बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को अपनी हालिया यात्राओं में निराशा हाथ लगी है। जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के ऑनलाइन भाषणों पर रोक लगाने के उनके आग्रह को यह कहकर टाल दिया कि यह सोशल मीडिया है, आप इसे नियंत्रित नहीं कर सकते।
वहीं दूसरी ओर, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी यूनुस से मुलाकात से इनकार कर दिया। यूनुस ब्रिटेन की यात्रा पर हसीना सरकार द्वारा कथित रूप से विदेशों में धोखे से भेजी गई करोड़ो की राशि को वापस लाने के लिए समर्थन जुटाने गए थे। इन कूटनीतिक झटकों से बांग्लादेश के आर्थिक नुकसान की आशंका बढ़ गई है, क्योंकि उसे विदेशों में जमा कथित ‘चोरी की धनराशि’ को वापस लाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
भारत में बेअसर यूनुस की दलील
लंदन में बोलते हुए, यूनुस ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हसीना के ऑनलाइन भाषणों पर लगाम लगाने की गुहार लगाई, जो बांग्लादेश में ‘गुस्सा भड़का’ रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कर दिया कि ‘यह सोशल मीडिया है, आप इसे नियंत्रित नहीं कर सकते।’ यह स्पष्ट इनकार यूनुस की इस अड़ियल माँग पर एक तमाचा था कि भारत को अपने घरेलू कानूनों से परे जाकर काम करना चाहिए।
यूनुस की यह दलील कि भारत बांग्लादेश की अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर रहा, उनकी निराशा और कूटनीतिक अक्षमता का ही प्रमाण है। यूनुस की सरकार, जो खुद हसीना पर ‘फर्जी खबर’ फैलाने का आरोप लगाती है, लेकिन अब यूनुस खुद भारतीय मीडिया पर आरोप लगाकर अपनी खामियों को छिपाने की कोशिश कर रहे है।
ब्रिटेन में भी नहीं मिली ‘लिफ्ट’: स्टारमर का ठुकराना
यूनुस की लंदन यात्रा, जिसका मकसद हसीना सरकार द्वारा कथित रूप से विदेशों में धोखे से भेजी गई करोड़ो की राशि को वापस लाना था, वह भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने यूनुस से मिलने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया।
यूनुस ने दावा किया कि ब्रिटेन को ‘नैतिक रूप से’ मदद करनी चाहिए, लेकिन ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें कोई भाव नहीं दिया, जिससे उनकी वैश्विक विश्वसनीयता पर बड़ा सवालिया निशान लग गया। यह स्पष्ट है कि यूनुस, अपनी नोबेल पुरस्कार विजेता की प्रतिष्ठा के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात मनवाने में अक्षम साबित हुए हैं।
आर्थिक वसूली का बेतुका दावा
यूनुस द्वारा कथित ‘चोरी की धनराशि’ की वसूली का दावा केवल एक राजनीतिक हथकंडा लगता है। यूनुस 20 लाख करोड़ ($234 बिलियन) के कथित गबन का आरोप लगाते हैं और ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर जैसे देशों को ‘चोरी किए गए’ राशि के गंतव्य के रूप में नामित करते हैं। लेकिन बिना ठोस अंतरराष्ट्रीय सहयोग और प्रभावी कूटनीति के ये दावे सिर्फ हवाई किले बनाने जैसा है।
यूनुस की यह कवायद बांग्लादेश को आर्थिक रूप से और अधिक नुकसान पहुँचा सकती है, क्योंकि उनकी अक्षमता ने धन-वापसी के प्रयासों को एक मजाक बना दिया है। उनकी यात्राओं से स्पष्ट है कि वे सिर्फ राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, न कि बांग्लादेश के वास्तविक हितों की रक्षा की।