Monday, October 14, 2024
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चीन में हंता वायरस से 1 की मौत: कोरोना से अधिक खतरनाक, संक्रमित व्‍यक्तियों के मरने का आँकड़ा 38%

कोरोना वायरस की तुलना में अधिक खतरनाक हंता वायरस - संक्रमित व्‍यक्तियों के मरने का आँकड़ा 38 प्रतिशत। चूहों के मल, पेशाब आदि को छूने के बाद अपनी आँख, नाक और मुँह को छूने से हंता वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

कोरोना वायरस की मार से जूझ रहे चीन के युन्नान प्रांत में एक व्‍यक्ति की सोमवार (मार्च 23, 2020) को हंता वायरस से मौत हो गई। पीड़‍ित व्‍यक्ति काम करने के लिए बस से शाडोंग प्रांत लौट रहा था। उसे हंता वायरस से पॉजिटिव पाया गया था। बस में सवार 32 अन्‍य लोगों की भी जाँच की गई है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्‍लोबल टाइम्‍स के इस घटना की जानकारी देने के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है।

बड़ी संख्‍या में लोग ट्वीट करके यह डर जता रहे हैं कि यह कहीं कोरोना वायरस की तरह से ही महामारी न बन जाए। लोग कह रहे हैं कि अगर चीन के लोग जानवरों को जिंदा खाना बंद नहीं करेंगे तो यह होता रहेगा। सोशल मीडिया पर जारी बहस और लोगों के बीच फैले संशय के बीच आइए जानते हैं कि क्‍या है हंता वायरस?

जानें, क्‍या है हंता वायरस

हंता वायरस चूहे या गिलहरी के संपर्क में इंसान के आने से फैलता है। सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, चूहों के घर के अंदर और बाहर करने से हंता वायरस के संक्रमण का खतरा रहता है। यहाँ तक कि अगर कोई स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति भी है और वह हंता वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसके संक्रमित होने का खतरा रहता है। 

यह बीमारी एरोसोलिज्ड वायरस के माध्यम से लोगों में फैलता है। यानी कि यह मल, मूत्र या फिर लार के माध्यम से फैलता है। यदि कोई व्‍यक्ति चूहों के मल, पेशाब आदि को छूने के बाद अपनी आँख, नाक और मुँह को छूता है तो उसके हंता वायरस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। यह बीमारी चूहे के काटने से भी फैल सकता है। हालाँकि यह बहुत कम होता है।

हंता वायरस को अमेरिका में ‘न्यू वर्ल्ड’ हंता वायरस के रुप में जाना जाता है और इससे हंता वायरस पल्मोनरी सिंड्रोम (HPS) हो सकता है। वहीं अन्य हंता वायरस को ‘ओल्ड वर्ल्ड’ हंता वायरस कहा जाता है, जो कि यूरोप और एशिया में पाया जाता है। इससे गुर्दे के सिंड्रोम के साथ रक्तस्रावी बुखार हो सकता है।

इस वायरस से संक्रमित होने पर इंसान को बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द, पेट में दर्द, उल्‍टी, डायरिया आदि हो जाता है। अगर इलाज में देरी होती है तो संक्रमित इंसान के फेफड़े में पानी भी भर जाता है, उसे साँस लेने में परेशानी होती है।

जानकारी के मुताबिक हंता वायरस जानलेवा है। इससे संक्रमित व्‍यक्तियों के मरने का आँकड़ा 38 प्रतिशत है। यानी कि यह कोरोना वायरस की तुलना में अधिक खतरनाक है। हालाँकि राहत की बात ये है कि अभी तक भारत में छिटपुट मामले सामने आए हैं। भारत में 2008 में इस वायरस की वजह से साँप और चूहे मारने वाले एक समूह की मौत हो गई थी। इसके अलावा 2016 में मुंबई में 12 साल के एक बच्चे की हंता वायरस संक्रमण से मृत्यु हो गई थी।

इसका उपचार मुश्किल है क्योंकि इसके लक्षण कोरोनावायरस के लक्षण की तरह ही होते हैं तो समझने में काफी परेशानी होती है और जब तक समझ में आता है, मरीज की मौत हो चुकी होती है। इसलिए बुखार और अधिक परिश्रम वाले व्यक्तियों और जो चूहों के संपर्क में हैं, उनका परीक्षण किया जाना चाहिए। ऐसा पाया गया है कि भारत में चूहे और साँपों का शिकार करने वाले लोग इसका शिकार हो सकते हैं। चिकित्सा देखभाल और आईसीयू के अलावा कोई फिलहाल इसका विशेष उपचार नहीं है। इसमें ऑक्सीजन थेरेपी साँस लेने की समस्या में मदद कर सकती है। इसके लिए जरूरी है कि मरीज जितनी जल्दी आईसीयू में पहुँच जाए, बेहतर है। घर या काम पर चूहों से संपर्क कम से कम करें। ठीक से साफ करें और कीट नियंत्रण का उपयोग करें। इससे बचाव के लिए घर या काम पर चूहों से के संपर्क में कम से कम रहें। घरों को ठीक तरह से साफ करें और पेस्ट कंट्रोल का उपयोग करें।

चीन में हंता वायरस का यह मामला ऐसे समय पर आया है जब पूरी दुनिया वुहान से निकले कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही है। कोरोना वायरस से अब तक 16 हजार 500 लोगों की मौत हो गई है। यही नहीं अब तक दुनिया के 382,824 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। कोरोना वायरस की व्‍यापकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह वायरस अब 196 देशों में फैल चुका है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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