AIIPL सेवा देकर निर्यात के जरिए लाभ कमाती थी। सबसे बड़ी बात है कि दोनों कंपनियों का ऑफिस एक ही इमारत में अगल-बगल था और दोनों एमनेस्टी यूके द्वारा संचालित होती थीं। बाद में IAIT ने AIIPL में 98.9 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली।

बता देें कि ED ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (AIIPL) पर 51.72 रुपए और उसके पूर्व CEO आकार पटेल पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाया था।

ईडी को जानकारी मिली थी कि एमनेस्टी इंटरनेशनल, यूके विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRN) से बचने के लिए FDI के रास्ते अपनी भारतीय संस्थाओं (गैर-एफसीआरए कंपनियों) को बड़ी मात्रा में विदेशी फंड भेज रहा था। इस बात की जैसे ही जाँच एजेंसी को पता चली, उसने एमनेस्टी पर निगाह रखनी शुरू कर दी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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