Thursday, May 29, 2025
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चीनी छात्रों के वीजा रद्द कर रहा अमेरिका, राष्ट्रीय सुरक्षा की वजह से लिया फैसला: जानें- कैसे शैक्षणिक संस्थानों को पढ़ाई के नाम पर जासूसों का अड्डा बना देता है चीन

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भारत के बाद सबसे ज्यादा चीनी छात्र पढ़ते हैं। 2023-24 में 2,70,000 से ज्यादा चीनी छात्र अमेरिका में थे, जो कुल विदेशी छात्रों का एक-चौथाई हिस्सा हैं।

अमेरिका को जासूसी का डर सता रहा है। इसके लिए अमेरिकी सरकार ने चीनी छात्रों के वीजा रद्द करने का फैसला किया है। गुरुवार (29 मार्च 2025) को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि जिन चीनी छात्रों का कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीसीपी) से कोई संबंध है या जो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पढ़ाई कर रहे हैं, उनके वीजा रद्द किए जाएँगे। इसके लिए विदेश मंत्रालय और होमलैंड सिक्योरिटी विभाग मिलकर काम करेंगे।

यह कदम ट्रम्प प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की कोशिशों का हिस्सा है, जिसमें चीन और हॉन्गकॉन्ग से आने वाले वीजा आवेदनों की कड़ी जाँच की जा रही है।

एक दिन पहले, रुबियो ने दुनिया भर में अमेरिकी दूतावासों को निर्देश दिया कि वे छात्र वीजा के लिए इंटरव्यू शेड्यूल करना बंद करें, क्योंकि सरकार विदेशी छात्रों के अमेरिकी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश को सीमित करना चाहती है। अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भारत के बाद सबसे ज्यादा चीनी छात्र पढ़ते हैं। 2023-24 में 2,70,000 से ज्यादा चीनी छात्र अमेरिका में थे, जो कुल विदेशी छात्रों का एक-चौथाई हिस्सा हैं।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार (29 मई 2025) को मीडिया से कहा कि वे अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले विदेशी छात्रों की कड़ी जाँच करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “कुछ लोग बहुत कट्टरपंथी क्षेत्रों से आ रहे हैं और हम नहीं चाहते कि वे हमारे देश में परेशानी खड़ी करें। हार्वर्ड में करीब 31 प्रतिशत छात्र विदेशी हैं। ऐसे मामलों में 15% की कैपिंग होनी चाहिए।”

चीनी छात्रों के वीजा पर यह सख्ती अमेरिका में चीन के जासूसी नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश है। चीन अपने प्रतिद्वंद्वी देशों में जासूसी के लिए मशहूर है और इसके लिए वह कंपनियों, विश्वविद्यालयों और सरकारी एजेंसियों में लोगों को निशाना बनाता है। जुलाई 2021 में चार चीनी नागरिकों पर अमेरिका में जासूसी का आरोप लगा, जो 2009 से 2018 तक 12 देशों को निशाना बनाने वाली वैश्विक जासूसी में शामिल थे।

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में चीन का जासूसी नेटवर्क

चीन ने अमेरिका के शीर्ष विश्वविद्यालयों जैसे हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड में जासूसी नेटवर्क बना रखा है। ये विश्वविद्यालय सीसीपी से भारी फंडिंग भी लेते हैं। चीनी सेना अपने जासूसों को छात्रों के रूप में भेजती है, जो विश्वविद्यालय की लैब से बौद्धिक संपदा और शोध दस्तावेज चुराकर चीन भेजते हैं।

साल 2020 में हार्वर्ड के प्रोफेसर लाइबर की गिरफ्तारी के बाद इस जासूसी नेटवर्क का पता चला। शोधकर्ता बनकर आए दो चीनी जासूसों पर भी विदेशी सरकार के एजेंट होने का आरोप लगा। इन जासूसों ने अपने रिसर्च के बारे में झूठ बोला और लैब से रिसर्च सैंपल चुराकर देश से बाहर भेजे।

अक्टूबर 2022 में अमेरिकी अधिकारियों ने तीन चीनी मंत्रालय ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (एमएसएस) के अधिकारियों समेत चार चीनी नागरिकों पर जासूसी का आरोप लगाया। इनका नाम वांग लिन, बी होंगवेई, डोंग तिंग (उर्फ चेल्सी डोंग) और वांग कियांग था। इन्हें चीनी सरकार के लिए लोगों को भर्ती करने का काम सौंपा गया था। इसके लिए इन्होंने प्रोफेसरों, पूर्व कानून प्रवर्तन अधिकारियों और अन्य लोगों को निशाना बनाया ताकि संवेदनशील जानकारी हासिल की जा सके।

ये लोग चीन के ओशन यूनिवर्सिटी के एक कथित शैक्षणिक संस्थान इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज (आईआईएस) के नाम पर काम कर रहे थे और अमेरिकी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों को संवेदनशील उपकरण और जानकारी हासिल करने के लिए निशाना बनाया।

नीदरलैंड्स, कनाडा और फिनलैंड भी जता चुके हैं चीनी जासूसों पर चिंता

साल 2021 में नीदरलैंड्स, कनाडा और फिनलैंड की जासूसी एजेंसियों ने चीनी जासूसी हमलों को लेकर चेतावनी दी। इन देशों ने सरकार, कंपनियों और विश्वविद्यालयों पर चीनी जासूसी के खतरे को उजागर किया। नीदरलैंड्स की खुफिया एजेंसियों ने कहा कि उनके शैक्षणिक संस्थानों पर चीन से साइबर हमले का खतरा है। इसके अलावा चीन अपने शोधकर्ताओं, पीएचडी उम्मीदवारों और छात्रों को जासूस के रूप में भेजता है।

फिनलैंड की एजेंसियों ने चीनी सरकार पर देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे जैसे टेलीकॉम, एनर्जी, जल वितरण, हवाई अड्डों, सड़कों और बंदरगाहों पर कब्जा करने की कोशिश का आरोप लगाया। कनाडा की खुफिया एजेंसियों ने भी चीनी सरकार पर बायोफार्मास्युटिकल, हेल्थ, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, समुद्री तकनीक और एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों को निशाना बनाने की चेतावनी दी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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