Wednesday, April 24, 2024
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यूक्रेन विरोधी कंटेंट से Google नहीं करने देगा कमाई, देर रात मिली विज्ञापनों को बैन करने की चेतावनी: नई पॉलिसी

आसान शब्दों में कहें तो गूगल ऐसी किसी सामग्री पर विज्ञापन नहीं चलने देगा जो यूक्रेन में चल रहे युद्ध की निंदा उसमें शोषण या उसे खारिज करने वाली सामग्री पब्लिश करेंगे।

यूक्रेन के विरुद्ध कोई भी सामग्री प्रकाशित करके अब डिजिटली पैसा कमाना कठिन होगा। गूगल ने अपने हर प्रकाशक को शुक्रवार की देर रात एक संदेश भेजा है जिसमें उन्होंने बताया कि वे किसी भी ऐसे केंटेंट को मॉनेटाइज नहीं करेंगे जिसमें यूक्रेन हालातों के खिलाफ बात हो। ये फैसला गूगल की नई कंटेंट पॉलिसी का हिस्सा है जो 23 मार्च 2022 को अधिसूचित की गई है।

हाल में गूगल ने अपने हर प्रकाशक को इस नीति के संबंध में संदेश भेजा। उन्होंने बताया कि ये अपडेट स्पष्ट करने के लिए व प्रकाशकों के मार्गदर्शन का विस्तार करने के लिए है क्योंकि ये युद्ध से संबंधी है। उन्होंने जानकारी दी कि उन्होंने उन आर्टिकल्स पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है जो नीतियाँ का उल्लंघन करती हैं।

गूगल AD के जरिए कमाई और यूक्रेन से जुड़ी नई नीति

बता दें कि प्रकाशक, ब्लॉगर्स, न्यूज वेबसाइट, ऐप कंटेंट डेवलपर और अन्य समूह, अपने कंटेंट में गूगल ऐड लगाकर पैसा कमाते हैं। इसके अलावा वे गूगल ऐड मैनेजर टूल का प्रयोग करते हैं जहाँ वे उन विज्ञापनों को दिखाना चुन सकते हैं जो कि सीधे ग्राहकों से आते हैं बिना गूगल को बिचौलिया बनाए। मगर अब अब गूगल की नीतियाँ अपने विज्ञापनों के साथ-साथ ऐसे डायरेक्ट विज्ञापनों को भी प्रभावित कर सकती हैं।

आसान शब्दों में कहें तो गूगल ऐसी किसी सामग्री पर विज्ञापन नहीं चलने देगा जो युद्ध की निंदा उसमें शोषण या उसे खारिज करने वाली सामग्री पर बात करेंगे। इस प्रक्रिया को आर्टिकल का डिमॉनेटाइजेशन कहते हैं यानि की उस आर्टिकल की रीच से जितने पैसे प्रकाशक को आते थे वह आना बंद हो जाएँगे। एंटी यूक्रेन आर्टिकल लिख कर कोई प्रकाशक रेवेन्यू जेनेरेट नहीं कर सकेगा।

कोरोना को वुहान वायरस कहने पर गूगल ने लगाए थे ये प्रतिबंध

इससे पहले गूगल ने तब ऐसा किया था जब कुछ आर्टिकल्स में कोरोना वायरस को वुहान वायरस कहा जा रहा था और लैब लीक थ्योरी की चर्चा गरम थी। अब की, गूगल ने इस बात को साफ किया है कि ऐसे दावे कि यूक्रेन के पीड़ित सारी त्रासदी के लिए खुद जिम्मेदार हैं या फिर ऐसे ही उदाहरण जिसमें पीड़ितों पर इल्जाम मढ़ा जा रहा है कि यूक्रेन नरसंहार कर रहा है या फिर अपने ही नागरिकों पर हमला कर रहा है आदि पर कार्रवाई होगी।

गूगल ने भेजा ऑपइंडिया को संदेश

ऑपइंडिया को भी गूगल ने एक संदेश भेजा है। ये संदेश “Winning ‘hearts’ and PR war, but Ukraine has a “Nazi” problem that NATO and USA do not talk about”- इस आर्टिकल के लिए आया है जिसे गूगल ने डिमॉनेटाइज किया है। इस लेख में यूक्रेन के लोगों को दोषी नहीं ठहराया गया लेकिन इसमें कुछ असहज पहलुओं की चर्चा है जिसकी ओर कई लोग इशारा कर रहे थे। ये चर्चा नव नाजी तत्वों की उपस्थिति में यूक्रेन की स्थापना पर थी। आजोव बटालियन ऐसा ही एक तत्व है।

रूस की कार्रवाई

उल्लेखनीय है कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच बड़ी तकनीकी और सोशल मीडिया कंपनियाँ अंतरराष्ट्रीय संघर्ष में अपना पक्ष रख रही हैं और खुद को सुपनेशनल संस्थाओं के रूप में पेश कर रही हैं। रूस ने पिछले कुछ समय में गूगल और फेसबुक दोनों पर अपनी ओर से कार्रवाई की है। पहले रूस ने मेटा को चरमपंथी संगठन बताया और फिर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाकर गूगल न्यूज पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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